Comments - खास आपके लिए - Open Books Online2024-03-28T12:52:02Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A325546&xn_auth=noरचना पर अपने हस्ताक्षर करने क…tag:openbooks.ning.com,2013-03-03:5170231:Comment:3270792013-03-03T14:59:44.095Zसतवीर वर्मा 'बिरकाळी'http://openbooks.ning.com/profile/SatveerVermaBirkali
रचना पर अपने हस्ताक्षर करने के लिए शुक्रिया किशन जी।
रचना पर अपने हस्ताक्षर करने के लिए शुक्रिया किशन जी। रचना पर सार्थक टिप्पणी के लिए…tag:openbooks.ning.com,2013-03-03:5170231:Comment:3272172013-03-03T14:40:27.763Zसतवीर वर्मा 'बिरकाळी'http://openbooks.ning.com/profile/SatveerVermaBirkali
रचना पर सार्थक टिप्पणी के लिए शुक्रिया डॉ॰ प्राची सिंह जी। इसी तरह हमारे हौंसले रुपी गमले को सींचती रहें।
रचना पर सार्थक टिप्पणी के लिए शुक्रिया डॉ॰ प्राची सिंह जी। इसी तरह हमारे हौंसले रुपी गमले को सींचती रहें। पीठ थपथपाने के लिए धन्यवाद रव…tag:openbooks.ning.com,2013-03-03:5170231:Comment:3273132013-03-03T14:34:40.535Zसतवीर वर्मा 'बिरकाळी'http://openbooks.ning.com/profile/SatveerVermaBirkali
पीठ थपथपाने के लिए धन्यवाद रविकर जी। आपके मार्गदर्शन में हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
पीठ थपथपाने के लिए धन्यवाद रविकर जी। आपके मार्गदर्शन में हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी सार्थक और प्रोत्साहन करन…tag:openbooks.ning.com,2013-03-03:5170231:Comment:3270762013-03-03T14:18:34.359Zसतवीर वर्मा 'बिरकाळी'http://openbooks.ning.com/profile/SatveerVermaBirkali
आपकी सार्थक और प्रोत्साहन करने वाली टिप्पणी के लिए धन्यवाद राजेन्द्र कुमार जी। अभी तो मैं दो पत्तों वाला पौधा हूँ जिसने साहित्य रुपी वसुन्धरा के बाहर थोङा सा सर निकाला है। आप जैसे उच्च कोटि के साहित्यकारों की संगत में रहकर सार्थक टिप्पणी रुपी खाद पानी मिलने पर पौधा भी रचना क्षेत्र में परिपक्व होता जाएगा।
आपकी सार्थक और प्रोत्साहन करने वाली टिप्पणी के लिए धन्यवाद राजेन्द्र कुमार जी। अभी तो मैं दो पत्तों वाला पौधा हूँ जिसने साहित्य रुपी वसुन्धरा के बाहर थोङा सा सर निकाला है। आप जैसे उच्च कोटि के साहित्यकारों की संगत में रहकर सार्थक टिप्पणी रुपी खाद पानी मिलने पर पौधा भी रचना क्षेत्र में परिपक्व होता जाएगा। तोहफों के चयन के लिए मन में…tag:openbooks.ning.com,2013-03-01:5170231:Comment:3259022013-03-01T10:16:40.356ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p> तोहफों के चयन के लिए मन में व्याप्त डर को बढ़िया अभिव्यक्त किया है..बधाई </p>
<p> तोहफों के चयन के लिए मन में व्याप्त डर को बढ़िया अभिव्यक्त किया है..बधाई </p> बिलकुल भाई- बढ़िया प्रस्तुति -…tag:openbooks.ning.com,2013-03-01:5170231:Comment:3261132013-03-01T10:10:45.404Zरविकरhttp://openbooks.ning.com/profile/dineshravikar
<p>बिलकुल भाई-<br/> बढ़िया प्रस्तुति -<br/> शुभकामनायें-</p>
<p>बिलकुल भाई-<br/> बढ़िया प्रस्तुति -<br/> शुभकामनायें-</p> पहली बार इस पटल पर आपकी रचना…tag:openbooks.ning.com,2013-03-01:5170231:Comment:3257942013-03-01T05:52:51.564Zराजेश 'मृदु'http://openbooks.ning.com/profile/RajeshKumarJha
<p>पहली बार इस पटल पर आपकी रचना पढ़ते हुए जिसकी उम्मीद थी वह बात नहीं हुई, मन थोड़ा कसमसाया कि ऐसा कैसे हो सकता है पर पूरी रचना पढ़ते-पढ़ते आश्वस्ति गहरे उतर गई, आशा है यह आश्वस्ति आगे भी आप देते रहेंगें और मैं पाठक उसको समेटे मीठे सपने को बिना किसी कड़वाहट के स्वीकार एवं अंगीकार करता रहूंगा । हार्दिक बधाई इस सुंदर रचना पर</p>
<p>पहली बार इस पटल पर आपकी रचना पढ़ते हुए जिसकी उम्मीद थी वह बात नहीं हुई, मन थोड़ा कसमसाया कि ऐसा कैसे हो सकता है पर पूरी रचना पढ़ते-पढ़ते आश्वस्ति गहरे उतर गई, आशा है यह आश्वस्ति आगे भी आप देते रहेंगें और मैं पाठक उसको समेटे मीठे सपने को बिना किसी कड़वाहट के स्वीकार एवं अंगीकार करता रहूंगा । हार्दिक बधाई इस सुंदर रचना पर</p> शुक्रिया श्याम नारायण वर्मा ज…tag:openbooks.ning.com,2013-02-28:5170231:Comment:3254742013-02-28T14:08:03.198Zसतवीर वर्मा 'बिरकाळी'http://openbooks.ning.com/profile/SatveerVermaBirkali
शुक्रिया श्याम नारायण वर्मा जी और पवन अम्बा जी। आपकी हौंसला अफजाई से हमारी रचनाशीलता और परिपक्व होगी।
शुक्रिया श्याम नारायण वर्मा जी और पवन अम्बा जी। आपकी हौंसला अफजाई से हमारी रचनाशीलता और परिपक्व होगी। achha hai...tag:openbooks.ning.com,2013-02-28:5170231:Comment:3253972013-02-28T12:10:21.782Zpawan ambahttp://openbooks.ning.com/profile/pawanamba
<p>achha hai...</p>
<p>achha hai...</p> KYA BAT HAI.....
tag:openbooks.ning.com,2013-02-28:5170231:Comment:3253042013-02-28T11:40:51.230ZShyam Narain Vermahttp://openbooks.ning.com/profile/ShyamNarainVerma
<p>KYA BAT HAI.....</p>
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<p>KYA BAT HAI.....</p>
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