Comments - कुण्डलिया छन्द - Open Books Online2024-03-29T15:23:53Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A506906&xn_auth=noMeena Pathak जी,
छंद की सराहन…tag:openbooks.ning.com,2014-02-21:5170231:Comment:5142012014-02-21T12:03:02.198ZC.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"http://openbooks.ning.com/profile/CMUpadhyayShoonyaAkankshi
<p><strong>Meena Pathak</strong> जी,</p>
<p>छंद की सराहना करने और बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद । </p>
<p><strong>Meena Pathak</strong> जी,</p>
<p>छंद की सराहना करने और बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद । </p> आपकी आकर्षक टिप्पणी ने मुझे आ…tag:openbooks.ning.com,2014-02-18:5170231:Comment:5136462014-02-18T18:02:16.377ZC.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"http://openbooks.ning.com/profile/CMUpadhyayShoonyaAkankshi
<p><span>आपकी आकर्षक टिप्पणी ने मुझे आनंदित किया है । छंद की सराहना करने और बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी । </span></p>
<p><span>आपकी आकर्षक टिप्पणी ने मुझे आनंदित किया है । छंद की सराहना करने और बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी । </span></p> मेरे कुण्डलिया छंद आपको पसंद…tag:openbooks.ning.com,2014-02-16:5170231:Comment:5131952014-02-16T18:22:09.299ZC.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"http://openbooks.ning.com/profile/CMUpadhyayShoonyaAkankshi
<p><span>मेरे कुण्डलिया छंद आपको पसंद आए, यह जानकर प्रसन्नता हुई । मनभावन टिप्पणी करने के लिए </span><span>आपका धन्यवाद </span><span>Shyam Narain Verma जी । </span></p>
<p><span>मेरे कुण्डलिया छंद आपको पसंद आए, यह जानकर प्रसन्नता हुई । मनभावन टिप्पणी करने के लिए </span><span>आपका धन्यवाद </span><span>Shyam Narain Verma जी । </span></p> प्रशंसा और उत्साहरुपी शब्दोँ…tag:openbooks.ning.com,2014-02-11:5170231:Comment:5109412014-02-11T13:59:59.508ZC.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"http://openbooks.ning.com/profile/CMUpadhyayShoonyaAkankshi
<p><span>प्रशंसा और उत्साहरुपी शब्दोँ की बारिश मेँ आपने भिगो दिया श्री Saurabh Pandey </span><span>जी ! आपकी टिप्पणी ने सार्थक लेखन के लिए मुझे सम्बल प्रदान किया है । सादर आभारी हूँ । </span></p>
<p><span> </span></p>
<p><span> ट्रेड यूनियन और सामाजिक दायित्वों में अत्यधिक व्यस्त रहने के कारण मैं नेट पर कम समय दे पाता हूँ, ख़ास तौर से ब्लॉग लेखन में । OBO को देखने के बाद इसने मुझे काफी प्रभावित किया । प्रयत्न करूँगा कि माह में कम-से-कम दो बार अपनी रचनाएँ यहाँ पोस्ट कर…</span></p>
<p><span>प्रशंसा और उत्साहरुपी शब्दोँ की बारिश मेँ आपने भिगो दिया श्री Saurabh Pandey </span><span>जी ! आपकी टिप्पणी ने सार्थक लेखन के लिए मुझे सम्बल प्रदान किया है । सादर आभारी हूँ । </span></p>
<p><span> </span></p>
<p><span> ट्रेड यूनियन और सामाजिक दायित्वों में अत्यधिक व्यस्त रहने के कारण मैं नेट पर कम समय दे पाता हूँ, ख़ास तौर से ब्लॉग लेखन में । OBO को देखने के बाद इसने मुझे काफी प्रभावित किया । प्रयत्न करूँगा कि माह में कम-से-कम दो बार अपनी रचनाएँ यहाँ पोस्ट कर सकूँ । </span></p>
<p><span> </span></p>
<p><span>सादर :</span></p>
<p><span>शून्य आकांक्षी </span></p> उत्कृष्ट कथ्य को प्रस्तुत करत…tag:openbooks.ning.com,2014-02-07:5170231:Comment:5089262014-02-07T06:34:53.275ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>उत्कृष्ट कथ्य को प्रस्तुत करती बहुत सुन्दर संदेशपरक कुण्डलियाँ</p>
<p></p>
<p>दोनों ही बहुत पसंद आयीं </p>
<p>हृदय से बधाई आ० सी० एम० उपाध्याय जी </p>
<p>उत्कृष्ट कथ्य को प्रस्तुत करती बहुत सुन्दर संदेशपरक कुण्डलियाँ</p>
<p></p>
<p>दोनों ही बहुत पसंद आयीं </p>
<p>हृदय से बधाई आ० सी० एम० उपाध्याय जी </p> आदरणीय शून्य आकांक्षीजी, सर्व…tag:openbooks.ning.com,2014-02-05:5170231:Comment:5082532014-02-05T19:59:25.356ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय शून्य आकांक्षीजी, सर्वप्रथम आपका इस मंच पर हार्दिक स्वागत है. आपकी इस मंच पर कोई पहली दो रचनाएँ देख रहा हूँ जो शिल्प और कथ्य की दृष्टि से सुगढ़ कुण्डलिया छंदों में हैं. <br/>अपनी भावनाओं को जिस अधिकार से आपके छंद प्रस्तुत कर रहे हैं वह श्लाघनीय और अनुकरणीय है. विशेषकर दूसरी कुण्डलिया तो अत्यंत संदेशपरक बन पड़ी है. <br/>हृदय से बधाइयाँ और शुभकामनाएँ <br/>सादर</p>
<p></p>
<p>आदरणीय शून्य आकांक्षीजी, सर्वप्रथम आपका इस मंच पर हार्दिक स्वागत है. आपकी इस मंच पर कोई पहली दो रचनाएँ देख रहा हूँ जो शिल्प और कथ्य की दृष्टि से सुगढ़ कुण्डलिया छंदों में हैं. <br/>अपनी भावनाओं को जिस अधिकार से आपके छंद प्रस्तुत कर रहे हैं वह श्लाघनीय और अनुकरणीय है. विशेषकर दूसरी कुण्डलिया तो अत्यंत संदेशपरक बन पड़ी है. <br/>हृदय से बधाइयाँ और शुभकामनाएँ <br/>सादर</p>
<p></p> वाह ! बहुत सुन्दर कुंडलिया छं…tag:openbooks.ning.com,2014-02-03:5170231:Comment:5076372014-02-03T13:30:07.227Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>वाह ! बहुत सुन्दर कुंडलिया छंद | सुस्न्दर भाव | हार्दिक बधाई श्री से एम् उपाध्याय जी </p>
<p>वाह ! बहुत सुन्दर कुंडलिया छंद | सुस्न्दर भाव | हार्दिक बधाई श्री से एम् उपाध्याय जी </p> आदरणीय उपाध्याय भाई , लाजवाब…tag:openbooks.ning.com,2014-02-03:5170231:Comment:5073582014-02-03T13:17:29.162Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय उपाध्याय भाई , लाजवाब कुंडलिया रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥</p>
<p>आदरणीय उपाध्याय भाई , लाजवाब कुंडलिया रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥</p> बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ .. बधा…tag:openbooks.ning.com,2014-02-03:5170231:Comment:5069592014-02-03T08:53:23.960ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ .. बधाई | </p>
<p>बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ .. बधाई | </p> आदरणीय उपाध्यायजी,
क्या कहने…tag:openbooks.ning.com,2014-02-03:5170231:Comment:5070352014-02-03T06:52:35.985Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p>आदरणीय उपाध्यायजी, </p>
<p>क्या कहने, बहुत सुंदर , हार्दिक बधाई॥</p>
<p>आदरणीय उपाध्यायजी, </p>
<p>क्या कहने, बहुत सुंदर , हार्दिक बधाई॥</p>