Comments - !!! जै मां !!! - Open Books Online2024-03-29T12:32:43Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A355708&xn_auth=noआ0 रक्ताले सर जी, आपका आशीष…tag:openbooks.ning.com,2013-04-30:5170231:Comment:3558522013-04-30T15:23:37.340Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooks.ning.com/profile/kewalprasad
<p>आ0 रक्ताले सर जी, आपका आशीष पाकर मन खिल गया। किन्तु सरजी, मैनें कोई प्रयोग नही किया है। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,</p>
<p>आ0 रक्ताले सर जी, आपका आशीष पाकर मन खिल गया। किन्तु सरजी, मैनें कोई प्रयोग नही किया है। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,</p> सुन्दर रचना आदरणीय केवल प्रसा…tag:openbooks.ning.com,2013-04-30:5170231:Comment:3561152013-04-30T15:03:54.518ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>सुन्दर रचना आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर बधाई स्वीकारें. एक नवीन प्रयोग ही कहूंगा. बहुत बढ़िया. </p>
<p>सुन्दर रचना आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर बधाई स्वीकारें. एक नवीन प्रयोग ही कहूंगा. बहुत बढ़िया. </p> आ0 मनोज जी, आपके प्यार व उ…tag:openbooks.ning.com,2013-04-30:5170231:Comment:3560352013-04-30T14:43:55.202Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooks.ning.com/profile/kewalprasad
<p>आ0 मनोज जी, आपके प्यार व उत्साह ने मेरा मान बढ़ाया। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,</p>
<p>आ0 मनोज जी, आपके प्यार व उत्साह ने मेरा मान बढ़ाया। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,</p> आदर्णीय ...बहुत सुन्दर रचना .…tag:openbooks.ning.com,2013-04-30:5170231:Comment:3560312013-04-30T14:34:20.098Zmanoj shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/manojshukla
आदर्णीय ...बहुत सुन्दर रचना ...बधाई स्वीकार करें सादर
आदर्णीय ...बहुत सुन्दर रचना ...बधाई स्वीकार करें सादर आ0 लड़ीवाला जी, मां का असीम…tag:openbooks.ning.com,2013-04-30:5170231:Comment:3556922013-04-30T12:57:58.962Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooks.ning.com/profile/kewalprasad
<p>आ0 लड़ीवाला जी, मां का असीम प्यार, पावन रूप, श्रध्दा और आशीष हम सभी को खूब भाता है, फलता है। तो हमें भी मां को सदैव दिलों में रखना चाहिए। आपके समर्थन और आशीष से मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,</p>
<p>आ0 लड़ीवाला जी, मां का असीम प्यार, पावन रूप, श्रध्दा और आशीष हम सभी को खूब भाता है, फलता है। तो हमें भी मां को सदैव दिलों में रखना चाहिए। आपके समर्थन और आशीष से मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,</p> आ0 श्याम नारायण जी, आपके समर्…tag:openbooks.ning.com,2013-04-30:5170231:Comment:3560182013-04-30T12:53:34.382Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooks.ning.com/profile/kewalprasad
<p>आ0 श्याम नारायण जी, आपके समर्थन से मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर, </p>
<p>आ0 श्याम नारायण जी, आपके समर्थन से मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर, </p> आ0 राजेश कुमारी जी, मां का प…tag:openbooks.ning.com,2013-04-30:5170231:Comment:3559542013-04-30T12:51:58.303Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooks.ning.com/profile/kewalprasad
<p>आ0 राजेश कुमारी जी, मां का पावन रूप, श्रध्दा और आशीष हम सभी को खूब भाता है, फलता है। तो हमें भी मां का सदैव उतना ही ध्यान रखना चाहिए। आपके समर्थन से मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,</p>
<p>आ0 राजेश कुमारी जी, मां का पावन रूप, श्रध्दा और आशीष हम सभी को खूब भाता है, फलता है। तो हमें भी मां का सदैव उतना ही ध्यान रखना चाहिए। आपके समर्थन से मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,</p> आ0 कुन्ती जी, मां का पावन रू…tag:openbooks.ning.com,2013-04-30:5170231:Comment:3558342013-04-30T12:45:38.398Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooks.ning.com/profile/kewalprasad
<p>आ0 कुन्ती जी, मां का पावन रूप, श्रध्दा और आशीष हम सभी को खूब भाता है, फलता है। तो हम क्यों न मां का सदैव ध्यान रखें। इसी निवेदन के साथ आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,</p>
<p>आ0 कुन्ती जी, मां का पावन रूप, श्रध्दा और आशीष हम सभी को खूब भाता है, फलता है। तो हम क्यों न मां का सदैव ध्यान रखें। इसी निवेदन के साथ आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,</p> माँ के चरणों में स्वर्ग धरा …tag:openbooks.ning.com,2013-04-30:5170231:Comment:3558032013-04-30T11:09:07.541Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>माँ के चरणों में स्वर्ग धरा </p>
<p>माँ के आँचल में प्यार भरा - माँ की गुण गाथा में जितना लिखा जाए कम है | प्रस्तुति पर बधाई </p>
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<p>माँ के चरणों में स्वर्ग धरा </p>
<p>माँ के आँचल में प्यार भरा - माँ की गुण गाथा में जितना लिखा जाए कम है | प्रस्तुति पर बधाई </p>
<p></p> बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचन…tag:openbooks.ning.com,2013-04-30:5170231:Comment:3556612013-04-30T06:43:11.818ZShyam Narain Vermahttp://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<table cellspacing="0" width="462" border="0">
<colgroup><col width="462"></col></colgroup><tbody><tr><td align="left" width="462" height="20">बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..</td>
</tr>
</tbody>
</table>
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<colgroup><col width="462"></col></colgroup><tbody><tr><td align="left" width="462" height="20">बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..</td>
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