Comments - अजन्मी उम्मीदें --- अरुण श्री - Open Books Online2024-03-29T15:19:13Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A546123&xn_auth=noकविता को सराहने के लिए आप सभी…tag:openbooks.ning.com,2014-06-12:5170231:Comment:5473962014-06-12T04:34:53.717ZArun Srihttp://openbooks.ning.com/profile/ArunSrivastava
कविता को सराहने के लिए आप सभी को सादर धन्यवाद !
कविता को सराहने के लिए आप सभी को सादर धन्यवाद ! कविता का कैनवास बड़ा है. इस कै…tag:openbooks.ning.com,2014-06-09:5170231:Comment:5471332014-06-09T12:00:49.071ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>कविता का कैनवास बड़ा है. इस कैनवास पर शब्द रंगने के लिए धन्यवाद. <br></br><br></br>यह सही है, देश करवट लेता दिख रहा है. आगे की उम्मीदों को सच्चाई मिले जो रोमांचकारी और उत्फुल्लताप्रदायी हो. वर्ना इसी कविता ने अबतक की उम्मीदों के हश्र का जो कोलाज साझा किया है वह विद्रुपकारी ही है. <br></br>कविता की उबाल आश्वस्त करती है. परन्तु एक बात और है, उबाल के प्रकारों में एक प्रकार दूध का ’फफाना’ भी है, जिसे तनिक पनिया दिया जाये ठण्ढी मार के तो एकबार में फुस्स हो जाता है. <br></br>भस्मीभूत उम्मीदों की राख शिवत्वधारी…</p>
<p>कविता का कैनवास बड़ा है. इस कैनवास पर शब्द रंगने के लिए धन्यवाद. <br/><br/>यह सही है, देश करवट लेता दिख रहा है. आगे की उम्मीदों को सच्चाई मिले जो रोमांचकारी और उत्फुल्लताप्रदायी हो. वर्ना इसी कविता ने अबतक की उम्मीदों के हश्र का जो कोलाज साझा किया है वह विद्रुपकारी ही है. <br/>कविता की उबाल आश्वस्त करती है. परन्तु एक बात और है, उबाल के प्रकारों में एक प्रकार दूध का ’फफाना’ भी है, जिसे तनिक पनिया दिया जाये ठण्ढी मार के तो एकबार में फुस्स हो जाता है. <br/>भस्मीभूत उम्मीदों की राख शिवत्वधारी भभूत हो. और, उम्मीदें फिनिक्स का जीवन जीये... <br/>आमीन !<br/><br/>कचोटती उबालों को ऐसे ही शब्द देते रहें. हमें भी खासी उम्मीदें हैं. :-)))<br/>एक बार फिर से मन खुश कर दिया आपने भाई. <br/>जय-जय<br/><br/></p> क्रांति ही क्रांति , उबन और उ…tag:openbooks.ning.com,2014-06-07:5170231:Comment:5466702014-06-07T12:17:30.904Zविजय मिश्रhttp://openbooks.ning.com/profile/37jicf27kggmy
क्रांति ही क्रांति , उबन और उबास में उसाँस लेती ये रचना आजकी सत्ता-संस्था और उसके अव्ययीभाव और प्रत्यय जो अर्थ की दृष्टि से पूर्णतः भिन्न है पर किसी भी प्रबुद्ध को चिंतन करने के लिए बाध्य करती है |क्या ही उत्कटता ऊभर कर आई है ! अनन्य शुभकामना इस जाग्रत रचना केलिए श्री अरुण श्रीजी
क्रांति ही क्रांति , उबन और उबास में उसाँस लेती ये रचना आजकी सत्ता-संस्था और उसके अव्ययीभाव और प्रत्यय जो अर्थ की दृष्टि से पूर्णतः भिन्न है पर किसी भी प्रबुद्ध को चिंतन करने के लिए बाध्य करती है |क्या ही उत्कटता ऊभर कर आई है ! अनन्य शुभकामना इस जाग्रत रचना केलिए श्री अरुण श्रीजी हिलाने वाली , झकझोरने वाली ..…tag:openbooks.ning.com,2014-06-07:5170231:Comment:5465702014-06-07T06:47:12.283ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>हिलाने वाली , झकझोरने वाली ..क्रांतिकारी रचना ..वर्तमान परिदृश्य का बखूबी चित्रण करती रचना ..बिलकुल हट कर ताजगी से भरी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर </p>
<p>हिलाने वाली , झकझोरने वाली ..क्रांतिकारी रचना ..वर्तमान परिदृश्य का बखूबी चित्रण करती रचना ..बिलकुल हट कर ताजगी से भरी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर </p> वर्तमान का आकलन और भविष्योन्म…tag:openbooks.ning.com,2014-06-07:5170231:Comment:5465642014-06-07T05:54:28.547ZJAGDISH PRASAD JEND PANKAJhttp://openbooks.ning.com/profile/JAGDISHPRASADJENDPANKAJ
<p>वर्तमान का आकलन और भविष्योन्मुख विचारदृष्टि का सार है अग्निधर्मा शब्दों में। अपने आग्नेय प्रभाव के साथ उत्कृष्ट और आश्वस्त करती कविता के लिए अरुण श्री जी को बधाई -जगदीश पंकज </p>
<p>वर्तमान का आकलन और भविष्योन्मुख विचारदृष्टि का सार है अग्निधर्मा शब्दों में। अपने आग्नेय प्रभाव के साथ उत्कृष्ट और आश्वस्त करती कविता के लिए अरुण श्री जी को बधाई -जगदीश पंकज </p> आपको पढ़ना मेरे लिए उपलब्धि है…tag:openbooks.ning.com,2014-06-07:5170231:Comment:5465582014-06-07T04:26:23.537Zबृजेश नीरजhttp://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आपको पढ़ना मेरे लिए उपलब्धि है और यह गर्व की बात कि मैं आपको जानता हूँ. आपकी लेखनी के लिए मैं इससे अधिक क्या कह सकता हूँ? आपके लिखे पर इससे अधिक कुछ कहना मेरे लिए अपने ही सामर्थ्य को चुनौती देने जैसा ही है.</p>
<p>आपकी इस बेबाक रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई!</p>
<p>आपको पढ़ना मेरे लिए उपलब्धि है और यह गर्व की बात कि मैं आपको जानता हूँ. आपकी लेखनी के लिए मैं इससे अधिक क्या कह सकता हूँ? आपके लिखे पर इससे अधिक कुछ कहना मेरे लिए अपने ही सामर्थ्य को चुनौती देने जैसा ही है.</p>
<p>आपकी इस बेबाक रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई!</p> बहुत कुछ कहती है ...आपकी कवित…tag:openbooks.ning.com,2014-06-06:5170231:Comment:5467132014-06-06T14:11:06.472ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>बहुत कुछ कहती है ...आपकी कविता...</p>
<p>कुछ दिन और इंतजार कर ले </p>
<p>मंदिर गुरूद्वारे में संहार कर लें,</p>
<p>अब बोधिवृक्ष नहीं, दरिंदगी का दीदार कर लें!</p>
<p>बहुत कुछ कहती है ...आपकी कविता...</p>
<p>कुछ दिन और इंतजार कर ले </p>
<p>मंदिर गुरूद्वारे में संहार कर लें,</p>
<p>अब बोधिवृक्ष नहीं, दरिंदगी का दीदार कर लें!</p> प्रिय अरुण जी
आपको पढ़ना अच्छा…tag:openbooks.ning.com,2014-06-05:5170231:Comment:5462542014-06-05T06:27:37.301Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>प्रिय अरुण जी</p>
<p>आपको पढ़ना अच्छा लगता है i आपके पास जादुई कलम है i आपके ह्रदय में कितनी ज्वाला है मै नहीं जानता मगर आप की लेखनी आग उगलती है i आप सही मायने में नैचुरल कवि है - एक क्रांतिकारी कवि - ठीक भी है -</p>
<p> जब तक मन में आग तभी तक ओठ कलम के गीले है i</p>
<p>शुब कामना सहित i</p>
<p>प्रिय अरुण जी</p>
<p>आपको पढ़ना अच्छा लगता है i आपके पास जादुई कलम है i आपके ह्रदय में कितनी ज्वाला है मै नहीं जानता मगर आप की लेखनी आग उगलती है i आप सही मायने में नैचुरल कवि है - एक क्रांतिकारी कवि - ठीक भी है -</p>
<p> जब तक मन में आग तभी तक ओठ कलम के गीले है i</p>
<p>शुब कामना सहित i</p> सच! आपकी रचना बहुत गहरा प्रभा…tag:openbooks.ning.com,2014-06-04:5170231:Comment:5460882014-06-04T18:33:38.772Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>सच! आपकी रचना बहुत गहरा प्रभाव छोडती है,आदरणीय अरुण श्री जी</p>
<p>सच! आपकी रचना बहुत गहरा प्रभाव छोडती है,आदरणीय अरुण श्री जी</p> इस कविता की शीर्षक ही बहुत कु…tag:openbooks.ning.com,2014-06-04:5170231:Comment:5460772014-06-04T12:42:55.400Zcoontee mukerjihttp://openbooks.ning.com/profile/coonteemukerji
<p>इस कविता की शीर्षक ही बहुत कुछ कह दिया कि वर्तमान के गर्भ में क्या है...और भविष्य में क्या होने वाला है....अनेकों साधुवाद अरून श्री जी.....सादर</p>
<p>इस कविता की शीर्षक ही बहुत कुछ कह दिया कि वर्तमान के गर्भ में क्या है...और भविष्य में क्या होने वाला है....अनेकों साधुवाद अरून श्री जी.....सादर</p>