Comments - ये अंतर क्यों है ? - Open Books Online2024-03-28T15:48:54Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A242108&xn_auth=noसुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत…tag:openbooks.ning.com,2012-09-13:5170231:Comment:2712702012-09-13T06:01:58.033ZEr. Ambarish Srivastavahttp://openbooks.ning.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई !</p>
<p>सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई !</p> बहुत ही सुन्दर रचना योगी जी…tag:openbooks.ning.com,2012-09-13:5170231:Comment:2712672012-09-13T05:51:00.270Zyogesh shivharehttp://openbooks.ning.com/profile/yogeshshivhare
<p>बहुत ही सुन्दर रचना योगी जी ...बेहतरीन लाजवाब...<br/><br/>तू है सबका प्यारा , तू है सबसे महान <br/> कोई पढ़े गीता यहाँ , कोई पढ़े कुरआन <br/> पूजे जब हर कोई तुझको <br/> तो ये हिन्दू -मुस्लिम का अंतर क्यों है ?<br/><br/><br/></p>
<p>बहुत ही सुन्दर रचना योगी जी ...बेहतरीन लाजवाब...<br/><br/>तू है सबका प्यारा , तू है सबसे महान <br/> कोई पढ़े गीता यहाँ , कोई पढ़े कुरआन <br/> पूजे जब हर कोई तुझको <br/> तो ये हिन्दू -मुस्लिम का अंतर क्यों है ?<br/><br/><br/></p> बहुत बहुत आभार श्री फूल सिंह…tag:openbooks.ning.com,2012-08-31:5170231:Comment:2666962012-08-31T05:53:07.039ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>बहुत बहुत आभार श्री फूल सिंह जी ! आपका सहयोग और समर्थन लगातार मिल रहा है ! मेरे लिए ख़ुशी की बात है ! सहयोग बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p>
<p>बहुत बहुत आभार श्री फूल सिंह जी ! आपका सहयोग और समर्थन लगातार मिल रहा है ! मेरे लिए ख़ुशी की बात है ! सहयोग बनाये रखियेगा ! धन्यवाद</p> योगी जी प्रणाम,
बहुत ही भावपू…tag:openbooks.ning.com,2012-08-28:5170231:Comment:2658002012-08-28T11:28:23.121ZPHOOL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/PHOOLSINGH
<p>योगी जी प्रणाम,</p>
<p>बहुत ही भावपूर्ण रचना के लिए धन्यवाद........</p>
<p></p>
<p>फूल सिंह</p>
<p>योगी जी प्रणाम,</p>
<p>बहुत ही भावपूर्ण रचना के लिए धन्यवाद........</p>
<p></p>
<p>फूल सिंह</p> आदरणीय श्री भ्रमर साब , सादर…tag:openbooks.ning.com,2012-07-04:5170231:Comment:2442192012-07-04T09:05:05.002ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>आदरणीय श्री भ्रमर साब , सादर नमस्कार ! आपको मेरे शब्द पसंद आये और आपने कीमती विचार दिया , बहुत बहुत आभार ! आपके आशिरवाद और सहयोग की कामना करता हूँ !</p>
<p>आदरणीय श्री भ्रमर साब , सादर नमस्कार ! आपको मेरे शब्द पसंद आये और आपने कीमती विचार दिया , बहुत बहुत आभार ! आपके आशिरवाद और सहयोग की कामना करता हूँ !</p> आदरणीय रेखा जोशी जी , सादर नम…tag:openbooks.ning.com,2012-07-04:5170231:Comment:2443092012-07-04T09:03:58.787ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>आदरणीय रेखा जोशी जी , सादर नमस्कार ! आपको रचना पसंद आई , बहुत बहुत आभार ! आपके आशीर्वाद और सहयोग की कामना करता हूँ !</p>
<p>आदरणीय रेखा जोशी जी , सादर नमस्कार ! आपको रचना पसंद आई , बहुत बहुत आभार ! आपके आशीर्वाद और सहयोग की कामना करता हूँ !</p> आदरणीय श्री डॉ. सूर्य बाली जी…tag:openbooks.ning.com,2012-07-04:5170231:Comment:2440582012-07-04T09:02:55.184ZYogi Saraswathttp://openbooks.ning.com/profile/YogendraKumarSaraswat
<p>आदरणीय श्री डॉ. सूर्य बाली जी , सादर नमस्कार ! आपको रचना पसंद आई , बहुत बहुत आभार ! सहयोग की कामना करता हूँ !</p>
<p>आदरणीय श्री डॉ. सूर्य बाली जी , सादर नमस्कार ! आपको रचना पसंद आई , बहुत बहुत आभार ! सहयोग की कामना करता हूँ !</p> प्रिय योगी जी बहुत सुन्दर सन्…tag:openbooks.ning.com,2012-07-04:5170231:Comment:2441202012-07-04T08:51:37.206ZSURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMARhttp://openbooks.ning.com/profile/SURENDRAKUMARSHUKLABHRAMAR
<p><span>प्रिय योगी जी बहुत सुन्दर सन्देश देती रचना.... लेकिन काश ये अंतर कभी मिट पाता कुछ स्वार्थी लोग भाईचारे की जगह अपना उल्लू सीधा करते हैं लड़ाते रहते हैं </span></p>
<p><span><span>कोई कहे तुझे खुदा ,कोई काहे तुझे भगवान् ?</span></span></p>
<div>प्रिय योगी जी आप का प्रश्नवाच<span>क </span> अर्थ है</div>
<div>या कोई कहे तुझे भगवान् ....</div>
<p><span> </span></p>
<div>भ्रमर ५ </div>
<p><span>प्रिय योगी जी बहुत सुन्दर सन्देश देती रचना.... लेकिन काश ये अंतर कभी मिट पाता कुछ स्वार्थी लोग भाईचारे की जगह अपना उल्लू सीधा करते हैं लड़ाते रहते हैं </span></p>
<p><span><span>कोई कहे तुझे खुदा ,कोई काहे तुझे भगवान् ?</span></span></p>
<div>प्रिय योगी जी आप का प्रश्नवाच<span>क </span> अर्थ है</div>
<div>या कोई कहे तुझे भगवान् ....</div>
<p><span> </span></p>
<div>भ्रमर ५ </div> योगी जी ,सादर नमस्ते ,
कोई कह…tag:openbooks.ning.com,2012-06-29:5170231:Comment:2419882012-06-29T07:16:30.060ZRekha Joshihttp://openbooks.ning.com/profile/RekhaJoshi
<p><span>योगी जी ,सादर नमस्ते ,</span></p>
<div><span>कोई कहे तुझे खुदा , कोई काहे तुझे भगवान् </span><br/><span>करते जब सब तेरा ही गुणगान </span><br/><span>तो इस मृत्युलोक में </span><br/><span>तेरे नाम में ये अंतर क्यों है ? ,बहुत बढ़िया रचना बधाई </span></div>
<p><span>योगी जी ,सादर नमस्ते ,</span></p>
<div><span>कोई कहे तुझे खुदा , कोई काहे तुझे भगवान् </span><br/><span>करते जब सब तेरा ही गुणगान </span><br/><span>तो इस मृत्युलोक में </span><br/><span>तेरे नाम में ये अंतर क्यों है ? ,बहुत बढ़िया रचना बधाई </span></div> योगी भाई नमस्कार ! बड़े दिनो ब…tag:openbooks.ning.com,2012-06-29:5170231:Comment:2421152012-06-29T06:30:54.195Zडॉ. सूर्या बाली "सूरज"http://openbooks.ning.com/profile/02eamj4esk9aa
<p>योगी भाई नमस्कार ! बड़े दिनो बाद इतनी सुंदर कविता पढ़ने को मिली...कहाँ ग़ायब हो गए थे? मजहबी एकता को दरसाती हुई सुंदर रचना के लिए कोटी कोटी बधाइयाँ !</p>
<p>योगी भाई नमस्कार ! बड़े दिनो बाद इतनी सुंदर कविता पढ़ने को मिली...कहाँ ग़ायब हो गए थे? मजहबी एकता को दरसाती हुई सुंदर रचना के लिए कोटी कोटी बधाइयाँ !</p>