Comments - प्राण-पल - Open Books Online2024-03-29T08:24:53Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A338666&xn_auth=noसराहना के लिए आपका हार्दिक आ…tag:openbooks.ning.com,2014-02-24:5170231:Comment:5149682014-02-24T01:59:42.987Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय भाई योगराज जी। आशा है आपका स्नेह मिलता रहेगा।</p>
<p></p>
<p>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय भाई योगराज जी। आशा है आपका स्नेह मिलता रहेगा।</p> दिल में उमड़ते विचारों को सुंद…tag:openbooks.ning.com,2014-01-15:5170231:Comment:4996882014-01-15T07:51:25.822Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>दिल में उमड़ते विचारों को सुंदरता से शब्द दिए हैं, वाह.<br/><br/></p>
<p>दिल में उमड़ते विचारों को सुंदरता से शब्द दिए हैं, वाह.<br/><br/></p> अरुन शर्मा जी:
//ह्रदय में…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3398442013-04-02T01:51:52.002Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>अरुन शर्मा जी:</p>
<p> </p>
<p><em><strong>/</strong></em><em><strong>/ह्रदय में विद्यमान भावों को बहुत ही सरलता एवं सुन्दरता से उकेरा है//</strong></em></p>
<p>मनोबल देने के लिए मैं आपका आभारी हूँ।</p>
<p> </p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p>
<p></p>
<p>अरुन शर्मा जी:</p>
<p> </p>
<p><em><strong>/</strong></em><em><strong>/ह्रदय में विद्यमान भावों को बहुत ही सरलता एवं सुन्दरता से उकेरा है//</strong></em></p>
<p>मनोबल देने के लिए मैं आपका आभारी हूँ।</p>
<p> </p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p> प्राची जी,
//हृदय के उद्गा…tag:openbooks.ning.com,2013-04-02:5170231:Comment:3396782013-04-02T01:42:42.313Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>प्राची जी,</p>
<p> </p>
<p><em><strong>//हृदय के उद्गारों की सुन्दर मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति//</strong></em></p>
<p> </p>
<p>उद्गारों के अनुमोदन के लिए और प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद।</p>
<p> </p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय</p>
<p></p>
<p>प्राची जी,</p>
<p> </p>
<p><em><strong>//हृदय के उद्गारों की सुन्दर मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति//</strong></em></p>
<p> </p>
<p>उद्गारों के अनुमोदन के लिए और प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद।</p>
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<p>सादर,</p>
<p>विजय</p> आदरणीया ‘राज’ जी,
//मन के…tag:openbooks.ning.com,2013-04-01:5170231:Comment:3394082013-04-01T00:34:36.197Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>आदरणीया ‘राज’ जी,</p>
<p> </p>
<p>/<strong><em>/मन के कोमल भावों को बहुत सुंदर शब्दों से बांधा है आपकी रचनाएँ पाठक को खींचती हैं</em></strong>//</p>
<p>यह कह कर आपने मेरा मनोबल बढ़ाया है ... आपका अतिशय आभार ‘राज जी’।</p>
<p> </p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p>
<p></p>
<p>आदरणीया ‘राज’ जी,</p>
<p> </p>
<p>/<strong><em>/मन के कोमल भावों को बहुत सुंदर शब्दों से बांधा है आपकी रचनाएँ पाठक को खींचती हैं</em></strong>//</p>
<p>यह कह कर आपने मेरा मनोबल बढ़ाया है ... आपका अतिशय आभार ‘राज जी’।</p>
<p> </p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p> आदरणीया कुंती जी:
//कोमल भाव…tag:openbooks.ning.com,2013-03-31:5170231:Comment:3392632013-03-31T16:39:23.618Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>आदरणीया कुंती जी:</p>
<p><br></br>//<strong>कोमल भावनाओं के वर्णन करने में आपका कोई सानी नहीं.आप यूँही लिखते रहें //</strong></p>
<p>यह कह कर आपने मुझको जो मान दिया है, उसके लिए मैं आपका आभारी हूँ।</p>
<p><br></br>सरल ह्रद्य है, दुनियादारी नहीं आती ...रिश्तों से शीघ्र छलनी हो जाता है,</p>
<p>भावनाएँ उमड़-उमड़ आती हैँ ... कविता बन जाती हैं।</p>
<p><br></br>आपसे प्रोत्साहन मिलता रहे... आशा है कि ईश्वर-कृपा इस लेखनी से लिखती रहेगी।</p>
<p> </p>
<p>शरदिंदु जी की इ-मेल मिली ... सराहना के लिए उनको भी…</p>
<p></p>
<p>आदरणीया कुंती जी:</p>
<p><br/>//<strong>कोमल भावनाओं के वर्णन करने में आपका कोई सानी नहीं.आप यूँही लिखते रहें //</strong></p>
<p>यह कह कर आपने मुझको जो मान दिया है, उसके लिए मैं आपका आभारी हूँ।</p>
<p><br/>सरल ह्रद्य है, दुनियादारी नहीं आती ...रिश्तों से शीघ्र छलनी हो जाता है,</p>
<p>भावनाएँ उमड़-उमड़ आती हैँ ... कविता बन जाती हैं।</p>
<p><br/>आपसे प्रोत्साहन मिलता रहे... आशा है कि ईश्वर-कृपा इस लेखनी से लिखती रहेगी।</p>
<p> </p>
<p>शरदिंदु जी की इ-मेल मिली ... सराहना के लिए उनको भी मेरा आभार।</p>
<p><br/>सादर और सस्नेह,</p>
<p>विजय निकोर</p> आदरणीया सावित्री जी:
मन के…tag:openbooks.ning.com,2013-03-31:5170231:Comment:3389812013-03-31T12:54:12.382Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>आदरणीया सावित्री जी:</p>
<p> </p>
<p>मन के सुकोमल भावों को वही महसूस कर सकता है</p>
<p>जिसने सुकोमल भावों को पढ़ा ही नहीं, अपितु जिया है।</p>
<p>इन भावों की सराहना के लिए आपका आभार।</p>
<p> </p>
<p>सादर और सस्नेह,</p>
<p>विजय निकोर</p>
<p>आदरणीया सावित्री जी:</p>
<p> </p>
<p>मन के सुकोमल भावों को वही महसूस कर सकता है</p>
<p>जिसने सुकोमल भावों को पढ़ा ही नहीं, अपितु जिया है।</p>
<p>इन भावों की सराहना के लिए आपका आभार।</p>
<p> </p>
<p>सादर और सस्नेह,</p>
<p>विजय निकोर</p> आदरणीय लक्ष्मण जी:
//सुंदर…tag:openbooks.ning.com,2013-03-31:5170231:Comment:3392392013-03-31T11:14:17.269Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण जी:</p>
<p> </p>
<p>//<em>सुंदर अहसास का आपका वह पल वाकई प्राण पल से कम नहीं हो सकता</em>//</p>
<p> </p>
<p>आपने बिलकुल सही कहा है। ज़िन्दगी के वह चुने हुए पल मन में अलग से अपना</p>
<p>एक घर बना लेते हैं, और सदैव साँसों के समान साथ रहते हैं।</p>
<p> </p>
<p>कविता की भावनाओं को मान देने के लिए मैं आपका आभारी हूँ।</p>
<p> </p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p>
<p> </p>
<p> </p>
<p></p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण जी:</p>
<p> </p>
<p>//<em>सुंदर अहसास का आपका वह पल वाकई प्राण पल से कम नहीं हो सकता</em>//</p>
<p> </p>
<p>आपने बिलकुल सही कहा है। ज़िन्दगी के वह चुने हुए पल मन में अलग से अपना</p>
<p>एक घर बना लेते हैं, और सदैव साँसों के समान साथ रहते हैं।</p>
<p> </p>
<p>कविता की भावनाओं को मान देने के लिए मैं आपका आभारी हूँ।</p>
<p> </p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p>
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आदरणीय राम जी:
कविता की सरा…tag:openbooks.ning.com,2013-03-31:5170231:Comment:3389732013-03-31T11:04:09.762Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
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<p>आदरणीय राम जी:</p>
<p>कविता की सराहना के लिए आभारी हूँ।</p>
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<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p>
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<p>आदरणीय राम जी:</p>
<p>कविता की सराहना के लिए आभारी हूँ।</p>
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<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p> हृदय के उद्गारों की सुन्दर मर…tag:openbooks.ning.com,2013-03-31:5170231:Comment:3390602013-03-31T10:50:20.526ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>हृदय के उद्गारों की सुन्दर मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति आदरणीय विजय निकोर जी </p>
<p>हार्दिक बधाई </p>
<p>हृदय के उद्गारों की सुन्दर मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति आदरणीय विजय निकोर जी </p>
<p>हार्दिक बधाई </p>