Comments - ग़ज़ल – द्रौपदी नोच डाली गयी घर से सीता निकाली गयी (अभिनव अरुण) - Open Books Online2024-03-29T09:11:13Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A547422&xn_auth=noआभार आदरणीय श्री आशीष जी ,श्र…tag:openbooks.ning.com,2014-06-23:5170231:Comment:5513762014-06-23T02:01:15.281ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>आभार आदरणीय श्री आशीष जी ,श्री विजय जी आपके शब्द मेरे लिए प्रेरक हैं , दिल से शुक्रिया आदरणीय !!</p>
<p>आभार आदरणीय श्री आशीष जी ,श्री विजय जी आपके शब्द मेरे लिए प्रेरक हैं , दिल से शुक्रिया आदरणीय !!</p> सादर प्रणाम आदरणीय श्री !! आप…tag:openbooks.ning.com,2014-06-23:5170231:Comment:5513752014-06-23T02:00:27.186ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>सादर प्रणाम आदरणीय श्री !! आपका आशीष मार्गदर्शन साधिकार चाहिए !!</p>
<p>सादर प्रणाम आदरणीय श्री !! आपका आशीष मार्गदर्शन साधिकार चाहिए !!</p> Aap ki rachanaayein hmesha se…tag:openbooks.ning.com,2014-06-19:5170231:Comment:5503442014-06-19T14:23:47.537Zआशीष यादवhttp://openbooks.ning.com/profile/Ashishyadav
Aap ki rachanaayein hmesha se hi behatarin rahi hn. Padh kr mja v aata h aur dil dimag sochne pr v majboor ho jate hn.
Aap ki rachanaayein hmesha se hi behatarin rahi hn. Padh kr mja v aata h aur dil dimag sochne pr v majboor ho jate hn. इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई, आदर…tag:openbooks.ning.com,2014-06-19:5170231:Comment:5501742014-06-19T07:49:28.268Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय अभिनव जी।</p>
<p>इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय अभिनव जी।</p> वाह ! ये अंदाज़ और ये तेवर ! ब…tag:openbooks.ning.com,2014-06-19:5170231:Comment:5501462014-06-19T02:48:40.165ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>वाह ! ये अंदाज़ और ये तेवर ! बहुत खूब ! <br/>ग़ज़लों को सशक्त स्वर तो मिलता ही रहा है, आपने तो आधिकारिक स्वर भी दे दिया. चूँकि ये कोशिश कइयों की भावनाओं को स्वर देती है तो बिला शक कामयाब है. <br/>सार्थक प्रयास को मेरी शुभकामनाएँ और बधाइयाँ, भाईजी.<br/><br/></p>
<p>वाह ! ये अंदाज़ और ये तेवर ! बहुत खूब ! <br/>ग़ज़लों को सशक्त स्वर तो मिलता ही रहा है, आपने तो आधिकारिक स्वर भी दे दिया. चूँकि ये कोशिश कइयों की भावनाओं को स्वर देती है तो बिला शक कामयाब है. <br/>सार्थक प्रयास को मेरी शुभकामनाएँ और बधाइयाँ, भाईजी.<br/><br/></p> सुखद है आपकी सहेली के बाद आपक…tag:openbooks.ning.com,2014-06-14:5170231:Comment:5485912014-06-14T09:42:05.238ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
सुखद है आपकी सहेली के बाद आपकी प्रतिक्रिया मसर्रत अता कर गयी ... बहुत शुक्रिया ..तहे दिल से !! आभार आदरणीया MAHIMA SHREE जी !!
सुखद है आपकी सहेली के बाद आपकी प्रतिक्रिया मसर्रत अता कर गयी ... बहुत शुक्रिया ..तहे दिल से !! आभार आदरणीया MAHIMA SHREE जी !! लड़का लूला या लंगड़ा हुआ गूंगा…tag:openbooks.ning.com,2014-06-14:5170231:Comment:5483522014-06-14T04:15:10.691ZMAHIMA SHREEhttp://openbooks.ning.com/profile/MAHIMASHREE
<p>लड़का लूला या लंगड़ा हुआ गूंगा बहरा या काला हुआ ,<br/> मुझसे पूछा बताया नहीं सबको मैं ही दिखा ली गयी |.....</p>
<p>शायद पहली बार इतना कठोर तंज में समाज के काले चेहरे का आपने पर्दाफाश किया .. दहला देने वाली घटनाएं आँखों के सामने जैसे गुजरने लगी ... आपकी कलम को नमन .. यादगार ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाईयाँ सादर</p>
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<p>लड़का लूला या लंगड़ा हुआ गूंगा बहरा या काला हुआ ,<br/> मुझसे पूछा बताया नहीं सबको मैं ही दिखा ली गयी |.....</p>
<p>शायद पहली बार इतना कठोर तंज में समाज के काले चेहरे का आपने पर्दाफाश किया .. दहला देने वाली घटनाएं आँखों के सामने जैसे गुजरने लगी ... आपकी कलम को नमन .. यादगार ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाईयाँ सादर</p>
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<p></p> आभार अभिवादन अभिनन्दन आदरणीया…tag:openbooks.ning.com,2014-06-13:5170231:Comment:5480952014-06-13T15:42:07.313ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
आभार अभिवादन अभिनन्दन आदरणीया गीतिका 'वेदिका' जी , अरसे बाद कुछ लिखा यहाँ , आपका प्रोत्साहन अरसे बाद मिला , धन्य हुआ , धन्यवाद !!
आभार अभिवादन अभिनन्दन आदरणीया गीतिका 'वेदिका' जी , अरसे बाद कुछ लिखा यहाँ , आपका प्रोत्साहन अरसे बाद मिला , धन्य हुआ , धन्यवाद !! आदरणीया गीतिका 'वेदिका' जी आभ…tag:openbooks.ning.com,2014-06-13:5170231:Comment:5482672014-06-13T15:41:25.164ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
आदरणीया गीतिका 'वेदिका' जी आभार अभिवादन अभिनन्दन , मुद्दत बात आपका प्रोत्साहन मिला , ग़ज़ल धन्य हुई !!
आदरणीया गीतिका 'वेदिका' जी आभार अभिवादन अभिनन्दन , मुद्दत बात आपका प्रोत्साहन मिला , ग़ज़ल धन्य हुई !! द्रौपदी नोच डाली गयी घर से सी…tag:openbooks.ning.com,2014-06-13:5170231:Comment:5480792014-06-13T12:37:27.546Zवेदिकाhttp://openbooks.ning.com/profile/vedikagitika
<p>द्रौपदी नोच डाली गयी घर से सीता निकाली गयी |<br/> आज या कल के उस दौर में मैं कहाँ कब संभाली गयी |<br/><br/>बहुत खूब तञ्ज किया है आप् ने स मा ज की अव्यवस्था पर<br/>हार्दिक शुभकाम्नाये</p>
<p>द्रौपदी नोच डाली गयी घर से सीता निकाली गयी |<br/> आज या कल के उस दौर में मैं कहाँ कब संभाली गयी |<br/><br/>बहुत खूब तञ्ज किया है आप् ने स मा ज की अव्यवस्था पर<br/>हार्दिक शुभकाम्नाये</p>