Comments - तज़्मीन--जिन्दगी सुन्दर बगीचा फूल चुन - Open Books Online2024-03-28T22:00:48Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A431959&xn_auth=noBaidya Nath ji,, Baidya Nath…tag:openbooks.ning.com,2013-10-26:5170231:Comment:4612462013-10-26T08:46:54.030Zसूबे सिंह सुजानhttp://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
<p>Baidya Nath ji,, <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/saarthi4all" class="fn url">Baidya Nath 'सारथी'</a>.........बहुत बहुत धन्यवाद आपका स्वागत है।</p>
<p>Baidya Nath ji,, <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/saarthi4all" class="fn url">Baidya Nath 'सारथी'</a>.........बहुत बहुत धन्यवाद आपका स्वागत है।</p> बहुत बढ़िया ...वाह :)tag:openbooks.ning.com,2013-10-26:5170231:Comment:4612422013-10-26T08:04:56.681ZSaarthi Baidyanathhttp://openbooks.ning.com/profile/saarthibaidyanath
<p>बहुत बढ़िया ...वाह :)</p>
<p>बहुत बढ़िया ...वाह :)</p> जिन्दगी सुन्दर बगीचा फूल,चुन…tag:openbooks.ning.com,2013-10-26:5170231:Comment:4612352013-10-26T06:55:15.504Zसूबे सिंह सुजानhttp://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
<p>जिन्दगी सुन्दर बगीचा फूल,चुन</p>
<p>कह रहे कुछ ख़्वाब तेरे,उनको सुन</p>
<p>तेरे अन्दर बज रही संगीत धुन-------सूबे सिंह सुजान</p>
<p>हो सके ग़ाफिल। अगर तू उसको सुन,</p>
<p>तेरे अन्दर जो तेरी आवाज़ है।। -----डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी</p>
<p>जिन्दगी सुन्दर बगीचा फूल,चुन</p>
<p>कह रहे कुछ ख़्वाब तेरे,उनको सुन</p>
<p>तेरे अन्दर बज रही संगीत धुन-------सूबे सिंह सुजान</p>
<p>हो सके ग़ाफिल। अगर तू उसको सुन,</p>
<p>तेरे अन्दर जो तेरी आवाज़ है।। -----डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी</p> tag:openbooks.ning.com,2013-10-26:5170231:Comment:4614192013-10-26T06:54:17.961Zसूबे सिंह सुजानhttp://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
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<p></p> शीलू जी, बहुत धन्यवाद ापके पध…tag:openbooks.ning.com,2013-09-12:5170231:Comment:4340722013-09-12T16:39:46.028Zसूबे सिंह सुजानhttp://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
शीलू जी, बहुत धन्यवाद ापके पधारने का व अपनी मूल्यवान टिप्पणी प्रधान करने का
शीलू जी, बहुत धन्यवाद ापके पधारने का व अपनी मूल्यवान टिप्पणी प्रधान करने का Shijju Shakoor.......ji apka…tag:openbooks.ning.com,2013-09-12:5170231:Comment:4337472013-09-12T02:16:44.100Zसूबे सिंह सुजानhttp://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/ShijjuS" class="fn url">Shijju Shakoor</a>.......ji apka dnyawad</p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/ShijjuS" class="fn url">Shijju Shakoor</a>.......ji apka dnyawad</p> आदरणीय सुजान सर खूबसूरत तज़्म…tag:openbooks.ning.com,2013-09-11:5170231:Comment:4332582013-09-11T11:08:56.388Zशिज्जु "शकूर"http://openbooks.ning.com/profile/ShijjuS
<p>आदरणीय सुजान सर खूबसूरत तज़्मीन आपने पेश किया है इसके लिये बधाई स्वीकार करें</p>
<p>आदरणीय सुजान सर खूबसूरत तज़्मीन आपने पेश किया है इसके लिये बधाई स्वीकार करें</p> गिरिराज भंडारी, जी नमस्कार…tag:openbooks.ning.com,2013-09-10:5170231:Comment:4327752013-09-10T17:11:02.365Zसूबे सिंह सुजानhttp://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
<p>गिरिराज भंडारी, जी नमस्कार आपके शब्दों में हम तापीफ सुन कर खुश हैं......आपने कहा कि…नई बात तज़्मीन के बारे में पता चली...........खैर बहुत शुक्रिया........तज़्मीन को लगभग ऊर्दू शायर कहते रहे हैं।</p>
<p>गिरिराज भंडारी, जी नमस्कार आपके शब्दों में हम तापीफ सुन कर खुश हैं......आपने कहा कि…नई बात तज़्मीन के बारे में पता चली...........खैर बहुत शुक्रिया........तज़्मीन को लगभग ऊर्दू शायर कहते रहे हैं।</p> आप लोगों की एक नज़र की अपेक्ष…tag:openbooks.ning.com,2013-09-10:5170231:Comment:4327742013-09-10T17:09:08.717Zसूबे सिंह सुजानhttp://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
<p>आप लोगों की एक नज़र की अपेक्षा है।।</p>
<p>अगर आपकी नज़र नहीं आई तो उपेक्षा है।।</p>
<p>आप लोगों की एक नज़र की अपेक्षा है।।</p>
<p>अगर आपकी नज़र नहीं आई तो उपेक्षा है।।</p> गिरिराज भंडारी, जी नमस्कार…tag:openbooks.ning.com,2013-09-10:5170231:Comment:4329052013-09-10T16:43:02.634Zसूबे सिंह सुजानhttp://openbooks.ning.com/profile/2fvsz8v20bb3q
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari" class="fn url">गिरिराज भंडारी, जी नमस्कार आपके शब्दों में हम तापीफ सुन कर खुश हैं......आपने कहा कि तज़्मीन के बारे में पता चला .हाँ इस विधा में बहुत कम लोग लिखते हैं ..लगभग ऊर्दू शायर तो लिखते ही रहे हैं। यह वास्तव में कठिन विधा है। क्योंकि किसी की कही गई बात पर उसी का अंग बनकर और उसी बहर में अपनी बात कहना । बहुत धन्यवाद </a></p>
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<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari" class="fn url">गिरिराज भंडारी, जी नमस्कार आपके शब्दों में हम तापीफ सुन कर खुश हैं......आपने कहा कि तज़्मीन के बारे में पता चला .हाँ इस विधा में बहुत कम लोग लिखते हैं ..लगभग ऊर्दू शायर तो लिखते ही रहे हैं। यह वास्तव में कठिन विधा है। क्योंकि किसी की कही गई बात पर उसी का अंग बनकर और उसी बहर में अपनी बात कहना । बहुत धन्यवाद </a></p>
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