Comments - दो कवितायेँ - Open Books Online2024-03-29T12:29:22Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A489267&xn_auth=noदोनों कविताओं की भावदशा यथार्…tag:openbooks.ning.com,2013-12-26:5170231:Comment:4920852013-12-26T10:41:55.020ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>दोनों कविताओं की भावदशा यथार्थ को प्रस्तुत करती है, सुन्दर है और अंतर गेयता भी प्रभावी है.... पर कथ्य विन्यास और शिल्प दोनों ही और बेहतर हो सकते हैं...और, आओ को आयो क्यों लिखा गया है ?</p>
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<p>मंच पर अन्य प्रस्तुतियों को भी पढ़िए..</p>
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<p>दोनों ही रचनाओं के लिए बधाई..</p>
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<p>दोनों कविताओं की भावदशा यथार्थ को प्रस्तुत करती है, सुन्दर है और अंतर गेयता भी प्रभावी है.... पर कथ्य विन्यास और शिल्प दोनों ही और बेहतर हो सकते हैं...और, आओ को आयो क्यों लिखा गया है ?</p>
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<p>मंच पर अन्य प्रस्तुतियों को भी पढ़िए..</p>
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<p>दोनों ही रचनाओं के लिए बधाई..</p>
<p></p> दोनों ही कवितायें बहुत ही सुं…tag:openbooks.ning.com,2013-12-23:5170231:Comment:4909792013-12-23T12:44:16.706Zannapurna bajpaihttp://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>दोनों ही कवितायें बहुत ही सुंदर बन पड़ी है , दूसरी कविता ज्यादा दमदार है । बधाई आपको दोनों रचनाओं के लिए आ0 नीरज खरे जी । </p>
<p>दोनों ही कवितायें बहुत ही सुंदर बन पड़ी है , दूसरी कविता ज्यादा दमदार है । बधाई आपको दोनों रचनाओं के लिए आ0 नीरज खरे जी । </p> आदरणीय नीरज भाई ओ बी ओ पर आपक…tag:openbooks.ning.com,2013-12-23:5170231:Comment:4907962013-12-23T07:40:34.389Zअरुन 'अनन्त'http://openbooks.ning.com/profile/ArunSharma
<p>आदरणीय नीरज भाई ओ बी ओ पर आपका हार्दिक स्वागत है, दोनों ही कवितायेँ यथार्थ बयां कर रही हैं भाव बहुत ही अच्छा है हार्दिक बधाई स्वीकारें.</p>
<p>आदरणीय नीरज भाई ओ बी ओ पर आपका हार्दिक स्वागत है, दोनों ही कवितायेँ यथार्थ बयां कर रही हैं भाव बहुत ही अच्छा है हार्दिक बधाई स्वीकारें.</p> दोनों कविताएँ बहुत सुन्दर | स…tag:openbooks.ning.com,2013-12-23:5170231:Comment:4910292013-12-23T06:56:24.838ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>दोनों कविताएँ बहुत सुन्दर | सादर बधाई आदरणीय </p>
<p>दोनों कविताएँ बहुत सुन्दर | सादर बधाई आदरणीय </p> आदरणीय नीरज भाई , दोनो कविता…tag:openbooks.ning.com,2013-12-20:5170231:Comment:4898162013-12-20T15:38:27.383Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय नीरज भाई , दोनो कविता के भाव बहुत सुन्दर लगे ॥सुन्दर कविताओं के लिये आपको अनेकों बधाइयाँ ॥</p>
<p>आदरणीय नीरज भाई , दोनो कविता के भाव बहुत सुन्दर लगे ॥सुन्दर कविताओं के लिये आपको अनेकों बधाइयाँ ॥</p> बहुत सुंदरtag:openbooks.ning.com,2013-12-20:5170231:Comment:4895992013-12-20T13:49:21.545Zsavitamishrahttp://openbooks.ning.com/profile/savitamisra
<p><span><span>बहुत सुंदर</span></span></p>
<p><span><span>बहुत सुंदर</span></span></p> प्रिय नीरज जी
आपकी दो कविताये…tag:openbooks.ning.com,2013-12-20:5170231:Comment:4896842013-12-20T13:41:16.023Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>प्रिय नीरज जी</p>
<p>आपकी दो कविताये पढी i सचमुच आप परिपक्व हो गए है i दूसरी कविता की धार बहुत पैनी है i आप इस तरह लिखेंगे तो मुझे गर्व होगा i बहुत बहुरत बधाई i</p>
<p>प्रिय नीरज जी</p>
<p>आपकी दो कविताये पढी i सचमुच आप परिपक्व हो गए है i दूसरी कविता की धार बहुत पैनी है i आप इस तरह लिखेंगे तो मुझे गर्व होगा i बहुत बहुरत बधाई i</p>