Comments - ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की - Open Books Online2024-03-28T20:42:49Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A481967&xn_auth=noआपकी इस सुंदर प्रस्तुति पर सा…tag:openbooks.ning.com,2013-12-05:5170231:Comment:4825922013-12-05T04:05:35.706ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आपकी इस सुंदर प्रस्तुति पर सादर बधाई ..</p>
<p>आपकी इस सुंदर प्रस्तुति पर सादर बधाई ..</p> आदरणीय चिराग साहब अच्छा प्रया…tag:openbooks.ning.com,2013-12-04:5170231:Comment:4823922013-12-04T11:32:41.261Zअरुन 'अनन्त'http://openbooks.ning.com/profile/ArunSharma
<p>आदरणीय चिराग साहब अच्छा प्रयास किया है आपने भावपक्ष बहुत पसंद आया शिल्प और ध्यान देने की आवश्यकता है प्रयासरत रहें इस प्रयासपर बधाई स्वीकारें.</p>
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<p>ओढ़ माँ का आंचल<br/> दो पल को हम सो लें .. खासकर ये पंक्ति बहुत ही पसंद आई.</p>
<p>आदरणीय चिराग साहब अच्छा प्रयास किया है आपने भावपक्ष बहुत पसंद आया शिल्प और ध्यान देने की आवश्यकता है प्रयासरत रहें इस प्रयासपर बधाई स्वीकारें.</p>
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<p>ओढ़ माँ का आंचल<br/> दो पल को हम सो लें .. खासकर ये पंक्ति बहुत ही पसंद आई.</p> अच्छे भाव हैं . बधाई .
tag:openbooks.ning.com,2013-12-03:5170231:Comment:4824382013-12-03T22:17:48.692Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>अच्छे भाव हैं . बधाई .</p>
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<p>अच्छे भाव हैं . बधाई .</p>
<p></p> सभी गुरुजनों का दिल से बहुत ब…tag:openbooks.ning.com,2013-12-03:5170231:Comment:4821412013-12-03T18:25:06.421ZKedia Chhiraghttp://openbooks.ning.com/profile/KediaChhirag
<p>सभी गुरुजनों का दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ ..अभी सीख रहा हूँ ...रचना शिल्प की खामियां अच्छी तरह समझता हूँ...बिलकुल लचर है और भाव के सिवा कुछ भी नहीं ...संध्या जी, मुझे स्वयं ही ज्ञात नहीं क्या विधा है क्योंकि गीत कह नहीं सकता ...मात्रिकता का कोई ख्याल नहीं रखा गया है ...और कोई हो नहीं सकता सिवा नवगीत के ...अब नवगीत के नियमों पे खरा है या नहीं ये आप बतलाईये ...मैं तो अभी काफी नौसिखुआ हूँ बहुत सीखना है .....</p>
<p>सभी गुरुजनों का दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ ..अभी सीख रहा हूँ ...रचना शिल्प की खामियां अच्छी तरह समझता हूँ...बिलकुल लचर है और भाव के सिवा कुछ भी नहीं ...संध्या जी, मुझे स्वयं ही ज्ञात नहीं क्या विधा है क्योंकि गीत कह नहीं सकता ...मात्रिकता का कोई ख्याल नहीं रखा गया है ...और कोई हो नहीं सकता सिवा नवगीत के ...अब नवगीत के नियमों पे खरा है या नहीं ये आप बतलाईये ...मैं तो अभी काफी नौसिखुआ हूँ बहुत सीखना है .....</p> केडीआ चिराग जी, भाव बहुत ही ब…tag:openbooks.ning.com,2013-12-03:5170231:Comment:4821352013-12-03T16:22:44.434ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>केडीआ चिराग जी, भाव बहुत ही बढ़िया पकड़े हैं, शिल्प पर और कसावट होनी चाहिए, बधाई इस प्रयास पर |</p>
<p>केडीआ चिराग जी, भाव बहुत ही बढ़िया पकड़े हैं, शिल्प पर और कसावट होनी चाहिए, बधाई इस प्रयास पर |</p> sundr bhaav yukt rachna...bad…tag:openbooks.ning.com,2013-12-03:5170231:Comment:4820062013-12-03T14:18:18.199ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>sundr bhaav yukt rachna...badhaaee</p>
<p>sundr bhaav yukt rachna...badhaaee</p> चिराग जी
अच्छे भाव शिल्प के ल…tag:openbooks.ning.com,2013-12-03:5170231:Comment:4820892013-12-03T13:06:14.520Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>चिराग जी</p>
<p>अच्छे भाव शिल्प के लिए आपको बधाई i</p>
<p>चिराग जी</p>
<p>अच्छे भाव शिल्प के लिए आपको बधाई i</p> अच्छी रचना है ...मगर किस विधा…tag:openbooks.ning.com,2013-12-03:5170231:Comment:4819022013-12-03T12:50:34.660Zsandhya singhhttp://openbooks.ning.com/profile/sandhyasingh
<p>अच्छी रचना है ...मगर किस विधा में है ?</p>
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<p>अच्छी रचना है ...मगर किस विधा में है ?</p>
<p></p> बहुत ही सुन्दर , हार्दिक बध…tag:openbooks.ning.com,2013-12-03:5170231:Comment:4821152013-12-03T11:42:27.080ZShyam Narain Vermahttp://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<table cellspacing="0" width="462" border="0">
<colgroup><col width="462"></col></colgroup><tbody><tr><td align="left" width="462" height="20">बहुत ही सुन्दर , हार्दिक बधाई आपको......</td>
</tr>
</tbody>
</table>
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<colgroup><col width="462"></col></colgroup><tbody><tr><td align="left" width="462" height="20">बहुत ही सुन्दर , हार्दिक बधाई आपको......</td>
</tr>
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