Comments - आह्वान - Open Books Online2024-03-28T10:22:41Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A441612&xn_auth=noआज के तथाकथित विकास और बदलाव…tag:openbooks.ning.com,2013-10-01:5170231:Comment:4452832013-10-01T11:32:13.189ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आज के तथाकथित विकास और बदलाव से मिथ्याचरण और ढकोसला को जिसी इज़्ज़त मिली है कि सार्थक लेकिन भावुक परंपरायें हाशिये पर जाती स्पष्ट दिख रही हैं. कवि-हृदय की सच्चाई इसे देख भी पाती है और छटपटाती भी है. आँगन तक एकसार नहीं रह गये हैं. किसी उम्मीद की तरह प्रस्तुत हुई यह कविता यह घोषणा करने में सक्म अवश्य हुई है कि काग़ज़ी माहौल के तारी होने के बावज़ूद सबकुछ काग़ज़ी नहीं हुआ है. </p>
<p>हृदय से बधाइयाँ आदरणीय</p>
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<p>आज के तथाकथित विकास और बदलाव से मिथ्याचरण और ढकोसला को जिसी इज़्ज़त मिली है कि सार्थक लेकिन भावुक परंपरायें हाशिये पर जाती स्पष्ट दिख रही हैं. कवि-हृदय की सच्चाई इसे देख भी पाती है और छटपटाती भी है. आँगन तक एकसार नहीं रह गये हैं. किसी उम्मीद की तरह प्रस्तुत हुई यह कविता यह घोषणा करने में सक्म अवश्य हुई है कि काग़ज़ी माहौल के तारी होने के बावज़ूद सबकुछ काग़ज़ी नहीं हुआ है. </p>
<p>हृदय से बधाइयाँ आदरणीय</p>
<p></p> सुंदर रचना //बहुत बहुत बधाई tag:openbooks.ning.com,2013-09-27:5170231:Comment:4422592013-09-27T11:16:12.474Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p><span><span>सुंदर रचना //</span>बहुत बहुत बधाई </span></p>
<p><span><span>सुंदर रचना //</span>बहुत बहुत बधाई </span></p> सुंदर सशक्त रचना, बधाई स्वीका…tag:openbooks.ning.com,2013-09-26:5170231:Comment:4418022013-09-26T18:22:31.185Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>सुंदर सशक्त रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय अनवर साहब</p>
<p>सुंदर सशक्त रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय अनवर साहब</p> नकली जब नकलेल हो, नक्शा बदले…tag:openbooks.ning.com,2013-09-26:5170231:Comment:4418612013-09-26T11:56:18.653Zरविकरhttp://openbooks.ning.com/profile/dineshravikar
<p>नकली जब नकलेल हो, नक्शा बदले बैल |<br/>नकली हो प्रश्नोत्तरी, नकली नेता रैल | <br/>नकली नेता रैल, बात पूरी कह डाली |<br/>उनके मन का मैल, बनाये उन्हें बवाली |<br/>साधुवाद श्रीमान, विषय लाते हो असली |<br/>भाव कथ्य उत्कृष्ट, जगत मिथ्या अब नकली |||</p>
<p>नकली जब नकलेल हो, नक्शा बदले बैल |<br/>नकली हो प्रश्नोत्तरी, नकली नेता रैल | <br/>नकली नेता रैल, बात पूरी कह डाली |<br/>उनके मन का मैल, बनाये उन्हें बवाली |<br/>साधुवाद श्रीमान, विषय लाते हो असली |<br/>भाव कथ्य उत्कृष्ट, जगत मिथ्या अब नकली |||</p> सुंदर रचना , बधाई आपको । tag:openbooks.ning.com,2013-09-26:5170231:Comment:4416862013-09-26T07:41:48.836Zannapurna bajpaihttp://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>सुंदर रचना , बधाई आपको । </p>
<p>सुंदर रचना , बधाई आपको । </p> सुन्दर सशक्त अनवर साहिब !!tag:openbooks.ning.com,2013-09-25:5170231:Comment:4417172013-09-25T22:21:19.341ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>सुन्दर सशक्त अनवर साहिब !!</p>
<p>सुन्दर सशक्त अनवर साहिब !!</p> बहुत खूब आदरणीय tag:openbooks.ning.com,2013-09-25:5170231:Comment:4415772013-09-25T17:49:45.235ZSarita Bhatiahttp://openbooks.ning.com/profile/SaritaBhatia
<p>बहुत खूब आदरणीय </p>
<p>बहुत खूब आदरणीय </p>