Comments - करवाचौथ की फुलझड़ियाँ "माहिया" - Open Books Online2024-03-29T11:19:02Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A286268&xn_auth=noआदरणीय लक्ष्मण जी माहिया की य…tag:openbooks.ning.com,2013-07-16:5170231:Comment:3977762013-07-16T03:31:39.993Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>आदरणीय लक्ष्मण जी </span><span>माहिया की ये फुलझड़ियाँ </span><span> आपको रुचिकर लगी दिल से आभारी हूँ</span></p>
<p><span>आदरणीय लक्ष्मण जी </span><span>माहिया की ये फुलझड़ियाँ </span><span> आपको रुचिकर लगी दिल से आभारी हूँ</span></p> करवा चौथ से लेकर दीपावली तक फ…tag:openbooks.ning.com,2013-07-15:5170231:Comment:3977552013-07-15T16:55:33.889Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>करवा चौथ से लेकर दीपावली तक फूल्झडिया छुडाने का आनंद देती पति, पत्नी के मध्य चुहलबाजी बेहद पदंड आई | </p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी </p>
<p>करवा चौथ से लेकर दीपावली तक फूल्झडिया छुडाने का आनंद देती पति, पत्नी के मध्य चुहलबाजी बेहद पदंड आई | </p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी </p> हार्दिक आभार किशन कुमार जी आप…tag:openbooks.ning.com,2013-07-15:5170231:Comment:3975682013-07-15T16:09:45.578Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>हार्दिक आभार किशन कुमार जी आपको माहिया पसंद आया </span></p>
<p><span>हार्दिक आभार किशन कुमार जी आपको माहिया पसंद आया </span></p> प्रिय सरिता जी माहिया आपको पस…tag:openbooks.ning.com,2013-07-15:5170231:Comment:3974582013-07-15T15:16:38.512Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>प्रिय सरिता जी माहिया आपको पसंद आये हार्दिक धन्यवाद मेरी प्रोफिल में </span><span> विडियो मे जाकर </span><span> इसी माहिया की विडियो भी आप देख सकती हैं </span></p>
<p><span>प्रिय सरिता जी माहिया आपको पसंद आये हार्दिक धन्यवाद मेरी प्रोफिल में </span><span> विडियो मे जाकर </span><span> इसी माहिया की विडियो भी आप देख सकती हैं </span></p> वाह राजेश दी मजा आ गया
आपने…tag:openbooks.ning.com,2013-07-15:5170231:Comment:3977082013-07-15T12:41:44.919ZSarita Bhatiahttp://openbooks.ning.com/profile/SaritaBhatia
<p>वाह राजेश दी मजा आ गया </p>
<p>आपने तो पंजाबी का वोह स्टाइल याद दिला दिया </p>
<p>हम पंजाबी में इसे टप्पे बोलते हैं शादी ब्याह में यह बोलते हुए आपस में compitition करते थे एक ग्रुप एक बोलता तो दूसरा ग्रुप दूसरा बोलता </p>
<p>शुक्रिया योगराज जी इसकी जानकारी देने के लिए </p>
<p>वाह राजेश दी मजा आ गया </p>
<p>आपने तो पंजाबी का वोह स्टाइल याद दिला दिया </p>
<p>हम पंजाबी में इसे टप्पे बोलते हैं शादी ब्याह में यह बोलते हुए आपस में compitition करते थे एक ग्रुप एक बोलता तो दूसरा ग्रुप दूसरा बोलता </p>
<p>शुक्रिया योगराज जी इसकी जानकारी देने के लिए </p> मैं समझ तो गई योगराज जी माफ़…tag:openbooks.ning.com,2012-11-03:5170231:Comment:2872782012-11-03T10:29:48.487Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>मैं समझ तो गई योगराज जी </span><span> </span><span>माफ़ कीजिये मैं मात्राओं का टोटल हर </span><span>पंक्ति के हिसाब से लिख रही थी जैसे एक एक पंक्ति में कुल 12 मात्राएँ </span></p>
<p><span>मैं समझ तो गई योगराज जी </span><span> </span><span>माफ़ कीजिये मैं मात्राओं का टोटल हर </span><span>पंक्ति के हिसाब से लिख रही थी जैसे एक एक पंक्ति में कुल 12 मात्राएँ </span></p> 12 12 12 नहीं राजेश कुमारी जी…tag:openbooks.ning.com,2012-11-03:5170231:Comment:2875222012-11-03T10:12:28.104Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>12 12 12 नहीं राजेश कुमारी जी 22+22+22</p>
<p>12 12 12 नहीं राजेश कुमारी जी 22+22+22</p> आदरणीय योगराज जी माहिया की इत…tag:openbooks.ning.com,2012-11-03:5170231:Comment:2872742012-11-03T10:00:07.493Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>आदरणीय योगराज जी माहिया की इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए हार्दिक आभार इसका मतलब तीनो पंक्तियाँ १२,१२,१२ होनी चाहिए मुझे तो अभी तक १२,१०,१२ की ही जानकारी थी चलिए आगे से ठीक करेंगे </span></p>
<div>एक बार फिर से शुक्रिया </div>
<p><span>आदरणीय योगराज जी माहिया की इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए हार्दिक आभार इसका मतलब तीनो पंक्तियाँ १२,१२,१२ होनी चाहिए मुझे तो अभी तक १२,१०,१२ की ही जानकारी थी चलिए आगे से ठीक करेंगे </span></p>
<div>एक बार फिर से शुक्रिया </div> माहिया पंजाबी भाषा की एक बेहद…tag:openbooks.ning.com,2012-11-03:5170231:Comment:2875182012-11-03T09:30:11.761Zयोगराज प्रभाकरhttp://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>माहिया पंजाबी भाषा की एक बेहद मशहूर और सदाबहार विधा का नाम है। दरअसल यह एक त्रिपदी है, जिसमे एक स्वतंत्र पद तथा एक शेअर होता है। हालाकि पहले पद का शेअर से सम्बन्ध होना आवश्यक नहीं किन्तु यह शेअर की जमीन तय करता है। पंजाबी के इलावा उर्दू में भी इस विधा पर (खासकर पाकिस्तान में) बहुत उच्चस्तरीय काम हो रहा है। हमारे यहाँ हिंदी में भी बहुत से लोग इस विधा पर सफलतापूर्वक कलम आजमाई कर रहे हैं जिसे अंतर्जाल पर बड़ी आसानी से खोजा जा सकता है। हिंदी फिल्म "पति पत्नी और वो" में स्व संजीव कुमार एवं…</p>
<p>माहिया पंजाबी भाषा की एक बेहद मशहूर और सदाबहार विधा का नाम है। दरअसल यह एक त्रिपदी है, जिसमे एक स्वतंत्र पद तथा एक शेअर होता है। हालाकि पहले पद का शेअर से सम्बन्ध होना आवश्यक नहीं किन्तु यह शेअर की जमीन तय करता है। पंजाबी के इलावा उर्दू में भी इस विधा पर (खासकर पाकिस्तान में) बहुत उच्चस्तरीय काम हो रहा है। हमारे यहाँ हिंदी में भी बहुत से लोग इस विधा पर सफलतापूर्वक कलम आजमाई कर रहे हैं जिसे अंतर्जाल पर बड़ी आसानी से खोजा जा सकता है। हिंदी फिल्म "पति पत्नी और वो" में स्व संजीव कुमार एवं अभिनेत्री विद्या सिन्हा पर फिल्माया गया मशहूर माहिया (गीत) कौन भुला सकता है <br/><br/>"कोठे ते काँ बोले <br/>उस दिन को देखूं <br/>जिस दिन तू हाँ बोले" <br/><br/>इस माहिये में पहले पद का अगली दो पंक्तियों से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं, सिर्फ अगले शेअर की ज़मीन तैयार करने की कवायद है। <br/><br/>इस माहिया का अगला बंद देखें <br/><br/>क्या नाम तुम्हारा है <br/>उम्र तो काफी है <br/>अब तक तू कुंवारा है <br/><br/>यहाँ पहला बंद ज़मीन तैयार करने के इलावा स्वतंत्र नहीं बल्कि त्रिपदी का ही हिस्सा लग रहा है। <br/><br/> इस विधा के शिल्प विधान से सम्बंधित कोई ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं। किन्तु लाहोर पाकिस्तान से शाहमुखी (लिपि उर्दू लेकिन भाषा पंजाबी) में प्रकाशित जनाब सादिक तासीर साहिब की पुस्तक "पंजाबी दा अपना अरूज़" में इस विधा के शिल्प स्वरुप पर बहुत विस्तृत जानकारी दी गई है। जिसके अनुसार माहिये में के हरेक पद में 3 फेलुन (2+2, 2+2, 2+2) अथवा 6 गुरु (2+2+2+2+2+2) प्रयोग करने से इसकी गेयता में जबरदस्त वृद्धि होती है। वैसे बहुत से शायरों ने कई और वज़्नों में भी इस विधा को कहा है, जोकि बिलकुल जायज़ भी माना गया। तो कुल मिलकर एक बात तो सामने उभर कर आती है कि तीनों पदों का वज़न सामान हो और पद गुर+गुरु से समाप्त होना चाहिए ताकि रवानी निर्बाध रहे। </p> अपलोड कर दी सीमा जीtag:openbooks.ning.com,2012-11-01:5170231:Comment:2870142012-11-01T17:21:26.874Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>अपलोड कर दी सीमा जी</span></p>
<p><span>अपलोड कर दी सीमा जी</span></p>