Comments - पीने लगे हैं लोग पिलाने लगे हैं लोग - Open Books Online2024-03-28T11:18:24Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A434843&xn_auth=noअपनी खुशी में सबको रुलाने लगे…tag:openbooks.ning.com,2013-09-25:5170231:Comment:4411722013-09-25T08:21:20.689ZCHANDRA SHEKHAR PANDEYhttp://openbooks.ning.com/profile/CHANDRASHEKHARPANDEY
<p>अपनी खुशी में सबको रुलाने लगे हैं लोग!! वाह्ह क्या बात कही आदरणीय डॉ साहब। बधाई।</p>
<p>अपनी खुशी में सबको रुलाने लगे हैं लोग!! वाह्ह क्या बात कही आदरणीय डॉ साहब। बधाई।</p> आदरणीय आशुतोष जी मेरे हिसाब स…tag:openbooks.ning.com,2013-09-16:5170231:Comment:4362232013-09-16T11:58:53.331Zबृजेश नीरजhttp://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीय आशुतोष जी मेरे हिसाब से तो यहाँ पर 'मल्लाह' शब्द प्रयोग होना चाहिए. 'मल्हार' तो राग होता है.</p>
<p>आदरणीय आशुतोष जी मेरे हिसाब से तो यहाँ पर 'मल्लाह' शब्द प्रयोग होना चाहिए. 'मल्हार' तो राग होता है.</p> आदरणीय विजय सर ..हौसला अफजाई…tag:openbooks.ning.com,2013-09-16:5170231:Comment:4359602013-09-16T04:44:05.120ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय विजय सर ..हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद ..सादर प्रणाम के साथ </p>
<p>आदरणीय विजय सर ..हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद ..सादर प्रणाम के साथ </p> आदरणीय ब्रिजेश जी ..मल्हार को…tag:openbooks.ning.com,2013-09-16:5170231:Comment:4360652013-09-16T04:42:21.825ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय ब्रिजेश जी ..मल्हार को मैंने एक प्रतीक के रूप में प्र्योघ किया है ..देश के कश्ती के खेवन हार .वो तमाम लोग जो देश का प्रतिनिधितव करते थे ...देश के लिए जान भी देने को तैयार रहते थे ..नाविकों को भी ये ही सिखाया जाता था की अपने प्राण जोखिम में डालकर सबी रक्षा करना ..अब इसका उल्टा है .कर्णधार अपनी जान बचाने में लगे है देश से कुछ लेना देना नहीं </p>
<p>आदरणीय ब्रिजेश जी ..मल्हार को मैंने एक प्रतीक के रूप में प्र्योघ किया है ..देश के कश्ती के खेवन हार .वो तमाम लोग जो देश का प्रतिनिधितव करते थे ...देश के लिए जान भी देने को तैयार रहते थे ..नाविकों को भी ये ही सिखाया जाता था की अपने प्राण जोखिम में डालकर सबी रक्षा करना ..अब इसका उल्टा है .कर्णधार अपनी जान बचाने में लगे है देश से कुछ लेना देना नहीं </p> वाह...वाह। खूबसूरत गज़ल के लि…tag:openbooks.ning.com,2013-09-15:5170231:Comment:4360372013-09-15T22:50:53.994Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
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<p>वाह...वाह। खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई आपको।</p>
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<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p>
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<p>वाह...वाह। खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई आपको।</p>
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<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p> आदरणीय आशुतोष जी यहाँ पर अरूज़…tag:openbooks.ning.com,2013-09-15:5170231:Comment:4358572013-09-15T20:09:15.464Zवीनस केसरीhttp://openbooks.ning.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>आदरणीय आशुतोष जी यहाँ पर अरूज़ पर चर्चा करना उचित नहीं होगा ... हम रचना पर केंद्रित रहें <br/>मैंने उचित स्थान पर विस्तार से चर्चा किया है ... आपको सन्दर्भ प्रस्तुत कर रहा हूँ - <br/><br/></p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:294471" target="_blank">http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:294471</a></p>
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<p>आदरणीय आशुतोष जी यहाँ पर अरूज़ पर चर्चा करना उचित नहीं होगा ... हम रचना पर केंद्रित रहें <br/>मैंने उचित स्थान पर विस्तार से चर्चा किया है ... आपको सन्दर्भ प्रस्तुत कर रहा हूँ - <br/><br/></p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:294471" target="_blank">http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:294471</a></p>
<p></p> बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. आपको ह…tag:openbooks.ning.com,2013-09-15:5170231:Comment:4359222013-09-15T16:00:13.014Zबृजेश नीरजhttp://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. आपको हार्दिक बधाई! </p>
<p>एक जिज्ञासा थी कि 'कहते थे मल्हार' का यहाँ क्या मतलब है?</p>
<p>बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. आपको हार्दिक बधाई! </p>
<p>एक जिज्ञासा थी कि 'कहते थे मल्हार' का यहाँ क्या मतलब है?</p> आदरणीय केवल जी , अरुण जी ....…tag:openbooks.ning.com,2013-09-15:5170231:Comment:4354832013-09-15T07:32:14.865ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय केवल जी , अरुण जी ....आप सब का प्रोत्साहन ही मुझे कुछ नया लिखने के लिए सतत प्रेरित करता है ..बस यूं ही स्नेह बनाये रखियेगा ..हार्दिक धन्यवाद के साथ </p>
<p>आदरणीय केवल जी , अरुण जी ....आप सब का प्रोत्साहन ही मुझे कुछ नया लिखने के लिए सतत प्रेरित करता है ..बस यूं ही स्नेह बनाये रखियेगा ..हार्दिक धन्यवाद के साथ </p> आदरणीय सर बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2013-09-15:5170231:Comment:4355592013-09-15T06:38:33.154Zअरुन 'अनन्त'http://openbooks.ning.com/profile/ArunSharma
<p>आदरणीय सर बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने बेहद उम्दा बधाई स्वीकारें.</p>
<p>आदरणीय सर बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने बेहद उम्दा बधाई स्वीकारें.</p> आदरणीय आशुतोष भार्इ जी, सादर…tag:openbooks.ning.com,2013-09-15:5170231:Comment:4356212013-09-15T04:16:01.025Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooks.ning.com/profile/kewalprasad
<p>आदरणीय आशुतोष भार्इ जी, सादर प्रणाम! बेहतरीन गजल हुर्इ है। बहुत खूब! ढेरों दाद कुबूल करें। सादर,</p>
<p>आदरणीय आशुतोष भार्इ जी, सादर प्रणाम! बेहतरीन गजल हुर्इ है। बहुत खूब! ढेरों दाद कुबूल करें। सादर,</p>