Comments - मुझको सरल बनाइये । - Open Books Online2024-03-29T08:45:01Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A328823&xn_auth=no
पाषाण सा मैं कठोर हूँ मुझको…tag:openbooks.ning.com,2013-03-11:5170231:Comment:3315712013-03-11T14:10:35.474Zmrs manjari pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/mrsmanjaripandey
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<p><span class="font-size-4"><span style="color: #0000ff;">पाषाण सा मैं कठोर हूँ मुझको तरल बनाइये । </span></span></p>
<p><span class="font-size-4"><span style="color: #0000ff;">मेरे छल कपट को छीन कर मुझको सरल बनाइये ।</span></span></p>
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<p> आदरणीय मुकेश कुमार जी। बहुत बहुत बधाई सुंदर रचना हेतु।</p>
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<p><span class="font-size-4"><span style="color: #0000ff;">पाषाण सा मैं कठोर हूँ मुझको तरल बनाइये । </span></span></p>
<p><span class="font-size-4"><span style="color: #0000ff;">मेरे छल कपट को छीन कर मुझको सरल बनाइये ।</span></span></p>
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<p> आदरणीय मुकेश कुमार जी। बहुत बहुत बधाई सुंदर रचना हेतु।</p>
<p></p> प्रार्थना से सींची हुई यह रच…tag:openbooks.ning.com,2013-03-08:5170231:Comment:3297332013-03-08T07:00:26.357Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
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<p><strong>प्रार्थना से सींची हुई यह रचना अच्छी लगी।</strong></p>
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<p><strong>प्रार्थना से सींची हुई यह रचना अच्छी लगी।</strong></p> सदमार्ग पर जाने की राह में सु…tag:openbooks.ning.com,2013-03-08:5170231:Comment:3296132013-03-08T03:25:46.191ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>सदमार्ग पर जाने की राह में सुन्दर पंक्तियाँ. हादिक बधाई.</p>
<p>सदमार्ग पर जाने की राह में सुन्दर पंक्तियाँ. हादिक बधाई.</p> आदरणीय मुकेश कुमार सक्सेना जी…tag:openbooks.ning.com,2013-03-07:5170231:Comment:3291382013-03-07T17:09:02.231Zवेदिकाhttp://openbooks.ning.com/profile/vedikagitika
<p>आदरणीय मुकेश कुमार सक्सेना जी!<br/>सरल भावों से गठित सरल प्रार्थना, जिसे समझने के लिए ईश्वर को भी सरलता होगी।<br/>शुभकामनायें <br/>सादर वेदिका</p>
<p>आदरणीय मुकेश कुमार सक्सेना जी!<br/>सरल भावों से गठित सरल प्रार्थना, जिसे समझने के लिए ईश्वर को भी सरलता होगी।<br/>शुभकामनायें <br/>सादर वेदिका</p> सुन्दर भावों को लिए हुए प्रभु…tag:openbooks.ning.com,2013-03-07:5170231:Comment:3291362013-03-07T16:50:12.344Zबृजेश नीरजhttp://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>सुन्दर भावों को लिए हुए प्रभु से यह प्रार्थना उन तक जरूर पहुंचेगी।</p>
<p>सुन्दर भावों को लिए हुए प्रभु से यह प्रार्थना उन तक जरूर पहुंचेगी।</p> बढ़िया है आदरणीय- शुभकामनायें-…tag:openbooks.ning.com,2013-03-07:5170231:Comment:3289662013-03-07T11:32:32.830Zरविकरhttp://openbooks.ning.com/profile/dineshravikar
<p>बढ़िया है आदरणीय-<br/> शुभकामनायें-<br/> कुछ प्रिंटिंग मिस्टेक है-<br/> सुन्दर भाव</p>
<p>बढ़िया है आदरणीय-<br/> शुभकामनायें-<br/> कुछ प्रिंटिंग मिस्टेक है-<br/> सुन्दर भाव</p> रचना एक अर्चना के रूप में कथ्…tag:openbooks.ning.com,2013-03-07:5170231:Comment:3290512013-03-07T11:19:31.141Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>रचना एक अर्चना के रूप में कथ्य की द्रष्टि से अच्छी लगी, बधाई स्वीकारे श्री मुकेश कुमार सक्सेना जी, मुझको सरल बनाएइये,</p>
<p>मुझको तरल बनाइये वाह ! पर शेष छल कपट,भटकाव, अपने आप पर विश्वास, मधुर व्यवहार जैसे अलंकार हम्मरे सतत </p>
<p>प्रयास और कर्म पर बहुत कुछ निर्भर करते है | इसके लिए स्वयं का आत्मबल मजबूत करने के हमें आवश्यकता है भाई </p>
<p>श्री मुकेश सक्सेना जी, यह आप भी भली भाँती जानते है |</p>
<p>रचना एक अर्चना के रूप में कथ्य की द्रष्टि से अच्छी लगी, बधाई स्वीकारे श्री मुकेश कुमार सक्सेना जी, मुझको सरल बनाएइये,</p>
<p>मुझको तरल बनाइये वाह ! पर शेष छल कपट,भटकाव, अपने आप पर विश्वास, मधुर व्यवहार जैसे अलंकार हम्मरे सतत </p>
<p>प्रयास और कर्म पर बहुत कुछ निर्भर करते है | इसके लिए स्वयं का आत्मबल मजबूत करने के हमें आवश्यकता है भाई </p>
<p>श्री मुकेश सक्सेना जी, यह आप भी भली भाँती जानते है |</p>