Comments - ग़ज़ल - माँ जो होती है तो घर लगता है ! (अभिनव अरुण) - Open Books Online2024-03-28T08:20:01Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A495482&xn_auth=noआदरणीया डॉ साहिबा बहुत आभार औ…tag:openbooks.ning.com,2014-01-10:5170231:Comment:4978972014-01-10T06:14:34.853ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>आदरणीया डॉ साहिबा बहुत आभार और नव वर्ष की मंगल कमनाएँ ..सादर अभिवादन सहित !!</p>
<p>आदरणीया डॉ साहिबा बहुत आभार और नव वर्ष की मंगल कमनाएँ ..सादर अभिवादन सहित !!</p> बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आ० अरु…tag:openbooks.ning.com,2014-01-10:5170231:Comment:4979932014-01-10T04:06:11.359ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आ० अरुण जी </p>
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<p><span>दौर कैसा है नई नस्लों का,</span><br/><span>वक़्त से पहले ही पर लगता है |.................वाह! क्या कहने </span><br/><br/><span>है इधर रंग बदलती दुनिया,</span><br/><span>मैं चला जाऊं उधर लगता है |........................बहुत खूब </span></p>
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<p>बहुत बहुत बधाई</p>
<p>बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आ० अरुण जी </p>
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<p><span>दौर कैसा है नई नस्लों का,</span><br/><span>वक़्त से पहले ही पर लगता है |.................वाह! क्या कहने </span><br/><br/><span>है इधर रंग बदलती दुनिया,</span><br/><span>मैं चला जाऊं उधर लगता है |........................बहुत खूब </span></p>
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<p>बहुत बहुत बधाई</p> सादर प्रणाम अग्रज श्री इस वर्…tag:openbooks.ning.com,2014-01-09:5170231:Comment:4974952014-01-09T03:32:55.687ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>सादर प्रणाम अग्रज श्री इस वर्ष विशेष कृपा - स्नेह और आशीष की वर्षा करें '' सच का परचम '' लहराए इस हेतु प्रयत्न आपको ही करना है ...यकीन है ..और आप है तो फिर फतह होगी ...अल हम्दुलिल्लाह !!</p>
<p>सादर प्रणाम अग्रज श्री इस वर्ष विशेष कृपा - स्नेह और आशीष की वर्षा करें '' सच का परचम '' लहराए इस हेतु प्रयत्न आपको ही करना है ...यकीन है ..और आप है तो फिर फतह होगी ...अल हम्दुलिल्लाह !!</p> भाई अरुण अभिनवजी.. शेर दर शेर…tag:openbooks.ning.com,2014-01-08:5170231:Comment:4977292014-01-08T18:22:07.111ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई अरुण अभिनवजी.. <br/>शेर दर शेर कमाल करते गये हैं. वाह !<br/>दूर से सौ का सिफ़र लगना.. वाकई खूब कहा आपने. मज़ा आ गया. <br/><br/>दौर कैसा है नई नस्लों का,<br/>वक़्त से पहले ही पर लगता है.. इस शेर के लिए बहुत-बहुत बधाई.<br/><br/></p>
<p>भाई अरुण अभिनवजी.. <br/>शेर दर शेर कमाल करते गये हैं. वाह !<br/>दूर से सौ का सिफ़र लगना.. वाकई खूब कहा आपने. मज़ा आ गया. <br/><br/>दौर कैसा है नई नस्लों का,<br/>वक़्त से पहले ही पर लगता है.. इस शेर के लिए बहुत-बहुत बधाई.<br/><br/></p> आदरणीया प्रियंका जी बहुत धन्य…tag:openbooks.ning.com,2014-01-08:5170231:Comment:4974632014-01-08T12:07:47.618ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>आदरणीया प्रियंका जी बहुत धन्यवाद आपने गज़ल को समय दिया आभारी हूँ !!</p>
<p>आदरणीया प्रियंका जी बहुत धन्यवाद आपने गज़ल को समय दिया आभारी हूँ !!</p> श्रद्धेय श्री संपादक महोदय ..…tag:openbooks.ning.com,2014-01-08:5170231:Comment:4975502014-01-08T12:07:15.767ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>श्रद्धेय श्री संपादक महोदय ..आपका स्नेह और आशीर्वाद ...दुआ समान है ..ग़ज़ल और गज़लकार आभारी हैं ...सादर प्रणाम निवेदित है !! मार्गदर्शन की सदा आकांक्षा रहती है आपसे आभार !!</p>
<p>श्रद्धेय श्री संपादक महोदय ..आपका स्नेह और आशीर्वाद ...दुआ समान है ..ग़ज़ल और गज़लकार आभारी हैं ...सादर प्रणाम निवेदित है !! मार्गदर्शन की सदा आकांक्षा रहती है आपसे आभार !!</p> बहुत खूबसूरत अशआर हैं,सर.....…tag:openbooks.ning.com,2014-01-07:5170231:Comment:4971642014-01-07T11:04:01.057ZPriyanka singhhttp://openbooks.ning.com/profile/Priyankasingh
बहुत खूबसूरत अशआर हैं,सर.....बहुत बहुत बधाई आपको....
बहुत खूबसूरत अशआर हैं,सर.....बहुत बहुत बधाई आपको.... //इस ऊंचाई से न देखो मुझको ,द…tag:openbooks.ning.com,2014-01-07:5170231:Comment:4970722014-01-07T10:52:24.875Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>//इस ऊंचाई से न देखो मुझको ,<br/>दूर से सौ भी सिफर लगता है |//<br/><br/>लाजवाब !! हासिल-ए-ग़ज़ल शेअर। बहुत बहुत बधाई इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए आ० भाई अरुण जी.</p>
<p>//इस ऊंचाई से न देखो मुझको ,<br/>दूर से सौ भी सिफर लगता है |//<br/><br/>लाजवाब !! हासिल-ए-ग़ज़ल शेअर। बहुत बहुत बधाई इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए आ० भाई अरुण जी.</p> बहुत शुक्रिया और आभार आदरणीय …tag:openbooks.ning.com,2014-01-07:5170231:Comment:4967992014-01-07T02:15:57.618ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>बहुत शुक्रिया और आभार आदरणीय श्री शिज्जू जी आपकी टिप्पणी मेरी रचना प्रक्रिया को मजबूती देगी .</p>
<p>बहुत शुक्रिया और आभार आदरणीय श्री शिज्जू जी आपकी टिप्पणी मेरी रचना प्रक्रिया को मजबूती देगी .</p> //जाने किस दर्द से गुज़रा होगा…tag:openbooks.ning.com,2014-01-06:5170231:Comment:4967772014-01-06T14:38:55.498Zशिज्जु "शकूर"http://openbooks.ning.com/profile/ShijjuS
<p>//जाने किस दर्द से गुज़रा होगा ,<br/>शेर जज़्बात से तर लगता है |</p>
<p>इस ऊंचाई से न देखो मुझको ,<br/>दूर से सौ भी सिफर लगता है |// वाह बेहतरीन अशआर हैं, सौ और सिफर वाली सोच सबसे अलग है</p>
<p>इस खूबसूरत ग़ज़लके लिये आपको बहुत बहुत बधाई</p>
<p>//जाने किस दर्द से गुज़रा होगा ,<br/>शेर जज़्बात से तर लगता है |</p>
<p>इस ऊंचाई से न देखो मुझको ,<br/>दूर से सौ भी सिफर लगता है |// वाह बेहतरीन अशआर हैं, सौ और सिफर वाली सोच सबसे अलग है</p>
<p>इस खूबसूरत ग़ज़लके लिये आपको बहुत बहुत बधाई</p>