Comments - बताशा लगती हो तुम - Open Books Online2024-03-29T05:57:57Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A468513&xn_auth=noहा..हा..हा...... आपके अनुमोदन…tag:openbooks.ning.com,2013-11-13:5170231:Comment:4708242013-11-13T22:38:54.495ZSushil.Joshihttp://openbooks.ning.com/profile/SushilJoshi
<p>हा..हा..हा...... आपके अनुमोदन से मन प्रसन्न हो गया आ0 सौरभ जी.... वैसे उर्दू और हिंदी तो बहनें ही हैं..... इसलिए उर्दू बोलने वालों के लिए इसमें संशोधन की उचित छूट दे देता हूँ कि वे हिंदी के स्थान पर उर्दू लिख सकें.... हा..हा....हा......</p>
<p>आपके सुझाव को भविष्य में अपनी रचनाओं पर अमल में लाने का संपूर्ण प्रयास रहेगा....</p>
<p>हा..हा..हा...... आपके अनुमोदन से मन प्रसन्न हो गया आ0 सौरभ जी.... वैसे उर्दू और हिंदी तो बहनें ही हैं..... इसलिए उर्दू बोलने वालों के लिए इसमें संशोधन की उचित छूट दे देता हूँ कि वे हिंदी के स्थान पर उर्दू लिख सकें.... हा..हा....हा......</p>
<p>आपके सुझाव को भविष्य में अपनी रचनाओं पर अमल में लाने का संपूर्ण प्रयास रहेगा....</p> बहुत बहुत धन्यवाद आ0 बृजेश जी…tag:openbooks.ning.com,2013-11-13:5170231:Comment:4708232013-11-13T22:35:53.568ZSushil.Joshihttp://openbooks.ning.com/profile/SushilJoshi
<p>बहुत बहुत धन्यवाद आ0 बृजेश जी.....</p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद आ0 बृजेश जी.....</p> जलहरण घनाक्षरी [३२ वर्णों का…tag:openbooks.ning.com,2013-11-13:5170231:Comment:4708132013-11-13T18:32:36.745ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p align="center" style="text-align: left;"><strong>जलहरण घनाक्षरी</strong> [३२ वर्णों का १६-१६ यति पर लघु लघु से पदांत] का इतना सुन्दर और व्यंग्यात्मक मिसाल दिया है आपने, आदरणीय !!</p>
<p align="center" style="text-align: left;">हृदय से बधाइयाँ स्वीकार कीजिये..</p>
<p align="center" style="text-align: left;"></p>
<p align="center" style="text-align: left;">हिंदी के समान प्यारी, कोमल, सुरीली, मृदु,</p>
<p align="center" style="text-align: left;">घोले जो मिठास ऐसी भाषा लगती हो तुम.... . .. जिसकी…</p>
<p style="text-align: left;" align="center"><strong>जलहरण घनाक्षरी</strong> [३२ वर्णों का १६-१६ यति पर लघु लघु से पदांत] का इतना सुन्दर और व्यंग्यात्मक मिसाल दिया है आपने, आदरणीय !!</p>
<p style="text-align: left;" align="center">हृदय से बधाइयाँ स्वीकार कीजिये..</p>
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<p style="text-align: left;" align="center">हिंदी के समान प्यारी, कोमल, सुरीली, मृदु,</p>
<p style="text-align: left;" align="center">घोले जो मिठास ऐसी भाषा लगती हो तुम.... . .. जिसकी ज़ुबां उर्दू की तरह .. यानि उर्दू पर मिट-मिट जाने वालों को बढिया उत्तर दिया है आपने .. हा हा हा हा हा.......</p>
<p></p>
<p>बारम्बार बधाई</p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p></p>
<p style="text-align: left;" align="center"><strong>एक बात:</strong></p>
<p style="text-align: left;" align="center">छांदसिक रचनाओं को प्रस्तुत करने क्रम में छंदों के नाम और उनका संक्षिप्त विधान अवश्य दे दिया करे.</p>
<p style="text-align: left;" align="center"></p>
<p style="text-align: left;" align="center"></p> बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधा…tag:openbooks.ning.com,2013-11-12:5170231:Comment:4703552013-11-12T17:53:35.491Zबृजेश नीरजhttp://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!</p>
<p>बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!</p> हा...हा..हा..... आ0 विजय जी..…tag:openbooks.ning.com,2013-11-12:5170231:Comment:4697612013-11-12T02:06:19.876ZSushil.Joshihttp://openbooks.ning.com/profile/SushilJoshi
<p>हा...हा..हा..... आ0 विजय जी....आपने सही कहा..... लेकिन इसी मिठास को तो बताने का प्रयास किया है मैंने यहाँ पर...... इतनी मीठी कि जैसे चाशनी में बताशा भी डाल दिया गया हो...... यानि डबल मीठी.... हा...हा..हा....... बहुत बहुत धन्यवाद आपकी टिप्पणी हेतु.....</p>
<p>हा...हा..हा..... आ0 विजय जी....आपने सही कहा..... लेकिन इसी मिठास को तो बताने का प्रयास किया है मैंने यहाँ पर...... इतनी मीठी कि जैसे चाशनी में बताशा भी डाल दिया गया हो...... यानि डबल मीठी.... हा...हा..हा....... बहुत बहुत धन्यवाद आपकी टिप्पणी हेतु.....</p> आपके अनुमोदन के लिए अतिश: धन्…tag:openbooks.ning.com,2013-11-12:5170231:Comment:4697602013-11-12T02:01:11.746ZSushil.Joshihttp://openbooks.ning.com/profile/SushilJoshi
<p>आपके अनुमोदन के लिए अतिश: धन्यवाद आ0 मीना जी....</p>
<p>आपके अनुमोदन के लिए अतिश: धन्यवाद आ0 मीना जी....</p> हा..हा...हा...... नेक सलाह एव…tag:openbooks.ning.com,2013-11-12:5170231:Comment:4699372013-11-12T02:00:47.250ZSushil.Joshihttp://openbooks.ning.com/profile/SushilJoshi
<p>हा..हा...हा...... नेक सलाह एवं स्नेहिल टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आ0 राजेश कुमारी जी.....</p>
<p>हा..हा...हा...... नेक सलाह एवं स्नेहिल टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आ0 राजेश कुमारी जी.....</p> बहुत बहुत धन्यवाद आ0 राम भाई…tag:openbooks.ning.com,2013-11-12:5170231:Comment:4699362013-11-12T01:59:46.717ZSushil.Joshihttp://openbooks.ning.com/profile/SushilJoshi
<p>बहुत बहुत धन्यवाद आ0 राम भाई जी....</p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद आ0 राम भाई जी....</p> सुशीलजी , बेशक एक सुंदर श्रीं…tag:openbooks.ning.com,2013-11-11:5170231:Comment:4693982013-11-11T12:22:46.343Zविजय मिश्रhttp://openbooks.ning.com/profile/37jicf27kggmy
सुशीलजी , बेशक एक सुंदर श्रींगारिक रचना ,मजेदार शब्द संयोजन मगर एक खटका है ,बतासा तो स्वेम चासनी का रवा है और अगर इसे चासने की कोशीश की तो फिर चासनी ही बन जाता है .भाव की दृष्टि से रचना बहुत सुंदर है .बधाई .
सुशीलजी , बेशक एक सुंदर श्रींगारिक रचना ,मजेदार शब्द संयोजन मगर एक खटका है ,बतासा तो स्वेम चासनी का रवा है और अगर इसे चासने की कोशीश की तो फिर चासनी ही बन जाता है .भाव की दृष्टि से रचना बहुत सुंदर है .बधाई . बहुत सुन्दर मीठी सी रचना :) ब…tag:openbooks.ning.com,2013-11-11:5170231:Comment:4694712013-11-11T08:33:54.085ZMeena Pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>बहुत सुन्दर मीठी सी रचना :) बहुत बहुत बधाई | सादर </p>
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<p>बहुत सुन्दर मीठी सी रचना :) बहुत बहुत बधाई | सादर </p>
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