Comments - वफ़ा ए इश्क़ - Open Books Online2024-03-28T12:22:40Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A345305&xn_auth=noआदरणीय कत्याल जी
बेहद सुन्दर…tag:openbooks.ning.com,2013-04-15:5170231:Comment:3471912013-04-15T12:18:53.354Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आदरणीय कत्याल जी</p>
<p style="margin: 0px 0px 0em; color: #000000; font-family: Arial,'Helvetica Neue',Helvetica,sans-serif; font-size: 13.1429px; font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; text-align: start; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; word-spacing: 0px;">बेहद सुन्दर ख्याल पेश किये हैं आपने इन द्विपदियों के ज़रिए, लेकिन <strong>//</strong><span style="font-size: 10pt;"><strong>वफ़ा ए इश्क़ इस…</strong></span></p>
<p>आदरणीय कत्याल जी</p>
<p style="margin: 0px 0px 0em; color: #000000; font-family: Arial,'Helvetica Neue',Helvetica,sans-serif; font-size: 13.1429px; font-style: normal; font-variant: normal; font-weight: normal; letter-spacing: normal; line-height: normal; text-align: start; text-indent: 0px; text-transform: none; white-space: normal; word-spacing: 0px;">बेहद सुन्दर ख्याल पेश किये हैं आपने इन द्विपदियों के ज़रिए, लेकिन <strong>//</strong><span style="font-size: 10pt;"><strong>वफ़ा ए इश्क़ इस तरह इज़हार करते हैं //</strong> में "वफ़ा ए इश्क" से आपकी क्या मुराद है ? ज़रा वजाहत फरमाएं.<br/></span></p>
<p> </p> अशोक कत्याल जी आपके शब्द शैली…tag:openbooks.ning.com,2013-04-13:5170231:Comment:3465132013-04-13T13:06:58.073Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>अशोक कत्याल जी आपके शब्द शैली आपके अन्दर एक अच्छा ग़ज़लकार होने की ओर इशारा कर रही है बाकी सबने कह ही दिया है आप मुख्य पेज पर इंगित किये समूह को क्लिक करके ग़ज़ल विधा में प्रवेश करें आप पढेंगे तो ग़ज़ल विधा की तकनीकियों </span><span>से परिचित होंगे </span><span> बहरहाल इस सुन्दर प्रस्तुती पर दाद कबूलें </span></p>
<p><span>अशोक कत्याल जी आपके शब्द शैली आपके अन्दर एक अच्छा ग़ज़लकार होने की ओर इशारा कर रही है बाकी सबने कह ही दिया है आप मुख्य पेज पर इंगित किये समूह को क्लिक करके ग़ज़ल विधा में प्रवेश करें आप पढेंगे तो ग़ज़ल विधा की तकनीकियों </span><span>से परिचित होंगे </span><span> बहरहाल इस सुन्दर प्रस्तुती पर दाद कबूलें </span></p> आदरणिया प्राची जी ,
सादर प्रण…tag:openbooks.ning.com,2013-04-12:5170231:Comment:3458362013-04-12T15:10:00.368Zअशोक कत्याल "अश्क"http://openbooks.ning.com/profile/ashokkatyal
<p>आदरणिया प्राची जी ,</p>
<p>सादर प्रणाम ,</p>
<p>हौसला अफजाई के लिए बहुत शुक्रिया , में ग़ज़ल विधा को समझना चाहता हूँ ,</p>
<p>साथ ही साथ और अन्य विधाएँ , फलस्वरूप एक सुन्दर रचना बन सके ,</p>
<p>जो तकनीकी एवन व्याकरण की द्रष्टी से भी संपूर्ण हो ,</p>
<p>कृपया किसी किताब का संदर्भ दे सकें तो मेरे लिए अत्यंत हर्ष का बिषेय रहेगा</p>
<p>. साथ ही साथ में सदैव आप सभी के स्नेह एवम् मार्गदर्शन का अभिलाषी रहूँगा .</p>
<p></p>
<p>सदर ,</p>
<p></p>
<p>अश्क</p>
<p>आदरणिया प्राची जी ,</p>
<p>सादर प्रणाम ,</p>
<p>हौसला अफजाई के लिए बहुत शुक्रिया , में ग़ज़ल विधा को समझना चाहता हूँ ,</p>
<p>साथ ही साथ और अन्य विधाएँ , फलस्वरूप एक सुन्दर रचना बन सके ,</p>
<p>जो तकनीकी एवन व्याकरण की द्रष्टी से भी संपूर्ण हो ,</p>
<p>कृपया किसी किताब का संदर्भ दे सकें तो मेरे लिए अत्यंत हर्ष का बिषेय रहेगा</p>
<p>. साथ ही साथ में सदैव आप सभी के स्नेह एवम् मार्गदर्शन का अभिलाषी रहूँगा .</p>
<p></p>
<p>सदर ,</p>
<p></p>
<p>अश्क</p> मन में उठते भावों को सुन्दर श…tag:openbooks.ning.com,2013-04-12:5170231:Comment:3457372013-04-12T14:35:59.275ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>मन में उठते भावों को सुन्दर शब्द दिए हैं...</p>
<p></p>
<p>गज़ल के बहुत करीब है ये रचना, बहुत जल्दी ही सधी हुई गज़ल कहनी सीख जायेंगे.</p>
<p>हम सभी को इंतज़ार रहेगा आपकी गज़लों का.</p>
<p></p>
<p>शुभेच्छाएँ</p>
<p>मन में उठते भावों को सुन्दर शब्द दिए हैं...</p>
<p></p>
<p>गज़ल के बहुत करीब है ये रचना, बहुत जल्दी ही सधी हुई गज़ल कहनी सीख जायेंगे.</p>
<p>हम सभी को इंतज़ार रहेगा आपकी गज़लों का.</p>
<p></p>
<p>शुभेच्छाएँ</p> आदरणीय अशोक जी कहे को संज्ञान…tag:openbooks.ning.com,2013-04-12:5170231:Comment:3458122013-04-12T09:53:16.579ZSANDEEP KUMAR PATELhttp://openbooks.ning.com/profile/SANDEEPKUMARPATEL
<p>आदरणीय अशोक जी कहे को संज्ञान करने हेतु आभार <br/>ये मंच आपको बहुत कुछ सिखाता है बशर्ते आप मे सीखने की ललक होनी चाहिए <br/>मैने भी इसी मंच पर सब सीखा है <br/>गुरुजनों ने अपनी स्नेहिल झिड़कियाँ दे दे कर बहुत कुछ सधवाया है <br/>यकीन मानिए आप स्वयं मे जल्द ही बदलाव पाएँगे <br/>शुभकामनाएँ</p>
<p>आदरणीय अशोक जी कहे को संज्ञान करने हेतु आभार <br/>ये मंच आपको बहुत कुछ सिखाता है बशर्ते आप मे सीखने की ललक होनी चाहिए <br/>मैने भी इसी मंच पर सब सीखा है <br/>गुरुजनों ने अपनी स्नेहिल झिड़कियाँ दे दे कर बहुत कुछ सधवाया है <br/>यकीन मानिए आप स्वयं मे जल्द ही बदलाव पाएँगे <br/>शुभकामनाएँ</p> आदरणीय संदीप जी / आदरणीय त्र…tag:openbooks.ning.com,2013-04-12:5170231:Comment:3456052013-04-12T09:43:50.094Zअशोक कत्याल "अश्क"http://openbooks.ning.com/profile/ashokkatyal
<p><span>आदरणीय </span>संदीप जी / आदरणीय त्रिपाठी जी ,</p>
<p>बहुत आभार , आपने रचना को टिप्पणी लायक स्थान दिया ,<br/>में स्वतंत्र विधा लेखन का अनुयायी हूँ , जिस कारण मात्रा एवम् तकनीकी <br/>खामियाँ नज़र आएँगी , पर मे आप सभी को ये विश्वास दिलाना चाहता हूँ ,<br/>की में इस और पूरा ध्यान दूँगा , और आप सबकी कसोटी पर खरा उतरने <br/>का प्रयास करूँगा , आप सब का स्नेह एवम् मार्गदर्शन आपेच्छित हे .</p>
<p>सादर ,</p>
<p>अश्क</p>
<p><span>आदरणीय </span>संदीप जी / आदरणीय त्रिपाठी जी ,</p>
<p>बहुत आभार , आपने रचना को टिप्पणी लायक स्थान दिया ,<br/>में स्वतंत्र विधा लेखन का अनुयायी हूँ , जिस कारण मात्रा एवम् तकनीकी <br/>खामियाँ नज़र आएँगी , पर मे आप सभी को ये विश्वास दिलाना चाहता हूँ ,<br/>की में इस और पूरा ध्यान दूँगा , और आप सबकी कसोटी पर खरा उतरने <br/>का प्रयास करूँगा , आप सब का स्नेह एवम् मार्गदर्शन आपेच्छित हे .</p>
<p>सादर ,</p>
<p>अश्क</p> आदरणीय अशोक जी सादर आपकी इस र…tag:openbooks.ning.com,2013-04-12:5170231:Comment:3453972013-04-12T08:31:22.176ZSANDEEP KUMAR PATELhttp://openbooks.ning.com/profile/SANDEEPKUMARPATEL
<p>आदरणीय अशोक जी सादर <br/>आपकी इस रचना के भाव सुंदर हैं <br/>लेकिन इन्हे पिरोया सही नहीं गया है <br/>यदि आप ग़ज़ल कह रहे हैं तो फिर वज्नोबह्र पर संयत करें <br/>और यदि आप तुकांत कविता कहने की कोशिश कर रहे हैं तो मात्रा गणना को साधें<br/>आपने कथ्य कहने की क्षमता है तो क्यूँ न उसका शृंगार किया जाए <br/>उसे सँवारा जाए ताकि पढ़ने वाला आह वाह करने में विवश हो जाए</p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय अशोक जी सादर <br/>आपकी इस रचना के भाव सुंदर हैं <br/>लेकिन इन्हे पिरोया सही नहीं गया है <br/>यदि आप ग़ज़ल कह रहे हैं तो फिर वज्नोबह्र पर संयत करें <br/>और यदि आप तुकांत कविता कहने की कोशिश कर रहे हैं तो मात्रा गणना को साधें<br/>आपने कथ्य कहने की क्षमता है तो क्यूँ न उसका शृंगार किया जाए <br/>उसे सँवारा जाए ताकि पढ़ने वाला आह वाह करने में विवश हो जाए</p>
<p>सादर</p> एक अच्छी द्विपदी आदरणीय अश्क…tag:openbooks.ning.com,2013-04-12:5170231:Comment:3454982013-04-12T08:28:06.734Zविन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठीhttp://openbooks.ning.com/profile/Vindhyeshwariprasadtripathi
एक अच्छी द्विपदी आदरणीय अश्क जी! लेकिन यह गजल हो सकती है,थोड़ा सा प्रयास और किया जाना चाहिये<br />
इन पंक्तियों के लिये खास तौर से दाद कुबूल कीजिये-<br />
वफ़ा ए इश्क़ इस तरह इज़हार करते हैं ,<br />
हम ही से सीख , हम पे वार करते हैं ,
एक अच्छी द्विपदी आदरणीय अश्क जी! लेकिन यह गजल हो सकती है,थोड़ा सा प्रयास और किया जाना चाहिये<br />
इन पंक्तियों के लिये खास तौर से दाद कुबूल कीजिये-<br />
वफ़ा ए इश्क़ इस तरह इज़हार करते हैं ,<br />
हम ही से सीख , हम पे वार करते हैं ,