Comments - कितने कर्ण? - Open Books Online2024-03-28T21:41:51Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A463550&xn_auth=noकर्ण जैसे व्यक्तित्व की पीड़ा…tag:openbooks.ning.com,2013-11-12:5170231:Comment:4700082013-11-12T08:46:07.741Zवेदिकाhttp://openbooks.ning.com/profile/vedikagitika
<p>कर्ण जैसे व्यक्तित्व की पीड़ा बहुत घनी है| आपने उसे महीन उकेरा है| यह तब भी वही थी और अब भी वही है| खेद है की दुर्योधन जैसों के हाथ पड़ कर समाज के लिए उपयोगी नहीं हो पाती बल्कि एक श्राप बन के ही समाप्त हो जाती है|</p>
<p>शिल्प पक्ष पर वही कहना चाहती हूँ जो आ0 सुशील जी, आ0 संदीप भैया, और आ0 राजेंद्र जी ने कहा - लय के प्रवाह के लिए थोड़ा और समय दीजिये| </p>
<p>सादर !! </p>
<p>कर्ण जैसे व्यक्तित्व की पीड़ा बहुत घनी है| आपने उसे महीन उकेरा है| यह तब भी वही थी और अब भी वही है| खेद है की दुर्योधन जैसों के हाथ पड़ कर समाज के लिए उपयोगी नहीं हो पाती बल्कि एक श्राप बन के ही समाप्त हो जाती है|</p>
<p>शिल्प पक्ष पर वही कहना चाहती हूँ जो आ0 सुशील जी, आ0 संदीप भैया, और आ0 राजेंद्र जी ने कहा - लय के प्रवाह के लिए थोड़ा और समय दीजिये| </p>
<p>सादर !! </p> मित्र कथ्य को कसना होगा, तनि…tag:openbooks.ning.com,2013-10-31:5170231:Comment:4647902013-10-31T09:10:10.528Zराजेश 'मृदु'http://openbooks.ning.com/profile/RajeshKumarJha
<p>मित्र कथ्य को कसना होगा, तनिक और भी धंसना होगा</p>
<p>कर्ण पुराना पात्र हुआ है, नए को ही अब घसना होगा ।</p>
<p>भाव, कथ्य प्रवाह सब कुछ धारदार पर मेरी मान्यता है कि यह पीड़ा अधिक समय मांगती है, नए चेहरे, नए बिंब के साथ, कृपया अन्यथा ना लें, सादर</p>
<p>मित्र कथ्य को कसना होगा, तनिक और भी धंसना होगा</p>
<p>कर्ण पुराना पात्र हुआ है, नए को ही अब घसना होगा ।</p>
<p>भाव, कथ्य प्रवाह सब कुछ धारदार पर मेरी मान्यता है कि यह पीड़ा अधिक समय मांगती है, नए चेहरे, नए बिंब के साथ, कृपया अन्यथा ना लें, सादर</p> आ0 विन्ध्येश्वरी जी क्या ही ज…tag:openbooks.ning.com,2013-10-30:5170231:Comment:4641842013-10-30T13:00:21.083Zannapurna bajpaihttp://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>आ0 विन्ध्येश्वरी जी क्या ही जोश भरी रचना है , संदेश युक्त सून्दर रचना बहुत बधाई आपको । </p>
<p>आ0 विन्ध्येश्वरी जी क्या ही जोश भरी रचना है , संदेश युक्त सून्दर रचना बहुत बधाई आपको । </p> कर्णों के प्रति समाज के दायित…tag:openbooks.ning.com,2013-10-30:5170231:Comment:4644352013-10-30T11:05:12.150ZJyotirmai Panthttp://openbooks.ning.com/profile/JyotirmaiPant
<p>कर्णों के प्रति समाज के दायित्व की ओर ध्यान आकर्षित करती हुई सुन्दर रचना .</p>
<p>कर्णों के प्रति समाज के दायित्व की ओर ध्यान आकर्षित करती हुई सुन्दर रचना .</p> आदरणीय बंधुवर सादर
ग़ज़ब की धा…tag:openbooks.ning.com,2013-10-30:5170231:Comment:4641532013-10-30T10:20:47.584ZSANDEEP KUMAR PATELhttp://openbooks.ning.com/profile/SANDEEPKUMARPATEL
<p>आदरणीय बंधुवर सादर </p>
<p>ग़ज़ब की धार है आपने कथ्य में सहज ही पाठक के मन मस्तिष्क को कचोटती हुई </p>
<p>किन्तु जैसे के आदरणीय सुशील जी ने कहा </p>
<p>लय भंग हो रही है </p>
<p>और इस लय भंग की स्थिति की वजह से पढ़ते पढ़ते मन उचट सा रहा है </p>
<p>मुझे लगता है आप जैसे कवि के लिए इस रचना को छंदबद्ध करना कोई दुष्कर कार्य नहीं था ऐसे विचार </p>
<p>कभी कभी मन में आते हैं जिन्हें यदि छंदों में पिरोया जाए तो क्या कहने </p>
<p>और यदि मात्राएँ ही मिला लीं जाती तो भी एक सुखद काव्य धार में गोते लगाने का…</p>
<p>आदरणीय बंधुवर सादर </p>
<p>ग़ज़ब की धार है आपने कथ्य में सहज ही पाठक के मन मस्तिष्क को कचोटती हुई </p>
<p>किन्तु जैसे के आदरणीय सुशील जी ने कहा </p>
<p>लय भंग हो रही है </p>
<p>और इस लय भंग की स्थिति की वजह से पढ़ते पढ़ते मन उचट सा रहा है </p>
<p>मुझे लगता है आप जैसे कवि के लिए इस रचना को छंदबद्ध करना कोई दुष्कर कार्य नहीं था ऐसे विचार </p>
<p>कभी कभी मन में आते हैं जिन्हें यदि छंदों में पिरोया जाए तो क्या कहने </p>
<p>और यदि मात्राएँ ही मिला लीं जाती तो भी एक सुखद काव्य धार में गोते लगाने का मजा दोबाला हो जाता </p>
<p>बहरहाल इस सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकारिये </p>
<p></p> जाने कितने कर्ण जन्मते यहाँ ग…tag:openbooks.ning.com,2013-10-30:5170231:Comment:4640842013-10-30T04:10:10.504Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p><span>जाने कितने कर्ण जन्मते यहाँ गली फुटपाथों पर। </span><br></br><span>या गंदी बस्ती के भीतर या कुन्ती के जज्बातों पर॥</span><br></br><span>कुन्ती इन्हें नहीं अपनाती न ही राधा मिलती है।</span><br></br><span>इसीलिये इनके मन में विद्रोह अग्नि जलती है॥-------बहुत मार्मिक पंक्तिया रची है | ऐसी खबरे पढ़कर मन व्यथित हो जाता है |</span></p>
<p></p>
<p><span><span>इन्हें दिला दो हक इनका जिसके ये अधिकारी हैं।</span><br></br><span>नहीं धकेलों इन्हें परिधि में ये धीर- वीर व्रतधारी हैं॥----इनको हक़ के लिए न्यायालय तक…</span></span></p>
<p><span>जाने कितने कर्ण जन्मते यहाँ गली फुटपाथों पर। </span><br/><span>या गंदी बस्ती के भीतर या कुन्ती के जज्बातों पर॥</span><br/><span>कुन्ती इन्हें नहीं अपनाती न ही राधा मिलती है।</span><br/><span>इसीलिये इनके मन में विद्रोह अग्नि जलती है॥-------बहुत मार्मिक पंक्तिया रची है | ऐसी खबरे पढ़कर मन व्यथित हो जाता है |</span></p>
<p></p>
<p><span><span>इन्हें दिला दो हक इनका जिसके ये अधिकारी हैं।</span><br/><span>नहीं धकेलों इन्हें परिधि में ये धीर- वीर व्रतधारी हैं॥----इनको हक़ के लिए न्यायालय तक के द्वार खटखटाने पड़ते है और </span></span></p>
<p><span><span> न्याय मिलता भी है तो बहुत देर हो चुकी होती है |</span></span></p>
<p>सुन्दर गीत रचना के लिए हार्दिक बधाई शिर विन्ध्येश्वर त्रिपाठी जी | सादर </p> इस सुंदर प्रस्तुति हेतु बहुत…tag:openbooks.ning.com,2013-10-29:5170231:Comment:4639402013-10-29T16:51:10.956ZSushil.Joshihttp://openbooks.ning.com/profile/SushilJoshi
<p>इस सुंदर प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई आ0 त्रिपाठी जी...... शुरुआत बहुत ही सुंदर तरीके से लयबद्ध हुई है लेकिन बीच में कहीं कहीं पर लगता है लय भंग हो रही है.... कृपया देखिएगा.....</p>
<p>इस सुंदर प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई आ0 त्रिपाठी जी...... शुरुआत बहुत ही सुंदर तरीके से लयबद्ध हुई है लेकिन बीच में कहीं कहीं पर लगता है लय भंग हो रही है.... कृपया देखिएगा.....</p> आदरणीय विन्ध्येश्वरी भाई , आज…tag:openbooks.ning.com,2013-10-29:5170231:Comment:4634902013-10-29T11:08:22.017Zगिरिराज भंडारीhttp://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय विन्ध्येश्वरी भाई , आज की सामाजिक वास्तविकता को महाभारत के पात्रों के माध्यम से बहुत सुन्दर ढंग से समझाया है आपने !!!!! आपको तहेदिल से ढेरों बधाई !!!!</p>
<p>आदरणीय विन्ध्येश्वरी भाई , आज की सामाजिक वास्तविकता को महाभारत के पात्रों के माध्यम से बहुत सुन्दर ढंग से समझाया है आपने !!!!! आपको तहेदिल से ढेरों बधाई !!!!</p>