Comments - चश्मा (लघु कथा ) - Open Books Online2024-03-28T21:19:26Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A551241&xn_auth=noहाहाहा .....सही कहा आप बीती त…tag:openbooks.ning.com,2014-07-07:5170231:Comment:5564212014-07-07T04:07:11.102Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>हाहाहा .....सही कहा आप बीती तो नहीं आँखों देखी कह सकते हैं |आ० सौरभ जी ,जीवन में कई पल ऐसे आते हैं जो हमारे ऊपर बीतते हैं या आस पास जिनसे कुछ लिखने की प्रेरणा मिलती है ,कुछ एसा ही बहुत पहले देखा था सो उसी को संज्ञान में लेकर लिख दिया |हार्दिक आभार आपका |</p>
<p>हाहाहा .....सही कहा आप बीती तो नहीं आँखों देखी कह सकते हैं |आ० सौरभ जी ,जीवन में कई पल ऐसे आते हैं जो हमारे ऊपर बीतते हैं या आस पास जिनसे कुछ लिखने की प्रेरणा मिलती है ,कुछ एसा ही बहुत पहले देखा था सो उसी को संज्ञान में लेकर लिख दिया |हार्दिक आभार आपका |</p> यह तो आपबीती है न आपकी ! आँखो…tag:openbooks.ning.com,2014-07-06:5170231:Comment:5563512014-07-06T20:09:24.138ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>यह तो आपबीती है न आपकी ! आँखों देखी से बढिया विन्दु पकड़ा है आपने आदरणीया.</p>
<p>बधाई हो..</p>
<p>सादर</p>
<p>यह तो आपबीती है न आपकी ! आँखों देखी से बढिया विन्दु पकड़ा है आपने आदरणीया.</p>
<p>बधाई हो..</p>
<p>सादर</p> ब्रिजेश जी आपको कथा अच्छी लगी…tag:openbooks.ning.com,2014-06-30:5170231:Comment:5543862014-06-30T15:27:14.261Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>ब्रिजेश जी आपको कथा अच्छी लगी बहुत- बहुत आभारी हूँ |</p>
<p>ब्रिजेश जी आपको कथा अच्छी लगी बहुत- बहुत आभारी हूँ |</p> प्रिय प्राची जी ,लघु कथा में…tag:openbooks.ning.com,2014-06-30:5170231:Comment:5544672014-06-30T15:26:08.370Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>प्रिय प्राची जी ,लघु कथा में निहित सन्देश ने आपको प्रभावित किया बहुत- बहुत शुक्रिया ये लघु कथा सार्थक हुई |</p>
<p>प्रिय प्राची जी ,लघु कथा में निहित सन्देश ने आपको प्रभावित किया बहुत- बहुत शुक्रिया ये लघु कथा सार्थक हुई |</p> अच्छी कथा है। आपको बधाई आदरणी…tag:openbooks.ning.com,2014-06-30:5170231:Comment:5543022014-06-30T14:49:03.727Zबृजेश नीरजhttp://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
अच्छी कथा है। आपको बधाई आदरणीया।
अच्छी कथा है। आपको बधाई आदरणीया। बहुत ही खूबसूरत सन्देश आपकी ल…tag:openbooks.ning.com,2014-06-30:5170231:Comment:5545512014-06-30T14:09:23.882ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>बहुत ही खूबसूरत सन्देश आपकी लघुकथा का आदरणीया राजेश जी</p>
<p>एक ही चश्मे से सबको नहीं देखा जा सकता....बहुत सुन्दर </p>
<p></p>
<p>हार्दिक बधाई </p>
<p>बहुत ही खूबसूरत सन्देश आपकी लघुकथा का आदरणीया राजेश जी</p>
<p>एक ही चश्मे से सबको नहीं देखा जा सकता....बहुत सुन्दर </p>
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<p>हार्दिक बधाई </p> अपनी इस लघु कथा पर आपकी उपस्थ…tag:openbooks.ning.com,2014-06-27:5170231:Comment:5531402014-06-27T17:28:43.860Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>अपनी इस लघु कथा पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया दोनों मेरे लिये बहुत महत्व पूर्ण है|आपके मशविरे का सदा स्वागत है जरूर प्रयास करुँगी |आपका हार्दिक आभार आ० योगराज जी </p>
<p>अपनी इस लघु कथा पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया दोनों मेरे लिये बहुत महत्व पूर्ण है|आपके मशविरे का सदा स्वागत है जरूर प्रयास करुँगी |आपका हार्दिक आभार आ० योगराज जी </p> रचना का सन्देश तो काफी हद तक…tag:openbooks.ning.com,2014-06-26:5170231:Comment:5521902014-06-26T06:04:01.008Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>रचना का सन्देश तो काफी हद तक स्पष्ट है आ० राजेश कुमारी जी, लेकिन मेरी दृष्टि में अभी यह रचना अभी कथानक के स्तर तक ही पहुंची है. इसे पूर्ण लघुकथा बनाने के लिए अभी बहुत ज़्यादा काट-छील की ज़रुरत है. थोड़े से प्रयास से इस कथानक के इर्द-गिर्द बहुत ही प्यारी सी लघुकथा बन सकती है, और मैं जानता हूँ कि आप यह करने में समर्थ भी हैं. (बधाई इस रचना के लघुकथा बनने के बाद दूँगा) </p>
<p>रचना का सन्देश तो काफी हद तक स्पष्ट है आ० राजेश कुमारी जी, लेकिन मेरी दृष्टि में अभी यह रचना अभी कथानक के स्तर तक ही पहुंची है. इसे पूर्ण लघुकथा बनाने के लिए अभी बहुत ज़्यादा काट-छील की ज़रुरत है. थोड़े से प्रयास से इस कथानक के इर्द-गिर्द बहुत ही प्यारी सी लघुकथा बन सकती है, और मैं जानता हूँ कि आप यह करने में समर्थ भी हैं. (बधाई इस रचना के लघुकथा बनने के बाद दूँगा) </p> आ० डॉ विजय शंकर जी ,लघुकथा का…tag:openbooks.ning.com,2014-06-24:5170231:Comment:5519842014-06-24T16:13:30.516Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० डॉ विजय शंकर जी ,लघुकथा का अनुमोदन करने के लिए हार्दिक आभार ,आपने सच कहा लाइफ गार्ड पोस्ट ऐसी जगह पर अवश्य होनी चाहिए ,आये दिन अखबारों में ऐसी घटनाएं पढने को मिल रही हैं इन्ही से प्रेरित होकर ये लघुकथा लिखी गई ,बहुत- बहुत शुक्रिया </p>
<p>आ० डॉ विजय शंकर जी ,लघुकथा का अनुमोदन करने के लिए हार्दिक आभार ,आपने सच कहा लाइफ गार्ड पोस्ट ऐसी जगह पर अवश्य होनी चाहिए ,आये दिन अखबारों में ऐसी घटनाएं पढने को मिल रही हैं इन्ही से प्रेरित होकर ये लघुकथा लिखी गई ,बहुत- बहुत शुक्रिया </p> आ o सुश्री राजेश कुमारी जी ,…tag:openbooks.ning.com,2014-06-24:5170231:Comment:5519822014-06-24T14:27:20.355ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
आ o सुश्री राजेश कुमारी जी , कहानी अच्छी है बधाई .<br />
एक अलग सन्देश यह भी देती है कि जहां लोग इतने बड़े पैमाने पर नदियों में स्नान करते हैं वहां लाइफ गार्ड पोस्ट बनाई जानी चाहिए और स्नान के समय पर तैराक गार्ड रहने चाहिए . ध्यानाकर्षण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .
आ o सुश्री राजेश कुमारी जी , कहानी अच्छी है बधाई .<br />
एक अलग सन्देश यह भी देती है कि जहां लोग इतने बड़े पैमाने पर नदियों में स्नान करते हैं वहां लाइफ गार्ड पोस्ट बनाई जानी चाहिए और स्नान के समय पर तैराक गार्ड रहने चाहिए . ध्यानाकर्षण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .