Comments - लेकिन.... - Open Books Online2024-03-28T12:32:38Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A499971&xn_auth=noभावपूर्ण इस रचना के लिये बधाई…tag:openbooks.ning.com,2014-01-17:5170231:Comment:5009242014-01-17T15:07:23.076Zरमेश कुमार चौहानhttp://openbooks.ning.com/profile/Rameshkumarchauhan
<p>भावपूर्ण इस रचना के लिये बधाई आदरणीय सुहैलजी</p>
<p>भावपूर्ण इस रचना के लिये बधाई आदरणीय सुहैलजी</p> आपके कहने का अंदाज़ बदला हुआ स…tag:openbooks.ning.com,2014-01-16:5170231:Comment:5005502014-01-16T18:03:04.341ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपके कहने का अंदाज़ बदला हुआ सा लग रहा है. यह भी सही.</p>
<p>बढिया है.</p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p>आपके कहने का अंदाज़ बदला हुआ सा लग रहा है. यह भी सही.</p>
<p>बढिया है.</p>
<p>सादर</p>
<p></p> चलो मान भी जाओ, आओ, समझो पीड़…tag:openbooks.ning.com,2014-01-16:5170231:Comment:5004532014-01-16T16:43:46.497Zcoontee mukerjihttp://openbooks.ning.com/profile/coonteemukerji
<p><span>चलो मान भी जाओ, आओ, समझो पीड़ा मेरी </span><br/><span>अपने दुःख-दर्दों के मिलजुल गीत बनाएं </span><br/><span>सुख-दुःख के मलहम का ऐसा लेप लगाएं </span><br/><span>कि उस 'लेकिन' की पीड़ा से मुक्ति पायें.......बहुत सुंदर..बधाई अनवर जी.<br/></span></p>
<p><span>चलो मान भी जाओ, आओ, समझो पीड़ा मेरी </span><br/><span>अपने दुःख-दर्दों के मिलजुल गीत बनाएं </span><br/><span>सुख-दुःख के मलहम का ऐसा लेप लगाएं </span><br/><span>कि उस 'लेकिन' की पीड़ा से मुक्ति पायें.......बहुत सुंदर..बधाई अनवर जी.<br/></span></p> वाह !! बहुत सुंदर रचना हेतु …tag:openbooks.ning.com,2014-01-16:5170231:Comment:5004292014-01-16T13:10:18.131Zannapurna bajpaihttp://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>वाह !! बहुत सुंदर रचना हेतु बहुत बधाई स्वीकारें आ0 सुहैल जी । </p>
<p>वाह !! बहुत सुंदर रचना हेतु बहुत बधाई स्वीकारें आ0 सुहैल जी । </p> चलो मान भी जाओ, आओ, समझो पीड़…tag:openbooks.ning.com,2014-01-16:5170231:Comment:5003152014-01-16T09:12:55.827ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p><span>चलो मान भी जाओ, आओ, समझो पीड़ा मेरी </span><br/><span>अपने दुःख-दर्दों के मिलजुल गीत बनाएं </span><br/><span>सुख-दुःख के मलहम का ऐसा लेप लगाएं </span><br/><span>कि उस 'लेकिन' की पीड़ा से मुक्ति पायें....................... बहुत सुन्दर आ० अनवर जी | बधाई </span></p>
<p><span>चलो मान भी जाओ, आओ, समझो पीड़ा मेरी </span><br/><span>अपने दुःख-दर्दों के मिलजुल गीत बनाएं </span><br/><span>सुख-दुःख के मलहम का ऐसा लेप लगाएं </span><br/><span>कि उस 'लेकिन' की पीड़ा से मुक्ति पायें....................... बहुत सुन्दर आ० अनवर जी | बधाई </span></p>