Comments - ग़ज़ल : ग़ज़ल पर ग़ज़ल क्या कहूँ मैं - Open Books Online2024-03-29T10:27:22Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A43854&xn_auth=noराज जी और सौरभ जी, आप दोनों क…tag:openbooks.ning.com,2011-08-01:5170231:Comment:1181532011-08-01T09:46:11.711Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>राज जी और सौरभ जी, आप दोनों का बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>राज जी और सौरभ जी, आप दोनों का बहुत बहुत शुक्रिया।</p> तेरे प्यार की धार में ही
मरूँ…tag:openbooks.ning.com,2011-08-01:5170231:Comment:1182252011-08-01T05:37:00.126ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p><em>तेरे प्यार की धार में ही</em></p>
<p><em>मरूँ या बचूँ पर बहूँ मैं.</em></p>
<p>दिल को दिल से कहा .. बधाई.</p>
<p><em>तेरे प्यार की धार में ही</em></p>
<p><em>मरूँ या बचूँ पर बहूँ मैं.</em></p>
<p>दिल को दिल से कहा .. बधाई.</p> न चिंता मुझे दोजखों की
जमीं प…tag:openbooks.ning.com,2011-07-31:5170231:Comment:1181332011-07-31T20:50:08.092Zराज लाली बटालाhttp://openbooks.ning.com/profile/rajlallysharma
<p>न चिंता मुझे दोजखों की</p>
<p>जमीं पर ही जन्नत लहूँ मैं</p>
<p> </p>
<p>जो दीवार बन तुझको रोकूँ</p>
<p>कसम मुझको फौरन ढहूँ मैं वाह !! बहुत उम्दा गजल कही है आपने !! बधाई कबूल करें --लाली</p>
<p>न चिंता मुझे दोजखों की</p>
<p>जमीं पर ही जन्नत लहूँ मैं</p>
<p> </p>
<p>जो दीवार बन तुझको रोकूँ</p>
<p>कसम मुझको फौरन ढहूँ मैं वाह !! बहुत उम्दा गजल कही है आपने !! बधाई कबूल करें --लाली</p> धन्यवाद नवीन भाई। जर्रानवाजिश…tag:openbooks.ning.com,2011-01-16:5170231:Comment:467832011-01-16T17:39:45.241Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/249pje3yd1r3m
धन्यवाद नवीन भाई। जर्रानवाजिश का शुक्रिया
धन्यवाद नवीन भाई। जर्रानवाजिश का शुक्रिया