Comments - खेल शब्दो का अजीब नही होता ??? - Open Books Online2024-03-29T07:01:04Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A482888&xn_auth=noबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सौरभ…tag:openbooks.ning.com,2013-12-30:5170231:Comment:4943412013-12-30T07:05:36.858ZSonam Sainihttp://openbooks.ning.com/profile/sonamsaini
<p>बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर</p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर</p> रचनाकर्म की सार्थकता है कि तथ…tag:openbooks.ning.com,2013-12-13:5170231:Comment:4862992013-12-13T18:19:56.882ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>रचनाकर्म की सार्थकता है कि तथ्य संप्रषित हं..</p>
<p>बधाई स्वीकारें .. .</p>
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<p>रचनाकर्म की सार्थकता है कि तथ्य संप्रषित हं..</p>
<p>बधाई स्वीकारें .. .</p>
<p></p> सभी को सोनम का सादर नमस्कार ……tag:openbooks.ning.com,2013-12-09:5170231:Comment:4848152013-12-09T10:43:42.071ZSonam Sainihttp://openbooks.ning.com/profile/sonamsaini
<p>सभी को सोनम का सादर नमस्कार …… आप सभी ने मेरी छोटी सी कोशिश को इतना सराहा इसके लिए मैं दिल से आभारी हूँ और आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद करती हूँ ! रचना की गलतियों को सुधार कर आगे बेहतर लिखने कि कोशिश करूंगी।। धन्यवाद </p>
<p>सभी को सोनम का सादर नमस्कार …… आप सभी ने मेरी छोटी सी कोशिश को इतना सराहा इसके लिए मैं दिल से आभारी हूँ और आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद करती हूँ ! रचना की गलतियों को सुधार कर आगे बेहतर लिखने कि कोशिश करूंगी।। धन्यवाद </p> सुन्दर रचना बढ़िया सोच बधाई आप…tag:openbooks.ning.com,2013-12-07:5170231:Comment:4840312013-12-07T11:37:55.320Zअरुन 'अनन्त'http://openbooks.ning.com/profile/ArunSharma
<p>सुन्दर रचना बढ़िया सोच बधाई आपको</p>
<p>सुन्दर रचना बढ़िया सोच बधाई आपको</p> शब्दों के ही खेल अजीब होते है…tag:openbooks.ning.com,2013-12-07:5170231:Comment:4839192013-12-07T10:39:21.107Zविजय मिश्रhttp://openbooks.ning.com/profile/37jicf27kggmy
शब्दों के ही खेल अजीब होते हैं ,शब्दों ने ही महाभारत रचाया था | शब्द अभिव्यक्ति है किन्तु मन्थन कर इसके मूल तक पहुँचने के पश्चात ही व्यक्त हो |रहा प्रेम तो इसके संवाद तो घंटों निःशब्द होते हैं और अभिव्यक्तियाँ उजागर होतीं रहतीं हैं| सुंदर रचना , साधुवाद |
शब्दों के ही खेल अजीब होते हैं ,शब्दों ने ही महाभारत रचाया था | शब्द अभिव्यक्ति है किन्तु मन्थन कर इसके मूल तक पहुँचने के पश्चात ही व्यक्त हो |रहा प्रेम तो इसके संवाद तो घंटों निःशब्द होते हैं और अभिव्यक्तियाँ उजागर होतीं रहतीं हैं| सुंदर रचना , साधुवाद | कभी कभी रचना भी इतना दिल को छ…tag:openbooks.ning.com,2013-12-07:5170231:Comment:4834992013-12-07T05:33:48.398ZParveen Malikhttp://openbooks.ning.com/profile/ParveenMalik
कभी कभी रचना भी इतना दिल को छू जाती है कि तारीफ करने को शब्द ही नहीं मिलते .. शब्दों का ही खेल है !
कभी कभी रचना भी इतना दिल को छू जाती है कि तारीफ करने को शब्द ही नहीं मिलते .. शब्दों का ही खेल है ! शब्दो के चक्कर में फंस जाती…tag:openbooks.ning.com,2013-12-07:5170231:Comment:4834912013-12-07T03:16:46.387Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>शब्दो के चक्कर में <br></br> फंस जाती हैं भावनाये <br></br> ढक जाते हैं जज्बात <br></br> आधे झूठ और <br></br> आधे सच के नीचे <br></br> और तब रह जाता है <br></br> इंसान अपने ही शब्दो के<br></br> बीच में फंसकर <br></br> और तब समझ ही <br></br> नही पाता वो कि <br></br> आखिर सच क्या है <br></br> और झूठ क्या है <br></br> वो भावनाएं झूठी थी <br></br> या ये शब्द झूठे हैं</p>
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<p>,सच! में एक वास्विक सत्य लिए हुयी है, इन्सान अपने जीवन में कई बार शब्दों के भंवर में फस कर रह जाता है, बोखला जाता है, समझ नहीं आता क्या सच है? क्या झूठ ?, आपकी रचना…</p>
<p>शब्दो के चक्कर में <br/> फंस जाती हैं भावनाये <br/> ढक जाते हैं जज्बात <br/> आधे झूठ और <br/> आधे सच के नीचे <br/> और तब रह जाता है <br/> इंसान अपने ही शब्दो के<br/> बीच में फंसकर <br/> और तब समझ ही <br/> नही पाता वो कि <br/> आखिर सच क्या है <br/> और झूठ क्या है <br/> वो भावनाएं झूठी थी <br/> या ये शब्द झूठे हैं</p>
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<p>,सच! में एक वास्विक सत्य लिए हुयी है, इन्सान अपने जीवन में कई बार शब्दों के भंवर में फस कर रह जाता है, बोखला जाता है, समझ नहीं आता क्या सच है? क्या झूठ ?, आपकी रचना में सुंदरता से चिंतन हुआ है, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया सोनम जी</p> बहुत सुन्दर रचना है सोनम जी ,…tag:openbooks.ning.com,2013-12-06:5170231:Comment:4836152013-12-06T09:10:55.288ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>बहुत सुन्दर रचना है सोनम जी , बधाई आप को </p>
<p>बहुत सुन्दर रचना है सोनम जी , बधाई आप को </p> बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीया स…tag:openbooks.ning.com,2013-12-06:5170231:Comment:4833002013-12-06T08:43:02.396ZSANDEEP KUMAR PATELhttp://openbooks.ning.com/profile/SANDEEPKUMARPATEL
<p>बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीया सोनम जी .....सादर बधाई</p>
<p>बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीया सोनम जी .....सादर बधाई</p> सुन्दर चिंतन हुआ है.बधाईयाँ..…tag:openbooks.ning.com,2013-12-06:5170231:Comment:4833212013-12-06T03:58:52.516Zअरुण कुमार निगमhttp://openbooks.ning.com/profile/arunkumarnigam
<p>सुन्दर चिंतन हुआ है.बधाईयाँ..........</p>
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<p>सुन्दर चिंतन हुआ है.बधाईयाँ..........</p>
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