Comments - अब तो प्रभु दर्शन दे दो ...... - Open Books Online2024-03-29T11:07:01Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A505699&xn_auth=noबहुत बहुत शुक्रिया अनीता tag:openbooks.ning.com,2014-02-04:5170231:Comment:5078632014-02-04T08:08:36.809ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>बहुत बहुत शुक्रिया अनीता </p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया अनीता </p> आदरनीया प्राची जी इतने अच्छे…tag:openbooks.ning.com,2014-02-04:5170231:Comment:5078622014-02-04T08:07:49.879ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>आदरनीया प्राची जी इतने अच्छे से समझाने के लिए तहेदिल से आभार स्वीकार कीजिये ..प्रयास कर रही हूँ शिल्प को थामने की पर हर बार कमी रह जाती है ... :((</p>
<p>आदरनीया प्राची जी इतने अच्छे से समझाने के लिए तहेदिल से आभार स्वीकार कीजिये ..प्रयास कर रही हूँ शिल्प को थामने की पर हर बार कमी रह जाती है ... :((</p> बहुत ही सुन्दर भाव है दी, प्र…tag:openbooks.ning.com,2014-02-04:5170231:Comment:5078572014-02-04T07:42:35.012ZAnita Mauryahttp://openbooks.ning.com/profile/AnitaMaurya
<p>बहुत ही सुन्दर भाव है दी, प्राची जी की बातें गौर करने लायक हैं, मैं भी बहुत नही जानती लेकिन आपके माध्यम से मुझे भी सीखने को मिलेगा, ऐसी उम्मीद है। सुन्दर रचना के लिए बधाई। </p>
<p>बहुत ही सुन्दर भाव है दी, प्राची जी की बातें गौर करने लायक हैं, मैं भी बहुत नही जानती लेकिन आपके माध्यम से मुझे भी सीखने को मिलेगा, ऐसी उम्मीद है। सुन्दर रचना के लिए बधाई। </p> प्रभु प्रेम में सर्वस समर्पित…tag:openbooks.ning.com,2014-02-04:5170231:Comment:5080102014-02-04T07:21:59.778ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>प्रभु प्रेम में सर्वस समर्पित करती सुन्दर भाव प्रस्तुति... इसके लिए आपको साधुवाद आदरणीया </p>
<p></p>
<p>भावों को इस तरह से सहेजना कि मनोदशा भी अभिव्यक्त हो और प्रस्तुति भी संयत रहे यह सम्प्रेषण के लिए बहुत ज़रूरी है..</p>
<p>जब रचनाकर्म आपकी रूचि है तो सम्प्रेषण के सार्थक स्पष्ट आयामों को समझने का आग्रही भी आपको होना ही चाहिए.... </p>
<p>क्या रचना आंचलिक लिखनी है या सामान्य हिन्दी में ?</p>
<p>क्या हर बंद का संयोजन एक सा रखना है ?</p>
<p>तुकांतता का निर्वाह कहाँ कहाँ किया जाता है और कैसे…</p>
<p>प्रभु प्रेम में सर्वस समर्पित करती सुन्दर भाव प्रस्तुति... इसके लिए आपको साधुवाद आदरणीया </p>
<p></p>
<p>भावों को इस तरह से सहेजना कि मनोदशा भी अभिव्यक्त हो और प्रस्तुति भी संयत रहे यह सम्प्रेषण के लिए बहुत ज़रूरी है..</p>
<p>जब रचनाकर्म आपकी रूचि है तो सम्प्रेषण के सार्थक स्पष्ट आयामों को समझने का आग्रही भी आपको होना ही चाहिए.... </p>
<p>क्या रचना आंचलिक लिखनी है या सामान्य हिन्दी में ?</p>
<p>क्या हर बंद का संयोजन एक सा रखना है ?</p>
<p>तुकांतता का निर्वाह कहाँ कहाँ किया जाता है और कैसे किया जाता है ?</p>
<p>क्या यही भाव थोड़े कम शब्दों में और सांद्रता के साथ प्रस्तुत किये जा सकते हैं ?</p>
<p>किस तरह की अंतर्गेयता व्यस्था रखनी है ?</p>
<p>ये सब कुछ मूलभूत बाते हैं जो रचना के ढाँचे को तैयार करती हैं... फिर उनमें अपने भाव पिरोने होते हैं.</p>
<p>इन सात्विक समर्पण भावों को सुदृढ़ शिल्प का आधार न मिल पाने के कारण प्रस्तुति बिखरी बिखरी सी लगी..</p>
<p></p>
<p>पुनः इन भावों की शुचिता के लिए आपको हृदय तल से बधाई </p>
<p>उम्मीद है कि मेरा कहा सार्थक लगेगा .</p>
<p></p>
<p>सस्नेह शुभकामनाएं </p>
<p></p>
<p></p> आदरणीय नीरज 'प्रेम' जी हृदयतल…tag:openbooks.ning.com,2014-02-04:5170231:Comment:5078542014-02-04T07:13:56.447ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>आदरणीय नीरज 'प्रेम' जी हृदयतल से आभार स्वीकारें </p>
<p>आदरणीय नीरज 'प्रेम' जी हृदयतल से आभार स्वीकारें </p> आदरणीय मदन मोहन जी बहुत बहुत…tag:openbooks.ning.com,2014-02-04:5170231:Comment:5078532014-02-04T07:12:35.413ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>आदरणीय मदन मोहन जी बहुत बहुत आभार </p>
<p>आदरणीय मदन मोहन जी बहुत बहुत आभार </p> आदरणीय सौरभ सर जी रचना को समय…tag:openbooks.ning.com,2014-02-04:5170231:Comment:5077352014-02-04T07:11:43.357ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>आदरणीय सौरभ सर जी रचना को समय देने के लिए हृदय से आभार | सादर </p>
<p>आदरणीय सौरभ सर जी रचना को समय देने के लिए हृदय से आभार | सादर </p> मैंने एक गाना बचपन में लिखा थ…tag:openbooks.ning.com,2014-02-04:5170231:Comment:5079102014-02-04T05:54:33.045ZNeeraj Nishchalhttp://openbooks.ning.com/profile/NeerajMishra
<p>मैंने एक गाना बचपन में लिखा था उस से काफी मिलता जुलता आपने लिखा है</p>
<p></p>
<p>बीती जाए उमरिया , अब तो आजा सावंरिया ,<br/> तेरी राह तके दिन रैना । <br/> मेरे प्यासे प्यासे नैना ।</p>
<p></p>
<p>बहुत बहुत तहे दिल से बधाई आपको <br/> और बहु अच्छा लगा भावों और शब्दों का ये मेल देख कर ।</p>
<p>मैंने एक गाना बचपन में लिखा था उस से काफी मिलता जुलता आपने लिखा है</p>
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<p>बीती जाए उमरिया , अब तो आजा सावंरिया ,<br/> तेरी राह तके दिन रैना । <br/> मेरे प्यासे प्यासे नैना ।</p>
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<p>बहुत बहुत तहे दिल से बधाई आपको <br/> और बहु अच्छा लगा भावों और शब्दों का ये मेल देख कर ।</p> बहुत सुंदरtag:openbooks.ning.com,2014-02-04:5170231:Comment:5078272014-02-04T05:45:57.912ZMadan Mohan saxenahttp://openbooks.ning.com/profile/MadanMohansaxena
बहुत सुंदर
बहुत सुंदर जय हो.. शुभ-शुभ
tag:openbooks.ning.com,2014-02-03:5170231:Comment:5077182014-02-03T23:16:41.627ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>जय हो.. शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>जय हो.. शुभ-शुभ</p>
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