Comments - ग़ज़ल:माँ के आँचल सा - Open Books Online2024-03-29T00:45:44Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A23550&xn_auth=no"आभार "आपने पसंद किया .बागी ज…tag:openbooks.ning.com,2010-10-09:5170231:Comment:257672010-10-09T04:44:58.767ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
"आभार "आपने पसंद किया .बागी जी कई बार ये की बोर्ड मन की बात कहता है पर अपनी वर्तनी के साथ .
"आभार "आपने पसंद किया .बागी जी कई बार ये की बोर्ड मन की बात कहता है पर अपनी वर्तनी के साथ . बागी जी आभार ! अपने पसंद किया…tag:openbooks.ning.com,2010-10-09:5170231:Comment:256942010-10-09T03:12:55.694ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
बागी जी आभार ! अपने पसंद किया .
बागी जी आभार ! अपने पसंद किया . भक्काटा* के शोर में छोटे बच्च…tag:openbooks.ning.com,2010-10-03:5170231:Comment:246252010-10-03T15:47:32.625ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
भक्काटा* के शोर में छोटे बच्चे सा ,<br />
अपने मांझे को ढिलता है गुलमोहर .<br />
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बच्चपन की ढेर सारी यादें आपने ताजा कर दिया ,अच्छी ग़ज़ल अरुण भाई , बधाई ,
भक्काटा* के शोर में छोटे बच्चे सा ,<br />
अपने मांझे को ढिलता है गुलमोहर .<br />
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बच्चपन की ढेर सारी यादें आपने ताजा कर दिया ,अच्छी ग़ज़ल अरुण भाई , बधाई ,