Comments - बाज़ार के लुटेरे.... - Open Books Online2024-03-29T06:32:07Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A499275&xn_auth=noअनवर भाई ! आजके बाजार और उसके…tag:openbooks.ning.com,2014-01-15:5170231:Comment:5002132014-01-15T10:59:53.747Zविजय मिश्रhttp://openbooks.ning.com/profile/37jicf27kggmy
अनवर भाई ! आजके बाजार और उसके तिलीस्म से रुबरु कराती बेहद संजीदा कविता |बधाई |
अनवर भाई ! आजके बाजार और उसके तिलीस्म से रुबरु कराती बेहद संजीदा कविता |बधाई | बाज़ारवाद का कसता हुआ शिकंजा औ…tag:openbooks.ning.com,2014-01-14:5170231:Comment:4996612014-01-14T19:31:23.319ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>बाज़ारवाद का कसता हुआ शिकंजा और छटपटाती हुई आम ज़िन्दग़ी ! बहुत सुन्दर रचना हुई है, आदरणीय अनवर साहब.</p>
<p></p>
<p>एक अरसे से महसूस कर रहा था कि, इस अत्यंत आग्रही और जीवंत विषय पर कवियों की संवेदना छटपटा ही नहीं रही थी. क्यों कवि-मन इतने निर्लिप्त हुए दीखते हैं, विशेषकर उन विषयों से, जो आम-जन को रसोई से लेकर बरामदे के बीच पड़ने वाले सभी कमरों से सारोकार रखते है. </p>
<p>आपकी सोच और रचनाधर्मिता को मेरा सादर प्रणाम.</p>
<p></p>
<p>बाज़ारवाद का कसता हुआ शिकंजा और छटपटाती हुई आम ज़िन्दग़ी ! बहुत सुन्दर रचना हुई है, आदरणीय अनवर साहब.</p>
<p></p>
<p>एक अरसे से महसूस कर रहा था कि, इस अत्यंत आग्रही और जीवंत विषय पर कवियों की संवेदना छटपटा ही नहीं रही थी. क्यों कवि-मन इतने निर्लिप्त हुए दीखते हैं, विशेषकर उन विषयों से, जो आम-जन को रसोई से लेकर बरामदे के बीच पड़ने वाले सभी कमरों से सारोकार रखते है. </p>
<p>आपकी सोच और रचनाधर्मिता को मेरा सादर प्रणाम.</p>
<p></p> सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिय…tag:openbooks.ning.com,2014-01-14:5170231:Comment:4993992014-01-14T11:51:54.465ZShyam Narain Vermahttp://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<table cellspacing="0" width="462" border="0">
<colgroup><col width="462"></col></colgroup><tbody><tr><td align="left" width="462" height="20">सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये बधाई.....</td>
</tr>
</tbody>
</table>
<table cellspacing="0" width="462" border="0">
<colgroup><col width="462"></col></colgroup><tbody><tr><td align="left" width="462" height="20">सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये बधाई.....</td>
</tr>
</tbody>
</table> सुन्दर रचना हेतु बधाई आप को tag:openbooks.ning.com,2014-01-14:5170231:Comment:4995042014-01-14T09:09:09.897ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>सुन्दर रचना हेतु बधाई आप को </p>
<p>सुन्दर रचना हेतु बधाई आप को </p>