Comments - एक फुटपाथी कवि का दर्द - Open Books Online2024-03-28T09:53:45Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A338849&xn_auth=noधन्यवाद ! आदरणीया राजेश कुमार…tag:openbooks.ning.com,2013-03-31:5170231:Comment:3390852013-03-31T16:21:10.282ZRAJEEV KUMAR JHAhttp://openbooks.ning.com/profile/RAJEEVKUMARJHA
<p>धन्यवाद ! आदरणीया राजेश कुमारी जी .</p>
<p>धन्यवाद ! आदरणीया राजेश कुमारी जी .</p> आदरणीय राजीव झा जी बहुत मार्म…tag:openbooks.ning.com,2013-03-31:5170231:Comment:3392402013-03-31T11:49:34.013Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आदरणीय राजीव झा जी बहुत मार्मिक लिखा बस इतना ही कहूँगी हम सब एक ही कश्ती के सवार है अपनी धुन में मस्त कोई नजर डाले न डाले चप्पू चलता रहे चलता रहे बस!! </p>
<p>आदरणीय राजीव झा जी बहुत मार्मिक लिखा बस इतना ही कहूँगी हम सब एक ही कश्ती के सवार है अपनी धुन में मस्त कोई नजर डाले न डाले चप्पू चलता रहे चलता रहे बस!! </p> coonti जी, सराहना एवं प्रथम…tag:openbooks.ning.com,2013-03-31:5170231:Comment:3392202013-03-31T06:40:01.518ZRAJEEV KUMAR JHAhttp://openbooks.ning.com/profile/RAJEEVKUMARJHA
<p>coonti जी, सराहना एवं प्रथम प्रतिक्रिया के लिए आभार .शायद अतिरंजना में कुछ कड़वी सच्चाई आ गई हैं .</p>
<p>coonti जी, सराहना एवं प्रथम प्रतिक्रिया के लिए आभार .शायद अतिरंजना में कुछ कड़वी सच्चाई आ गई हैं .</p> आदरणीय जवाहर जी,सादर .आपने तो…tag:openbooks.ning.com,2013-03-31:5170231:Comment:3389552013-03-31T06:34:40.811ZRAJEEV KUMAR JHAhttp://openbooks.ning.com/profile/RAJEEVKUMARJHA
<p>आदरणीय जवाहर जी,सादर .आपने तो निरुत्तर कर दिया .क्या पता लोगों को छोले पसंद आते हैं या उसके नीचे छुपी किसी बेनाम कवि का दर्द .आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए आभार .</p>
<p>आदरणीय जवाहर जी,सादर .आपने तो निरुत्तर कर दिया .क्या पता लोगों को छोले पसंद आते हैं या उसके नीचे छुपी किसी बेनाम कवि का दर्द .आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए आभार .</p> आदरणीय झाजी, सादर अभिवादन!
उस…tag:openbooks.ning.com,2013-03-30:5170231:Comment:3390112013-03-30T23:25:31.058ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>आदरणीय झाजी, सादर अभिवादन!</p>
<p>उसी छोलेवाले से मैंने भी छोले खरीदे थे!</p>
<p>कविता पढ़ पता ही नही चला </p>
<p>कि आंसू किसके वजह से निकले थे </p>
<p>छोले के तीखापन की वजह से या कविता की भावना से ...</p>
<p>आदरणीय झाजी, सादर अभिवादन!</p>
<p>उसी छोलेवाले से मैंने भी छोले खरीदे थे!</p>
<p>कविता पढ़ पता ही नही चला </p>
<p>कि आंसू किसके वजह से निकले थे </p>
<p>छोले के तीखापन की वजह से या कविता की भावना से ...</p> बेहद कड़वी सच मगर क्या करें क…tag:openbooks.ning.com,2013-03-30:5170231:Comment:3389282013-03-30T19:26:30.484Zcoontee mukerjihttp://openbooks.ning.com/profile/coonteemukerji
<p>बेहद कड़वी सच मगर क्या करें कवि तो बेहाल है कविता कोई पढ़े ना पढ़े लिखना उसकी मजबूरी है .रजीवजी प्रयास जारी</p>
<p>रखिये.हम सबका यही हाल है.</p>
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<p>बेहद कड़वी सच मगर क्या करें कवि तो बेहाल है कविता कोई पढ़े ना पढ़े लिखना उसकी मजबूरी है .रजीवजी प्रयास जारी</p>
<p>रखिये.हम सबका यही हाल है.</p>
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