Comments - विरोध और गुंडई - Open Books Online2024-03-29T01:27:48Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A524288&xn_auth=noअपने कथ्य को लिये यह कविता मा…tag:openbooks.ning.com,2014-04-07:5170231:Comment:5283682014-04-07T07:37:33.407ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>अपने कथ्य को लिये यह कविता मानो एक भ्रम में जीती हुई लगी. जिन इंगितों के बरक्स यह कविता चलती है वे स्वयं भ्रम के वातावरण का निर्माण करते दीखे हैं. शाब्दिक हुई कई बातें अंतर्निहित भावनाओं के कारण सुहाती अवश्य हैं लेकिन तार्किकता और सार्थकता की कसौटी पर भी वे मान्य हों ऐसा सदा नहीं होता. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ, कि सूरज जिसके राज्य में नहीं डूबता था के सापेक्ष आपकी अत्यंत सार्थक पंक्ति - गुण्डई इंकिलाब नहीं.. अपनी ताकत को जाया होते देख रही है. क्यों कि वह एक पंक्ति कई विचारधाराओं को साधने चली…</p>
<p>अपने कथ्य को लिये यह कविता मानो एक भ्रम में जीती हुई लगी. जिन इंगितों के बरक्स यह कविता चलती है वे स्वयं भ्रम के वातावरण का निर्माण करते दीखे हैं. शाब्दिक हुई कई बातें अंतर्निहित भावनाओं के कारण सुहाती अवश्य हैं लेकिन तार्किकता और सार्थकता की कसौटी पर भी वे मान्य हों ऐसा सदा नहीं होता. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ, कि सूरज जिसके राज्य में नहीं डूबता था के सापेक्ष आपकी अत्यंत सार्थक पंक्ति - गुण्डई इंकिलाब नहीं.. अपनी ताकत को जाया होते देख रही है. क्यों कि वह एक पंक्ति कई विचारधाराओं को साधने चली है. मुझे पूरी तरह विदित है कि आजकी अव्यवस्था और लिप्सा की पराकाष्ठा कई विवादों की जन्मदाता हैं. लेकिन हम एक ही साधै सब सधै से इसे नहीं साध सकते. फिरभी आपकी इस वैचारिक कविता के लिए हार्दिक बधाइयाँ.<br/>सादर<br/><br/></p> कितना ही अच्छा होता जो ऐसी आ…tag:openbooks.ning.com,2014-03-31:5170231:Comment:5265332014-03-31T06:11:33.187ZArun Srihttp://openbooks.ning.com/profile/ArunSrivastava
<p>कितना ही अच्छा होता जो ऐसी आदर्शवादी कविताएँ समाज में साकार हो पातीं ! आशावादी ! </p>
<p>कितना ही अच्छा होता जो ऐसी आदर्शवादी कविताएँ समाज में साकार हो पातीं ! आशावादी ! </p> भावनायें मुखर होकर स्थान प्रा…tag:openbooks.ning.com,2014-03-28:5170231:Comment:5244902014-03-28T10:12:08.682ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>भावनायें मुखर होकर स्थान प्राप्त की है, रचना कुछ अधिक विस्तार पा गई है, कविता अच्छी लगी, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>भावनायें मुखर होकर स्थान प्राप्त की है, रचना कुछ अधिक विस्तार पा गई है, कविता अच्छी लगी, बधाई स्वीकार करें ।</p>