Comments - प्रेमिकाएं और डाक टिकट - Open Books Online2024-03-28T16:33:29Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A338850&xn_auth=noआदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी ,…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3399492013-04-02T06:01:24.512ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी , सादर अभिवादन ! मेरे शब्दों को आपका आशीर्वाद और समर्थन मिला , बहुत बहुत आभार ! आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया से दिल प्रसन्न हो गया ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p>
<p>आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी , सादर अभिवादन ! मेरे शब्दों को आपका आशीर्वाद और समर्थन मिला , बहुत बहुत आभार ! आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया से दिल प्रसन्न हो गया ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p> आदरणीय श्री संदीप जी , सादर…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3398562013-04-02T06:00:04.435ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>आदरणीय श्री संदीप जी , सादर ! मेरे शब्दों को आपका आशीर्वाद और समर्थन मिला , बहुत बहुत आभार ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p>
<p>आदरणीय श्री संदीप जी , सादर ! मेरे शब्दों को आपका आशीर्वाद और समर्थन मिला , बहुत बहुत आभार ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p> आदरणीय श्री लक्ष्मन प्रसाद ज…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3399482013-04-02T05:59:22.643ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>आदरणीय श्री लक्ष्मन प्रसाद जी , सादर ! मेरे शब्दों को आपका आशीर्वाद और समर्थन मिला , बहुत बहुत आभार ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p>
<p>आदरणीय श्री लक्ष्मन प्रसाद जी , सादर ! मेरे शब्दों को आपका आशीर्वाद और समर्थन मिला , बहुत बहुत आभार ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p> आदरणीया सावित्री राठोर जी ,…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3397862013-04-02T05:58:37.582ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>आदरणीया सावित्री राठोर जी , सादर ! मेरे शब्दों को आपका आशीर्वाद और समर्थन मिला , बहुत बहुत आभार ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p>
<p>आदरणीया सावित्री राठोर जी , सादर ! मेरे शब्दों को आपका आशीर्वाद और समर्थन मिला , बहुत बहुत आभार ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p> आदरणीया कुंती मुकर्जी जी , स…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3396972013-04-02T05:57:51.798ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>आदरणीया कुंती मुकर्जी जी , सादर ! मेरे शब्दों को आपका आशीर्वाद और समर्थन मिला , बहुत बहुत आभार ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p>
<p>आदरणीया कुंती मुकर्जी जी , सादर ! मेरे शब्दों को आपका आशीर्वाद और समर्थन मिला , बहुत बहुत आभार ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p> आदरणीय श्री जवाहर सिंह जी , स…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3396962013-04-02T05:56:05.485ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>आदरणीय श्री जवाहर सिंह जी , सादर ! मेरे शब्दों को आपका आशीर्वाद और समर्थन मिला , बहुत बहुत आभार ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p>
<p>आदरणीय श्री जवाहर सिंह जी , सादर ! मेरे शब्दों को आपका आशीर्वाद और समर्थन मिला , बहुत बहुत आभार ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p> आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी ,…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3397842013-04-02T05:54:38.733ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी , सादर ! मैं साहित्य का बहुत ज्यादा तकनीकी ज्ञान नहीं रखता , आप के आशीर्वाद से कुछ लिख लेता हूँ ! इसलिए आशा करता हूँ आपका मार्गदर्शन मुझे अपने आप को मांजने में सहायक सिद्ध होगा ! बहुत बहुत आभार आपका !</p>
<p>आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी , सादर ! मैं साहित्य का बहुत ज्यादा तकनीकी ज्ञान नहीं रखता , आप के आशीर्वाद से कुछ लिख लेता हूँ ! इसलिए आशा करता हूँ आपका मार्गदर्शन मुझे अपने आप को मांजने में सहायक सिद्ध होगा ! बहुत बहुत आभार आपका !</p> मेरे शब्दों को आशीर्वाद देने…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3396942013-04-02T05:49:36.688ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>मेरे शब्दों को आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p>
<p>मेरे शब्दों को आशीर्वाद देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p> यूँ इनके साथ होने परलिफ़ाफ़े का…tag:openbooks.ning.com,2013-03-31:5170231:Comment:3389382013-03-31T03:53:51.780Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>यूँ इनके साथ होने पर</span><br/><span>लिफ़ाफ़े का अपना एक रंग होता है !</span><br/><span>मगर जब ये नहीं होती हैं तो</span><br/><span>लिफाफा बेरंग होता है !!-----इन पंक्तियों के लिए पूरे नंबर बहुत मजा आया ये हास्य रचना पढ़कर नासमझो के लिए सीख भी है बहुत-बहुत बधाई</span></p>
<p><span>यूँ इनके साथ होने पर</span><br/><span>लिफ़ाफ़े का अपना एक रंग होता है !</span><br/><span>मगर जब ये नहीं होती हैं तो</span><br/><span>लिफाफा बेरंग होता है !!-----इन पंक्तियों के लिए पूरे नंबर बहुत मजा आया ये हास्य रचना पढ़कर नासमझो के लिए सीख भी है बहुत-बहुत बधाई</span></p> भाई योगी सारस्वत जी, इस हास्य…tag:openbooks.ning.com,2013-03-31:5170231:Comment:3389332013-03-31T00:32:11.712ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई योगी सारस्वत जी, इस हास्य प्रधान रचना के लिए मेरी भूरि-भूरि बधाइयाँ स्वीकार करें. पहले बंद से ही आपकी यह कविता पाठक के मन को बाँध लेती है.</p>
<p>इस तरह की कविताओं की आत्मा शब्द-संचयन के साथ-साथ सटीक शब्दों के संयमित प्रयोग हुआ करती है. मेरे कहे का बहुत ही सुन्दर उदाहरण इसी कविता का प्रारम्भ है. आखिर के बंदों में रचना की नैसर्गिक सहजता अति आत्मविश्वास --इस कारण हुई शाब्दिकता-- से थोड़ी असहज सी हुई प्रतीत है, लेकिन तबतक रचना ही समाप्त हो जाती है.</p>
<p></p>
<p>एक सफल हास्य रचना के लिए…</p>
<p>भाई योगी सारस्वत जी, इस हास्य प्रधान रचना के लिए मेरी भूरि-भूरि बधाइयाँ स्वीकार करें. पहले बंद से ही आपकी यह कविता पाठक के मन को बाँध लेती है.</p>
<p>इस तरह की कविताओं की आत्मा शब्द-संचयन के साथ-साथ सटीक शब्दों के संयमित प्रयोग हुआ करती है. मेरे कहे का बहुत ही सुन्दर उदाहरण इसी कविता का प्रारम्भ है. आखिर के बंदों में रचना की नैसर्गिक सहजता अति आत्मविश्वास --इस कारण हुई शाब्दिकता-- से थोड़ी असहज सी हुई प्रतीत है, लेकिन तबतक रचना ही समाप्त हो जाती है.</p>
<p></p>
<p>एक सफल हास्य रचना के लिए अतिशय बधाइयाँ.</p>
<p>सादर</p>
<p></p>