Comments - आत्म-विश्लेषण - Open Books Online2024-03-29T11:05:15Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A344226&xn_auth=noआपकी रचनाधर्मिता सार्थक है, आ…tag:openbooks.ning.com,2013-04-17:5170231:Comment:3485872013-04-17T20:12:54.977ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपकी रचनाधर्मिता सार्थक है, आदरणीय अशोक कत्यालजी.</p>
<p>सादर</p>
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<p>आपकी रचनाधर्मिता सार्थक है, आदरणीय अशोक कत्यालजी.</p>
<p>सादर</p>
<p></p> मस्तिष्क में पल पल कुलबुलाते…tag:openbooks.ning.com,2013-04-11:5170231:Comment:3452682013-04-11T10:16:28.718ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>मस्तिष्क में पल पल कुलबुलाते विचारों के द्वन्द, और उनके सजग एहसास के साथ जीवन पथ पर सामंजस्य बैठाते हुए कामयाबी की मंजिल की ओर बढ़ने की इच्छा,,,समेटी सुन्दर रचना </p>
<p></p>
<p>जब बदलेंगे रास्ते ;<br/>तो जुड़ेंगे तार ,<br/>होगी साझा हितों में ,<br/>कामयाबी की वारिश ,..............इस पंक्ति नें विशेष रूप से प्रभावित किया </p>
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<p>बहुत बहुत बधाई इस अभिव्यक्ति के लिए आ० अशोक कत्याल जी </p>
<p>मस्तिष्क में पल पल कुलबुलाते विचारों के द्वन्द, और उनके सजग एहसास के साथ जीवन पथ पर सामंजस्य बैठाते हुए कामयाबी की मंजिल की ओर बढ़ने की इच्छा,,,समेटी सुन्दर रचना </p>
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<p>जब बदलेंगे रास्ते ;<br/>तो जुड़ेंगे तार ,<br/>होगी साझा हितों में ,<br/>कामयाबी की वारिश ,..............इस पंक्ति नें विशेष रूप से प्रभावित किया </p>
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<p>बहुत बहुत बधाई इस अभिव्यक्ति के लिए आ० अशोक कत्याल जी </p> आदरणीय अशोक जी, क्या बात है…tag:openbooks.ning.com,2013-04-09:5170231:Comment:3445082013-04-09T14:10:13.685Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p><span>आदरणीय अशोक जी, <span>क्या बात है, बहुत ही उम्दा लेखन, सादर</span></span></p>
<p><span>आदरणीय अशोक जी, <span>क्या बात है, बहुत ही उम्दा लेखन, सादर</span></span></p> क्या बात है, बहुत ही उम्दा…tag:openbooks.ning.com,2013-04-09:5170231:Comment:3443752013-04-09T11:48:12.734Zराजेश 'मृदु'http://openbooks.ning.com/profile/RajeshKumarJha
<p>क्या बात है, बहुत ही उम्दा लेखन, सादर</p>
<p>क्या बात है, बहुत ही उम्दा लेखन, सादर</p> मुझे --करनी है, सार्थक पहल , …tag:openbooks.ning.com,2013-04-09:5170231:Comment:3441682013-04-09T08:40:26.589Zvijayashreehttp://openbooks.ning.com/profile/vijayashree
<p>मुझे --<br/><br/>करनी है, सार्थक पहल , <br/>नाक की लड़ाई के लिए ,<br/>पूछने है सवाल, चुपके चुपके ,<br/>लयात्मक खुश्बू के लिए ,<br/>करने है खारिज़ व बेदखल ,<br/>व्यवस्था विरोध के स्वर ,<br/>चलना है साथ-साथ ,<br/>जवाब की तलाश मे ,</p>
<p> </p>
<p>अशोकजी सार्थक रचना .........बधाई !</p>
<p>मुझे --<br/><br/>करनी है, सार्थक पहल , <br/>नाक की लड़ाई के लिए ,<br/>पूछने है सवाल, चुपके चुपके ,<br/>लयात्मक खुश्बू के लिए ,<br/>करने है खारिज़ व बेदखल ,<br/>व्यवस्था विरोध के स्वर ,<br/>चलना है साथ-साथ ,<br/>जवाब की तलाश मे ,</p>
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<p>अशोकजी सार्थक रचना .........बधाई !</p> अशोक कत्याल जी ,बहुत खूब . अ…tag:openbooks.ning.com,2013-04-09:5170231:Comment:3443292013-04-09T04:27:28.664Zcoontee mukerjihttp://openbooks.ning.com/profile/coonteemukerji
<p>अशोक कत्याल जी ,बहुत खूब . अंतिम दोनों पंक्ति उपर के भावों को सार्थक कर दिया है . अति सुंदर .</p>
<p>अशोक कत्याल जी ,बहुत खूब . अंतिम दोनों पंक्ति उपर के भावों को सार्थक कर दिया है . अति सुंदर .</p> आदरणीय अशोक कत्याल जी, सादर प…tag:openbooks.ning.com,2013-04-09:5170231:Comment:3439992013-04-09T03:33:04.091Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooks.ning.com/profile/kewalprasad
<p>आदरणीय अशोक कत्याल जी, सादर प्रणाम! ’चलना है साथ.साथ ए<br/>जवाब की तलाश मे’... बहुत सुन्दर कविता, सामाजिक स्वतंत्रता के लिए हम सभी को एक साथ स्वर मिलाना ही होगा। आपको हार्दिक बधाई। सादर,</p>
<p>आदरणीय अशोक कत्याल जी, सादर प्रणाम! ’चलना है साथ.साथ ए<br/>जवाब की तलाश मे’... बहुत सुन्दर कविता, सामाजिक स्वतंत्रता के लिए हम सभी को एक साथ स्वर मिलाना ही होगा। आपको हार्दिक बधाई। सादर,</p>