Comments - हैदराबाद से - एक ग़ज़ल !!! - Open Books Online2024-03-29T11:17:32Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A322737&xn_auth=noबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया वे…tag:openbooks.ning.com,2013-03-08:5170231:Comment:3296802013-03-08T13:45:28.993Zआशीष नैथानी 'सलिल'http://openbooks.ning.com/profile/AshishNaithaniSalil
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/vedikagitika" class="fn url">वेदिका</a> जी !</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/vedikagitika" class="fn url">वेदिका</a> जी !</p> आदरणीय विजय सर...... आपको ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2013-03-08:5170231:Comment:3298172013-03-08T13:44:27.846Zआशीष नैथानी 'सलिल'http://openbooks.ning.com/profile/AshishNaithaniSalil
<p>आदरणीय विजय सर...... <br/>आपको ग़ज़ल अच्छी लगी <br/>तहे दिल से शुक्रिया |</p>
<p>आदरणीय विजय सर...... <br/>आपको ग़ज़ल अच्छी लगी <br/>तहे दिल से शुक्रिया |</p> है नजर में महज खून ही खून बस…tag:openbooks.ning.com,2013-03-08:5170231:Comment:3296642013-03-08T11:17:05.873Zवेदिकाhttp://openbooks.ning.com/profile/vedikagitika
<p>है नजर में महज खून ही खून बस <br/> आज श्मसान 'दिलसुखनगर' हो गया ।</p>
<p>बहुत खूब <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/AshishNaithaniSalil" class="fn url">आशीष नैथानी 'सलिल'</a> जी !<br/>जिस घटना को केन्द्रित किया है, भयावह है वह, काश समझने वालों को समझने में आये यह बात या नासंझने वालों को।<br/>शुभकामनाये <br/>सादर वेदिका</p>
<p></p>
<p>है नजर में महज खून ही खून बस <br/> आज श्मसान 'दिलसुखनगर' हो गया ।</p>
<p>बहुत खूब <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/AshishNaithaniSalil" class="fn url">आशीष नैथानी 'सलिल'</a> जी !<br/>जिस घटना को केन्द्रित किया है, भयावह है वह, काश समझने वालों को समझने में आये यह बात या नासंझने वालों को।<br/>शुभकामनाये <br/>सादर वेदिका</p>
<p></p> आदरणीय आशीश जी,
बहुत सुन्दर…tag:openbooks.ning.com,2013-03-08:5170231:Comment:3295682013-03-08T10:58:17.129Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>आदरणीय आशीश जी,</p>
<p> </p>
<p>बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।</p>
<p> </p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p>
<p>आदरणीय आशीश जी,</p>
<p> </p>
<p>बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।</p>
<p> </p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p> बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अभि…tag:openbooks.ning.com,2013-02-25:5170231:Comment:3241492013-02-25T18:08:05.706Zआशीष नैथानी 'सलिल'http://openbooks.ning.com/profile/AshishNaithaniSalil
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अभिनव जी....</p>
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अभिनव जी....</p> धन्यवाद आदरणीय पवन जी.... गज…tag:openbooks.ning.com,2013-02-25:5170231:Comment:3243422013-02-25T18:07:34.716Zआशीष नैथानी 'सलिल'http://openbooks.ning.com/profile/AshishNaithaniSalil
<p>धन्यवाद आदरणीय पवन जी.... गजल पसंदगी के लिए तहे दिल से शुक्रिया <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/Vindhyeshwariprasadtripathi" class="fn url">विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी</a> जी.....</p>
<p>धन्यवाद आदरणीय पवन जी.... गजल पसंदगी के लिए तहे दिल से शुक्रिया <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/Vindhyeshwariprasadtripathi" class="fn url">विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी</a> जी.....</p> है नजर में महज खून ही खून बस…tag:openbooks.ning.com,2013-02-25:5170231:Comment:3239422013-02-25T09:48:21.448ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>है नजर में महज खून ही खून बस आज श्मसान 'दिलसुखनगर' हो गया ।</p>
<p><span>दर्दनाक हादसे पर केन्द्रित असरदार ग़ज़ल . हर शेर सोचने को विवश करता है . काश आवाज़ उन तक पहुंचे ...</span></p>
<p>है नजर में महज खून ही खून बस आज श्मसान 'दिलसुखनगर' हो गया ।</p>
<p><span>दर्दनाक हादसे पर केन्द्रित असरदार ग़ज़ल . हर शेर सोचने को विवश करता है . काश आवाज़ उन तक पहुंचे ...</span></p> सच हैदराबाद को वह दृश्य कितना…tag:openbooks.ning.com,2013-02-25:5170231:Comment:3237472013-02-25T06:54:43.793Zविन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठीhttp://openbooks.ning.com/profile/Vindhyeshwariprasadtripathi
सच हैदराबाद को वह दृश्य कितना वीभत्स था,हृदय विदारक।और यह निकम्मी सरकार को पता था कि धमाका होने वाला है।यह उससे भी अधिक वीभत्स है।आपने बहुत जीवंत चित्रण किया है,आपको तथा आपकी गजल को बधाई।
सच हैदराबाद को वह दृश्य कितना वीभत्स था,हृदय विदारक।और यह निकम्मी सरकार को पता था कि धमाका होने वाला है।यह उससे भी अधिक वीभत्स है।आपने बहुत जीवंत चित्रण किया है,आपको तथा आपकी गजल को बधाई। ये रवैया बड़ा अब लचर हो गया ।.…tag:openbooks.ning.com,2013-02-25:5170231:Comment:3238242013-02-25T00:26:56.506Zpawan ambahttp://openbooks.ning.com/profile/pawanamba
<p><span>ये रवैया बड़ा अब लचर हो गया ।......</span></p>
<p><span>बहुत खुबसूरत अंदाज़ है आपका </span></p>
<p><span>ये रवैया बड़ा अब लचर हो गया ।......</span></p>
<p><span>बहुत खुबसूरत अंदाज़ है आपका </span></p> तहे दिल से शुक्रिया भाई सन्दी…tag:openbooks.ning.com,2013-02-24:5170231:Comment:3231982013-02-24T04:42:43.331Zआशीष नैथानी 'सलिल'http://openbooks.ning.com/profile/AshishNaithaniSalil
<p>तहे दिल से शुक्रिया भाई सन्दीप जी...</p>
<p>तहे दिल से शुक्रिया भाई सन्दीप जी...</p>