Comments - जागतीआँखें .. टूटते ख्वाब... - Open Books Online2024-03-29T08:23:15Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A317939&xn_auth=noआदरणीय मैम नमस्कार.......
दोस…tag:openbooks.ning.com,2013-03-04:5170231:Comment:3272972013-03-04T09:13:11.302ZSonam Sainihttp://openbooks.ning.com/profile/sonamsaini
<p>आदरणीय मैम नमस्कार.......</p>
<p>दोस्ती लफ्ज़ से नफ़रत थी हमको पहले भी,</p>
<p>रहा सहा यकीं भी उठ गया अच्छा ही हुआ.....</p>
<p>sahi kaha ..........................</p>
<p>अफसुर्दा होना मेरा तेरा ही अत्फ़ था</p>
<p>तेरे ही तसव्वुर से आब-ए-चश्म यार निकले ......</p>
<p>आदरणीय मैम नमस्कार.......</p>
<p>दोस्ती लफ्ज़ से नफ़रत थी हमको पहले भी,</p>
<p>रहा सहा यकीं भी उठ गया अच्छा ही हुआ.....</p>
<p>sahi kaha ..........................</p>
<p>अफसुर्दा होना मेरा तेरा ही अत्फ़ था</p>
<p>तेरे ही तसव्वुर से आब-ए-चश्म यार निकले ......</p> दर्दे ग़मों की जमीन पर रची गई…tag:openbooks.ning.com,2013-02-16:5170231:Comment:3191332013-02-16T13:57:46.771ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>दर्दे ग़मों की जमीन पर रची गई यह रचना बरबस आकर्षित करती है , आदरणीया सरिता सिन्हा जी , आपकी और रचना तथा साथी सदस्यों की रचनाओं पर आपके बहुमूल्य विचार आमंत्रित हैं ।</p>
<p>इस अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>दर्दे ग़मों की जमीन पर रची गई यह रचना बरबस आकर्षित करती है , आदरणीया सरिता सिन्हा जी , आपकी और रचना तथा साथी सदस्यों की रचनाओं पर आपके बहुमूल्य विचार आमंत्रित हैं ।</p>
<p>इस अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> मंजरी दी, अपने समय दिया , बहु…tag:openbooks.ning.com,2013-02-15:5170231:Comment:3187592013-02-15T17:54:09.078ZSarita Sinhahttp://openbooks.ning.com/profile/SaritaSinha
<p>मंजरी दी, अपने समय दिया , बहुत बहुत धन्यवाद,...</p>
<p>मंजरी दी, अपने समय दिया , बहुत बहुत धन्यवाद,...</p> जो हुआ अच्छा हुआ
जो होगा वो…tag:openbooks.ning.com,2013-02-15:5170231:Comment:3188072013-02-15T12:02:04.723ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://openbooks.ning.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>जो हुआ अच्छा हुआ </p>
<p>जो होगा वो भी अच्छा होगा </p>
<p>सुन्दर गजल </p>
<p>बधाई, ईश पुत्री </p>
<p>सस्नेह </p>
<p>जो हुआ अच्छा हुआ </p>
<p>जो होगा वो भी अच्छा होगा </p>
<p>सुन्दर गजल </p>
<p>बधाई, ईश पुत्री </p>
<p>सस्नेह </p> पारस्परिक संबंधों और वैचारिक…tag:openbooks.ning.com,2013-02-15:5170231:Comment:3187222013-02-15T11:29:25.516ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>पारस्परिक संबंधों और वैचारिक तारतम्यता की टूटन पर आपकी कलम क्य्ता खूब चली है ! दर्द मानो बहते लावा की तरह लगातार पसरता गया है.</p>
<p>ज़मीन होती क़दम तले तो भला गिरते क्यों,<br/>हवा मे उड़ने का अंजाम मिला अच्छा ही हुआ..</p>
<p>इस द्विपदी ने वो कुछ साया किया है जिसका आकाश बहुत विस्तृत है.</p>
<p>भावाभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई.. .</p>
<p></p>
<p>पारस्परिक संबंधों और वैचारिक तारतम्यता की टूटन पर आपकी कलम क्य्ता खूब चली है ! दर्द मानो बहते लावा की तरह लगातार पसरता गया है.</p>
<p>ज़मीन होती क़दम तले तो भला गिरते क्यों,<br/>हवा मे उड़ने का अंजाम मिला अच्छा ही हुआ..</p>
<p>इस द्विपदी ने वो कुछ साया किया है जिसका आकाश बहुत विस्तृत है.</p>
<p>भावाभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई.. .</p>
<p></p> जागती आँखों से अच्छी रचना कर…tag:openbooks.ning.com,2013-02-15:5170231:Comment:3184492013-02-15T04:44:57.010Zmrs manjari pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/mrsmanjaripandey
<p>जागती आँखों से अच्छी रचना कर दी अच्छा ही हुआ</p>
<p>जागती आँखों से अच्छी रचना कर दी अच्छा ही हुआ</p> उपासना जी, नमस्कार,मनोभावों क…tag:openbooks.ning.com,2013-02-14:5170231:Comment:3184312013-02-14T17:37:01.819ZSarita Sinhahttp://openbooks.ning.com/profile/SaritaSinha
<p>उपासना जी, नमस्कार,<br/>मनोभावों को समझने के लिए आपका धन्यवाद..</p>
<p>उपासना जी, नमस्कार,<br/>मनोभावों को समझने के लिए आपका धन्यवाद..</p> वेदिका जी नमस्कार,समय देने के…tag:openbooks.ning.com,2013-02-14:5170231:Comment:3182862013-02-14T17:36:03.584ZSarita Sinhahttp://openbooks.ning.com/profile/SaritaSinha
<p>वेदिका जी नमस्कार,<br/>समय देने के लिए धन्यवाद..</p>
<p>वेदिका जी नमस्कार,<br/>समय देने के लिए धन्यवाद..</p> संदीप जी नमस्कार,एहसास को समझ…tag:openbooks.ning.com,2013-02-14:5170231:Comment:3183762013-02-14T17:34:31.564ZSarita Sinhahttp://openbooks.ning.com/profile/SaritaSinha
<p>संदीप जी नमस्कार,<br/>एहसास को समझने के लिए धन्यवाद..</p>
<p>संदीप जी नमस्कार,<br/>एहसास को समझने के लिए धन्यवाद..</p> प्रिय प्रवीण जी नमस्कार, सच ब…tag:openbooks.ning.com,2013-02-14:5170231:Comment:3183752013-02-14T17:25:45.476ZSarita Sinhahttp://openbooks.ning.com/profile/SaritaSinha
<p>प्रिय प्रवीण जी नमस्कार, सच बताऊं मुझे ज़रा भी अंदेशा होता कि आप यहाँ आ सकती हैं तो मैं इस नामुराद रचना को यहाँ पोस्ट ना करती....हा हा हा हा ... </p>
<p>प्रिय प्रवीण जी नमस्कार, सच बताऊं मुझे ज़रा भी अंदेशा होता कि आप यहाँ आ सकती हैं तो मैं इस नामुराद रचना को यहाँ पोस्ट ना करती....हा हा हा हा ... </p>