Comments - आखिर - Open Books Online2024-03-29T02:33:33Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A266753&xn_auth=noशुक्रिया रेखा जी,राजेश जी,लक्…tag:openbooks.ning.com,2012-09-01:5170231:Comment:2670352012-09-01T05:09:13.880ZDeepak Sharma Kuluvihttp://openbooks.ning.com/profile/DeepakKuluvi
<div>शुक्रिया रेखा जी,राजेश जी,लक्ष्मण जी </div>
<div>साक़ी,शराब,शबनम,चिराग,ग़म,तन्हाई हम शायरों की शायरी के अनमोल गहने होते हैं इनके बिना शायरी अधूरी सी लगती है I</div>
<div>गीत </div>
<div>न पूछो </div>
<p><span>पूछो न कोई मुझसे क्यों पीता शराब हूँ-2</span></p>
<div>अब किसको क्या पता है मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-२</div>
<div>--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------</div>
<div>(1) 'दीपक' था नाम जलना था,जलते रहे ऐ-दिल </div>
<div>बुझने से पहले बेवफा इक बार आके मिल </div>
<div>देती है ताहने…</div>
<div>शुक्रिया रेखा जी,राजेश जी,लक्ष्मण जी </div>
<div>साक़ी,शराब,शबनम,चिराग,ग़म,तन्हाई हम शायरों की शायरी के अनमोल गहने होते हैं इनके बिना शायरी अधूरी सी लगती है I</div>
<div>गीत </div>
<div>न पूछो </div>
<p><span>पूछो न कोई मुझसे क्यों पीता शराब हूँ-2</span></p>
<div>अब किसको क्या पता है मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-२</div>
<div>--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------</div>
<div>(1) 'दीपक' था नाम जलना था,जलते रहे ऐ-दिल </div>
<div>बुझने से पहले बेवफा इक बार आके मिल </div>
<div>देती है ताहने दुनियाँ क्या सचमुच ख़राब हूँ</div>
<div><span>अब किसको क्या पता है मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-२</span></div>
<div>--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------</div>
<div>दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'</div>
<div>01 -09 -12 .</div>
<div>09350078399</div>
<div>geet still to complete today.....</div> हम मुहब्बत के पुजारी हैं इश्क…tag:openbooks.ning.com,2012-08-31:5170231:Comment:2667942012-08-31T15:41:00.076ZRekha Joshihttp://openbooks.ning.com/profile/RekhaJoshi
<p><span>हम मुहब्बत के पुजारी हैं इश्क करते हैं</span><br/><span>ग़म के सहरा पे चलनें का दम भरते है</span><br/><span>दर्द का रिश्ता तो इस दिल पुराना है दोस्त</span><br/><span>हम तो तन्हाई में जीने का हुनर रखते हैं,खूबसूरत पंक्तियाँ आदरणीय दीपक जी ,बधाई </span></p>
<p><span>हम मुहब्बत के पुजारी हैं इश्क करते हैं</span><br/><span>ग़म के सहरा पे चलनें का दम भरते है</span><br/><span>दर्द का रिश्ता तो इस दिल पुराना है दोस्त</span><br/><span>हम तो तन्हाई में जीने का हुनर रखते हैं,खूबसूरत पंक्तियाँ आदरणीय दीपक जी ,बधाई </span></p> बेगुनाही का सबूत हमसे न मांगो…tag:openbooks.ning.com,2012-08-31:5170231:Comment:2668532012-08-31T13:38:17.355Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>बेगुनाही का सबूत हमसे न मांगो यारो <br/>हमने तो चाहा,खता इतनी सी थी मेरी <br/>हम तो ग़म के प्याले भी हँसके पीते रहे <br/>उनको ऐतवार न था,गलती थी क्या मेरी-----<span>वाह बहुत बेहतरीन पंक्तियाँ ---सुन्दर रचना </span></p>
<p>बेगुनाही का सबूत हमसे न मांगो यारो <br/>हमने तो चाहा,खता इतनी सी थी मेरी <br/>हम तो ग़म के प्याले भी हँसके पीते रहे <br/>उनको ऐतवार न था,गलती थी क्या मेरी-----<span>वाह बहुत बेहतरीन पंक्तियाँ ---सुन्दर रचना </span></p> dhanyabad laxman ji....tag:openbooks.ning.com,2012-08-31:5170231:Comment:2669212012-08-31T10:06:32.921ZDeepak Sharma Kuluvihttp://openbooks.ning.com/profile/DeepakKuluvi
<p>dhanyabad laxman ji....</p>
<p>dhanyabad laxman ji....</p> हम तो तन्हाई में जीने का हुनर…tag:openbooks.ning.com,2012-08-31:5170231:Comment:2669122012-08-31T09:13:46.823Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://openbooks.ning.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<div><font color="#B45F06"><span>हम तो तन्हाई में जीने का हुनर रखते हैं</span></font></div>
<div><span><font color="#B45F06">यह तो ठीक है, पर जाम तो साथ २ लो, गम दूर हो जायेंगे </font></span></div>
<div><span><font color="#B45F06">बढ़िया भाव पिरोये है, बधाई दीपल शर्मा कुलुवी जी </font></span></div>
<div><font color="#B45F06"><span>हम तो तन्हाई में जीने का हुनर रखते हैं</span></font></div>
<div><span><font color="#B45F06">यह तो ठीक है, पर जाम तो साथ २ लो, गम दूर हो जायेंगे </font></span></div>
<div><span><font color="#B45F06">बढ़िया भाव पिरोये है, बधाई दीपल शर्मा कुलुवी जी </font></span></div>