Comments - यादों की बारिश..! (गीत) - Open Books Online2024-03-29T12:10:27Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A339792&xn_auth=noआदरणीय दवे जी बहुत ही सुन्दर…tag:openbooks.ning.com,2013-04-03:5170231:Comment:3404492013-04-03T10:01:58.281Zअरुन 'अनन्त'http://openbooks.ning.com/profile/ArunSharma
<p>आदरणीय दवे जी बहुत ही सुन्दर गीत प्रस्तुत किया है आपने, यादों की बारिश हो रही है पल पल ऐसे, सूखी नदी में हो झरनों की हलचल जैसे, मुखड़े में चार चाँद जड़ दिया आपने, सूखी नदी में हलचल करवा दी आपने, क्या बात है क्या कहने,</p>
<p><span class="font-size-3">दर्द - दरख़्त बूढ़ा, सो गया है साहिल पर,</span> <br/> <span class="font-size-3">फिर जागेगा वह, जवानी हो चंचल जैसे..! वाह वाह वाह आदरणीय खास इस पंक्ति के लिए कुछ ज्यादा ही बधाई स्वीकारें. <br/></span></p>
<p>आदरणीय दवे जी बहुत ही सुन्दर गीत प्रस्तुत किया है आपने, यादों की बारिश हो रही है पल पल ऐसे, सूखी नदी में हो झरनों की हलचल जैसे, मुखड़े में चार चाँद जड़ दिया आपने, सूखी नदी में हलचल करवा दी आपने, क्या बात है क्या कहने,</p>
<p><span class="font-size-3">दर्द - दरख़्त बूढ़ा, सो गया है साहिल पर,</span> <br/> <span class="font-size-3">फिर जागेगा वह, जवानी हो चंचल जैसे..! वाह वाह वाह आदरणीय खास इस पंक्ति के लिए कुछ ज्यादा ही बधाई स्वीकारें. <br/></span></p> सुंदर गीत के लिए आपका हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2013-04-03:5170231:Comment:3403822013-04-03T07:38:53.110Zराजेश 'मृदु'http://openbooks.ning.com/profile/RajeshKumarJha
<p>सुंदर गीत के लिए आपका हार्दिक आभार</p>
<p>सुंदर गीत के लिए आपका हार्दिक आभार</p> आदरणीय, मार्कण्ड दवे जी, सुप्…tag:openbooks.ning.com,2013-04-03:5170231:Comment:3400942013-04-03T02:47:51.866Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://openbooks.ning.com/profile/kewalprasad
<p>आदरणीय, मार्कण्ड दवे जी, सुप्रभात! आपने यथार्थ सत्य कहा है कि नदियां और जीवन दोनो ही पूरी तरह से सूख चुकी हैं। यह दोनों ही किसी साहिल के विषय में सोच भी नही सकती बस यूं ही मजधार में पड़े रहकर किसी यादों की बारिश..कृष्णं वंदे जगद्कुरूं की आश/बांट जोह रही है। बहुत सुन्दर गीत और सुन्दर बिचार साझा करने हेतु आपको हार्दिक बधाई और साधुवाद।</p>
<p>आदरणीय, मार्कण्ड दवे जी, सुप्रभात! आपने यथार्थ सत्य कहा है कि नदियां और जीवन दोनो ही पूरी तरह से सूख चुकी हैं। यह दोनों ही किसी साहिल के विषय में सोच भी नही सकती बस यूं ही मजधार में पड़े रहकर किसी यादों की बारिश..कृष्णं वंदे जगद्कुरूं की आश/बांट जोह रही है। बहुत सुन्दर गीत और सुन्दर बिचार साझा करने हेतु आपको हार्दिक बधाई और साधुवाद।</p> गीत आशावादी सोच को व्यक्त करत…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3403262013-04-02T16:51:02.655ZMonika Dubeyhttp://openbooks.ning.com/profile/MonikaDubey
<p><span>गीत आशावादी सोच को व्यक्त करता है बहुत -बहुत बधाई .....मार्कंड जी </span></p>
<p><span>गीत आशावादी सोच को व्यक्त करता है बहुत -बहुत बधाई .....मार्कंड जी </span></p>