Comments - "ख्याली पुलाव" - Open Books Online2024-03-29T09:35:40Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A339051&xn_auth=noभगवान आप की मंशा जल्दी पूर्ण…tag:openbooks.ning.com,2013-12-02:5170231:Comment:4815332013-12-02T12:32:41.411ZAkhand Gahmarihttp://openbooks.ning.com/profile/AKHANDPRATAPSINGH
<p>भगवान आप की मंशा जल्दी पूर्ण करे</p>
<p>भगवान आप की मंशा जल्दी पूर्ण करे</p> आदरणीय अजय जी हार्दिक आभार ..…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3399622013-04-02T06:46:14.967Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p><span>आदरणीय अजय जी हार्दिक आभार ...........सादर </span></p>
<p><span>आदरणीय अजय जी हार्दिक आभार ...........सादर </span></p> आदरणीया राजेश कुमारी जी आपको…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3399612013-04-02T06:45:21.559Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी आपको हँसाने में सफल हुआ तो लिखना सफल हुआ ,रही बात इस रचना की जब मैंने इसे लिखा था उन दिनों मेरी उम्र कुछ १८ १९ साल रही होगी !!!<span>हार्दिक आभार ...........सादर </span></p>
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी आपको हँसाने में सफल हुआ तो लिखना सफल हुआ ,रही बात इस रचना की जब मैंने इसे लिखा था उन दिनों मेरी उम्र कुछ १८ १९ साल रही होगी !!!<span>हार्दिक आभार ...........सादर </span></p> हाहाहा कविता ने अंत में चौंका…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3397892013-04-02T06:28:00.889Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<div>हाहाहा कविता ने अंत में चौंका दिया हँसी का फव्वारा छूट पड़ा बहुत- बहुत बधाई बड़े रंगीन सपने देखते हो ,कोई बात नहीं देखो देखो </div>
<div>हाहाहा कविता ने अंत में चौंका दिया हँसी का फव्वारा छूट पड़ा बहुत- बहुत बधाई बड़े रंगीन सपने देखते हो ,कोई बात नहीं देखो देखो </div> Pathak ji hasya ka bhav umda…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3399512013-04-02T06:12:30.180ZDr.Ajay Kharehttp://openbooks.ning.com/profile/DrAjayKhare
<p>Pathak ji hasya ka bhav umda tha badhai</p>
<p>Pathak ji hasya ka bhav umda tha badhai</p> शायद खटमल को यह पता नहीं रहा…tag:openbooks.ning.com,2013-04-01:5170231:Comment:3394002013-04-01T12:09:34.289Zबृजेश नीरजhttp://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>शायद खटमल को यह पता नहीं रहा होगा कि आप इस समय स्वप्न में खोए हैं। खटमल सपने देखता नहीं इसलिए सपने का मोल क्या जाने। ईश्वन करे आपका सपना एक दिन सच हो जाए और वहां खटमल न आए।</p>
<p>शायद खटमल को यह पता नहीं रहा होगा कि आप इस समय स्वप्न में खोए हैं। खटमल सपने देखता नहीं इसलिए सपने का मोल क्या जाने। ईश्वन करे आपका सपना एक दिन सच हो जाए और वहां खटमल न आए।</p> coontee mukerji ji hardik aab…tag:openbooks.ning.com,2013-04-01:5170231:Comment:3395462013-04-01T10:53:34.147Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/coonteemukerji" class="fn url">coontee mukerji</a> ji hardik aabhar.......</p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/coonteemukerji" class="fn url">coontee mukerji</a> ji hardik aabhar.......</p> भाई आशीष जी हार्दिक आभार ...…tag:openbooks.ning.com,2013-04-01:5170231:Comment:3396202013-04-01T10:52:43.565Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p>भाई आशीष जी हार्दिक आभार ...........सादर </p>
<p>भाई आशीष जी हार्दिक आभार ...........सादर </p> आदरणीय लक्ष्मण सर आदरणीय विज…tag:openbooks.ning.com,2013-04-01:5170231:Comment:3395452013-04-01T10:51:45.048Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p>आदरणीय लक्ष्मण सर आदरणीय विजय सर हार्दिक आभार ...........सादर </p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण सर आदरणीय विजय सर हार्दिक आभार ...........सादर </p> आदरणीय सौरभ सर आदरणीया प्राची…tag:openbooks.ning.com,2013-04-01:5170231:Comment:3393852013-04-01T10:50:18.260Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p>आदरणीय सौरभ सर आदरणीया प्राची मैम यह रचना मैंने तीन साल पहले लिखी थी ...उस समय इतना ज्ञान नहीं था क्या लिख रहा हूँ और क्यों सायद प्रारम्भ से कुछ दूसरी या तीसरी कविता ....आप सब को अच्छी लगी तो लिखना सफल हुआ ..प्रणाम सहित हार्दिक आभार </p>
<p>आदरणीय सौरभ सर आदरणीया प्राची मैम यह रचना मैंने तीन साल पहले लिखी थी ...उस समय इतना ज्ञान नहीं था क्या लिख रहा हूँ और क्यों सायद प्रारम्भ से कुछ दूसरी या तीसरी कविता ....आप सब को अच्छी लगी तो लिखना सफल हुआ ..प्रणाम सहित हार्दिक आभार </p>