Comments - गीत: झाँक रही है... संजीव 'सलिल' - Open Books Online2024-03-28T09:29:58Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A304918&xn_auth=noमहिमा जी!धन्यवाद।tag:openbooks.ning.com,2013-01-01:5170231:Comment:3054542013-01-01T10:09:42.318Zsanjiv verma 'salil'http://openbooks.ning.com/profile/sanjivvermasalil
<p>महिमा जी!<br/>धन्यवाद।</p>
<p>महिमा जी!<br/>धन्यवाद।</p> चुन-चुन करती चिड़ियों के संगकम…tag:openbooks.ning.com,2013-01-01:5170231:Comment:3054332013-01-01T05:56:59.191ZMAHIMA SHREEhttp://openbooks.ning.com/profile/MAHIMASHREE
<p>चुन-चुन करती चिड़ियों के संग<br/>कमरे में आ.<br/>बिन बोले बोले मुझसे <br/>उठ! गीत गुनगुना.<br/>सपने देखे बहुत, करे<br/>साकार न क्यों तू?<br/>मुश्किल से मत डर, ले<br/>उनको बना झुनझुना. <br/><br/>टाँक रही है<br/>अपने सपने <br/>नए वर्ष में धूप सुबह की... ...</p>
<p>आदरणीय संजीव सर नमस्कार ..बहुत ही सुंदर गीत ..</p>
<p>नववर्ष की आपको बहुत बहुत बधाई और मंगलकामनाएं</p>
<p>चुन-चुन करती चिड़ियों के संग<br/>कमरे में आ.<br/>बिन बोले बोले मुझसे <br/>उठ! गीत गुनगुना.<br/>सपने देखे बहुत, करे<br/>साकार न क्यों तू?<br/>मुश्किल से मत डर, ले<br/>उनको बना झुनझुना. <br/><br/>टाँक रही है<br/>अपने सपने <br/>नए वर्ष में धूप सुबह की... ...</p>
<p>आदरणीय संजीव सर नमस्कार ..बहुत ही सुंदर गीत ..</p>
<p>नववर्ष की आपको बहुत बहुत बधाई और मंगलकामनाएं</p> प्राची जी, सौरभ जी नव वर्ष की…tag:openbooks.ning.com,2013-01-01:5170231:Comment:3054242013-01-01T05:06:58.727Zsanjiv verma 'salil'http://openbooks.ning.com/profile/sanjivvermasalil
<p>प्राची जी, सौरभ जी <br/>नव वर्ष की शुभ कामनाएं. गीत को सराहने के लिए हार्दिक आभार.</p>
<p>प्राची जी, सौरभ जी <br/>नव वर्ष की शुभ कामनाएं. गीत को सराहने के लिए हार्दिक आभार.</p> चुन-चुन करती चिड़ियों के संगकम…tag:openbooks.ning.com,2012-12-31:5170231:Comment:3054142012-12-31T14:51:21.768ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p><span>चुन-चुन करती चिड़ियों के संग</span><br/><span>कमरे में आ.</span><br/><span>बिन बोले बोले मुझसे </span><br/><span>उठ! गीत गुनगुना.......................बहुत कोमल शब्द , ह्रदय स्पर्शी, वाह!</span></p>
<p>बहुत सुन्दर शाब्दिक चित्रण नव वर्ष की पहली सुबह का</p>
<p>सादर बधाई इस नवगीत पर.</p>
<p><span>चुन-चुन करती चिड़ियों के संग</span><br/><span>कमरे में आ.</span><br/><span>बिन बोले बोले मुझसे </span><br/><span>उठ! गीत गुनगुना.......................बहुत कोमल शब्द , ह्रदय स्पर्शी, वाह!</span></p>
<p>बहुत सुन्दर शाब्दिक चित्रण नव वर्ष की पहली सुबह का</p>
<p>सादर बधाई इस नवगीत पर.</p> कॉफ़ी का प्याला थामेअखबार आज क…tag:openbooks.ning.com,2012-12-31:5170231:Comment:3054082012-12-31T13:15:25.294ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p><em>कॉफ़ी का प्याला थामे</em><br/><em>अखबार आज का.</em><br/><em>अधिक मूल से मोह पीला</em><br/><em>क्यों कहो ब्याज का?</em><br/><em>लिए बांह में बांह</em> <br/><em>डाह तज, छह पल रही-</em><br/><em>कशिश न कोशिश की कम हो</em> <br/><em>है सबक आज का.</em></p>
<p>इस नवगीत के लिए ढेरों बधाई, आदरणीय आचार्यजी. अंग्रेज़ी नव-वर्ष की पूर्व संध्या पर आपका उद्बोधन सुखकारी लगा.</p>
<p>सादर</p>
<p><em>कॉफ़ी का प्याला थामे</em><br/><em>अखबार आज का.</em><br/><em>अधिक मूल से मोह पीला</em><br/><em>क्यों कहो ब्याज का?</em><br/><em>लिए बांह में बांह</em> <br/><em>डाह तज, छह पल रही-</em><br/><em>कशिश न कोशिश की कम हो</em> <br/><em>है सबक आज का.</em></p>
<p>इस नवगीत के लिए ढेरों बधाई, आदरणीय आचार्यजी. अंग्रेज़ी नव-वर्ष की पूर्व संध्या पर आपका उद्बोधन सुखकारी लगा.</p>
<p>सादर</p> लक्ष्मन जी, अशोक जी रचना को…tag:openbooks.ning.com,2012-12-31:5170231:Comment:3052002012-12-31T12:59:13.573Zsanjiv verma 'salil'http://openbooks.ning.com/profile/sanjivvermasalil
<p>लक्ष्मन जी, अशोक जी <br/>रचना को सराहने के लिए आभार।</p>
<p>लक्ष्मन जी, अशोक जी <br/>रचना को सराहने के लिए आभार।</p> परम आदरणीय सलिल जी सादर, सुन्…tag:openbooks.ning.com,2012-12-31:5170231:Comment:3052282012-12-31T03:16:49.776ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>परम आदरणीय सलिल जी सादर, सुन्दर नव वर्ष का यह गीत. गीत और नव वर्ष पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.</p>
<p>परम आदरणीय सलिल जी सादर, सुन्दर नव वर्ष का यह गीत. गीत और नव वर्ष पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.</p> बहुत सुन्दर रचना के साथ नव वर…tag:openbooks.ning.com,2012-12-30:5170231:Comment:3047862012-12-30T09:12:32.056Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<div><span><font color="#990000">बहुत सुन्दर रचना के साथ नव वर्ष का आगाज, हार्दिक बधाई के साथ स्वागत नव वर्ष का श्री संजीव सलिल जी </font></span></div>
<div><font color="#990000"><span>झाँक रही है </span><span>खोल झरोखा</span></font></div>
<p><span><span><font color="#990000">नए वर्ष में धूप सुबह की.</font></span></span></p>
<div><font color="#990000"><span>टाँक रही है</span><span>अपने सपने </span><br></br><span>नए वर्ष में धूप सुबह की... </span></font></div>
<div><span><font color="#990000">नव…</font></span></div>
<div><span><font color="#990000">बहुत सुन्दर रचना के साथ नव वर्ष का आगाज, हार्दिक बधाई के साथ स्वागत नव वर्ष का श्री संजीव सलिल जी </font></span></div>
<div><font color="#990000"><span>झाँक रही है </span><span>खोल झरोखा</span></font></div>
<p><span><span><font color="#990000">नए वर्ष में धूप सुबह की.</font></span></span></p>
<div><font color="#990000"><span>टाँक रही है</span><span>अपने सपने </span><br/><span>नए वर्ष में धूप सुबह की... </span></font></div>
<div><span><font color="#990000">नव वर्ष की हार्दिक शुभ मंगल कामनाए </font></span></div>