Comments - आतंकवादी - Open Books Online2024-03-28T22:43:32Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A330012&xn_auth=noमैं भी तो एक मुसलमान हूँ
कि म…tag:openbooks.ning.com,2013-04-06:5170231:Comment:3418832013-04-06T08:01:57.756ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://openbooks.ning.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>मैं भी तो एक मुसलमान हूँ</p>
<p>कि मेरे जैसे</p>
<p>अमन-पसंद मुसलमानों के बारे में</p>
<p>काहे नहीं सोचते आतंकवादी..</p>
<p>वे मुसलमान नही आतंकवादी हैं</p>
<p>बस </p>
<p>बधाई. सादर </p>
<p>मैं भी तो एक मुसलमान हूँ</p>
<p>कि मेरे जैसे</p>
<p>अमन-पसंद मुसलमानों के बारे में</p>
<p>काहे नहीं सोचते आतंकवादी..</p>
<p>वे मुसलमान नही आतंकवादी हैं</p>
<p>बस </p>
<p>बधाई. सादर </p> अनवर भाई ! मन की अंतर्व्यथा क…tag:openbooks.ning.com,2013-03-18:5170231:Comment:3348742013-03-18T07:38:03.255Zविजय मिश्रhttp://openbooks.ning.com/profile/37jicf27kggmy
<p>अनवर भाई ! मन की अंतर्व्यथा को जिस सहजता से व्यक्त किया आपने , श्रद्धायोग्य है और सच तो ये है कि सारी इंसानियत ही सकते में है . जनाब ये दौर भी गुजर जायेगा और जुर्म की कोई पैदाइस जात नहीं होती . हाँ , इन आग से खेलने वालों को इसका पता नहीं . साधुवाद </p>
<p>अनवर भाई ! मन की अंतर्व्यथा को जिस सहजता से व्यक्त किया आपने , श्रद्धायोग्य है और सच तो ये है कि सारी इंसानियत ही सकते में है . जनाब ये दौर भी गुजर जायेगा और जुर्म की कोई पैदाइस जात नहीं होती . हाँ , इन आग से खेलने वालों को इसका पता नहीं . साधुवाद </p> बड़ी शर्मिंदगी होती है
बड़ी तकल…tag:openbooks.ning.com,2013-03-11:5170231:Comment:3315142013-03-11T06:00:18.239ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>बड़ी शर्मिंदगी होती है</p>
<p>बड़ी तकलीफ होती है</p>
<p>कि मैं भी तो एक मुसलमान हूँ</p>
<p>कि मेरे जैसे</p>
<p>अमन-पसंद मुसलमानों के बारे में</p>
<p>काहे नहीं सोचते आतंकवादी...</p>
<p>मन की वेदना को बढ़िया दिए हैं आपने !</p>
<p>बड़ी शर्मिंदगी होती है</p>
<p>बड़ी तकलीफ होती है</p>
<p>कि मैं भी तो एक मुसलमान हूँ</p>
<p>कि मेरे जैसे</p>
<p>अमन-पसंद मुसलमानों के बारे में</p>
<p>काहे नहीं सोचते आतंकवादी...</p>
<p>मन की वेदना को बढ़िया दिए हैं आपने !</p> आपके भावो को सलाम श्री अनवर स…tag:openbooks.ning.com,2013-03-11:5170231:Comment:3314022013-03-11T05:29:04.221Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p><strong>आपके भावो को सलाम श्री अनवर सोहेल भाई, विचारशील, संवेदनशील आप जैसे व्यक्तियों द्वारा ही यह </strong></p>
<p><strong>जागरूकता लाइ जाकर किसी समाज पर मुट्ठी भर लोगो के कारण लगे धब्बे को धोया जा सकता है | </strong></p>
<p><strong>आखिर शारीर में खून तो सबका ही लाल है | आवश्यकता है तो आप जैसे लोगो की जो समाज की </strong></p>
<p><strong>सोच, दिशा और दशा बदल सकते है |</strong></p>
<p><strong>आपके भावो को सलाम श्री अनवर सोहेल भाई, विचारशील, संवेदनशील आप जैसे व्यक्तियों द्वारा ही यह </strong></p>
<p><strong>जागरूकता लाइ जाकर किसी समाज पर मुट्ठी भर लोगो के कारण लगे धब्बे को धोया जा सकता है | </strong></p>
<p><strong>आखिर शारीर में खून तो सबका ही लाल है | आवश्यकता है तो आप जैसे लोगो की जो समाज की </strong></p>
<p><strong>सोच, दिशा और दशा बदल सकते है |</strong></p> कि मेरे जैसे
अमन-पसंद मुसलमान…tag:openbooks.ning.com,2013-03-10:5170231:Comment:3313232013-03-10T14:30:05.477ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p>कि मेरे जैसे</p>
<p>अमन-पसंद मुसलमानों के बारे में</p>
<p>काहे नहीं सोचते आतंकवादी...</p>
<p>बहुत ही सुन्दर विचार! पर आतंकवादी का कोई धर्म नहीं होता वे सिर्फ आतंकवादी होते हैं!</p>
<p>कि मेरे जैसे</p>
<p>अमन-पसंद मुसलमानों के बारे में</p>
<p>काहे नहीं सोचते आतंकवादी...</p>
<p>बहुत ही सुन्दर विचार! पर आतंकवादी का कोई धर्म नहीं होता वे सिर्फ आतंकवादी होते हैं!</p> उत्तम विचारों को समेटे सुन्दर…tag:openbooks.ning.com,2013-03-10:5170231:Comment:3309392013-03-10T06:07:00.581Zआशीष नैथानी 'सलिल'http://openbooks.ning.com/profile/AshishNaithaniSalil
<p>उत्तम विचारों को समेटे सुन्दर कविता !!!<br/> एक सच्चा दर्द जाहिर किया आपने इस कविता द्वारा |<br/> हार्दिक शुभकामनायें आदरणीय अनवर जी |</p>
<p>उत्तम विचारों को समेटे सुन्दर कविता !!!<br/> एक सच्चा दर्द जाहिर किया आपने इस कविता द्वारा |<br/> हार्दिक शुभकामनायें आदरणीय अनवर जी |</p> आदरणीय अनवर जीआपकी पीड़ा बहुत…tag:openbooks.ning.com,2013-03-09:5170231:Comment:3306382013-03-09T17:13:37.888Zasha pandey ojhahttp://openbooks.ning.com/profile/ashapandeyojha
<p><span>आदरणीय अनवर जीआपकी पीड़ा बहुत जायज है पूरी कौम को क्यों शर्मिंदगी ढोनी </span><span>पड़े चंद सरफिरों के कारन ..अमन परस्त लोगों को बड़ी तकलीफ़ होती है ,आपके ज़ज्बातों को दिल से सलाम </span></p>
<p><span>आदरणीय अनवर जीआपकी पीड़ा बहुत जायज है पूरी कौम को क्यों शर्मिंदगी ढोनी </span><span>पड़े चंद सरफिरों के कारन ..अमन परस्त लोगों को बड़ी तकलीफ़ होती है ,आपके ज़ज्बातों को दिल से सलाम </span></p> आदरणीय अनवर जी:
इस सोच ने हम…tag:openbooks.ning.com,2013-03-09:5170231:Comment:3302722013-03-09T13:55:10.153Zram shiromani pathakhttp://openbooks.ning.com/profile/ramshiromanipathak
<p><span>आदरणीय अनवर जी:</span></p>
<p><span><span> इस सोच ने हमे सोचने पे मजबूर कर दिया है</span></span></p>
<p></p>
<p><span>बधाई ................</span></p>
<p><span>आदरणीय अनवर जी:</span></p>
<p><span><span> इस सोच ने हमे सोचने पे मजबूर कर दिया है</span></span></p>
<p></p>
<p><span>बधाई ................</span></p> आप के इस सोच ने हमे सोचने पे…tag:openbooks.ning.com,2013-03-09:5170231:Comment:3303592013-03-09T13:22:12.016Zbhushan singhhttp://openbooks.ning.com/profile/bhushansingh
आप के इस सोच ने हमे सोचने पे मजबूर कर दिया है कि हमारा भारत वाकाई महान है, जहां अाप जैसे लोग रहते है , बधाई
आप के इस सोच ने हमे सोचने पे मजबूर कर दिया है कि हमारा भारत वाकाई महान है, जहां अाप जैसे लोग रहते है , बधाई जिस एकाकी पीड़ा को आप जैसे लोग…tag:openbooks.ning.com,2013-03-08:5170231:Comment:3299562013-03-08T21:43:09.846ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>जिस एकाकी पीड़ा को आप जैसे लोग जीने को अभिशप्त हैं, वही पीड़ा उन राक्षसों की विजयगाथा लिखती है. हृदय से निस्सृत भाव सटीक शब्द पा जायँ वही कविता है.</p>
<p>बधाई व शुभकामनाएँ</p>
<p>जिस एकाकी पीड़ा को आप जैसे लोग जीने को अभिशप्त हैं, वही पीड़ा उन राक्षसों की विजयगाथा लिखती है. हृदय से निस्सृत भाव सटीक शब्द पा जायँ वही कविता है.</p>
<p>बधाई व शुभकामनाएँ</p>