Comments - जिंदगी का सफ़र - Open Books Online2024-03-28T14:49:30Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A232125&xn_auth=noरोहित जी जय श्री राधे ..खूबसू…tag:openbooks.ning.com,2012-10-30:5170231:Comment:2864242012-10-30T15:19:55.128ZSURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMARhttp://openbooks.ning.com/profile/SURENDRAKUMARSHUKLABHRAMAR
<p><span>रोहित जी जय श्री राधे ..खूबसूरत बिभिन्न रंग ...जिन्दगी का फलसफा ..जिओ जी भर के ....सच है </span><span>यह एक </span><b>खूबसूरत</b><span> जिंदगी का सफ़र है </span><br/><span>जी लो तो १०० </span><b>जन्म</b><span> कम पड़ जाए..आइये इस कुछ पल को ही यादगार बना लें </span></p>
<div><span>भ्रमर ५ </span></div>
<p><span>रोहित जी जय श्री राधे ..खूबसूरत बिभिन्न रंग ...जिन्दगी का फलसफा ..जिओ जी भर के ....सच है </span><span>यह एक </span><b>खूबसूरत</b><span> जिंदगी का सफ़र है </span><br/><span>जी लो तो १०० </span><b>जन्म</b><span> कम पड़ जाए..आइये इस कुछ पल को ही यादगार बना लें </span></p>
<div><span>भ्रमर ५ </span></div> सच में प्यार से जी लो तो पल भ…tag:openbooks.ning.com,2012-06-22:5170231:Comment:2394872012-06-22T19:31:42.989ZSURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMARhttp://openbooks.ning.com/profile/SURENDRAKUMARSHUKLABHRAMAR
<p><span>सच में प्यार से जी लो तो पल भर में सौ वर्ष की जिन्दगी मिल जाए रोहित जी ..बहुत सुन्दर शमा बाँधा आपने बहुत कुछ दिखा दिया लिखते रहिये अभी और मेहनत करिए रंग लायेगे मेंहदी घिस जाने के बाद --भ्रमर ५ </span></p>
<p><span>सच में प्यार से जी लो तो पल भर में सौ वर्ष की जिन्दगी मिल जाए रोहित जी ..बहुत सुन्दर शमा बाँधा आपने बहुत कुछ दिखा दिया लिखते रहिये अभी और मेहनत करिए रंग लायेगे मेंहदी घिस जाने के बाद --भ्रमर ५ </span></p> आदरणीय अशोक जी, आपसे सहमत हूँ…tag:openbooks.ning.com,2012-06-03:5170231:Comment:2328842012-06-03T05:28:13.460ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय अशोक जी, आपसे सहमत हूँ यदि रचना पर और समय दिया गया होता तो स्वरुप कुछ अलग होता, प्रयास निश्चित ही बढ़िया है इसके लिए रोहित जी का मैं उत्साहवर्धन करता हूँ , सामान्यतः जिन शब्दों को प्रधान संपादक जी द्वारा दुरुस्त किया जाता है उसे बोल्ड कर दिया जाता है जिससे लेखक को पता चलें की उसने क्या क्या और कहाँ कहाँ त्रुटी की है |</p>
<p>आदरणीय अशोक जी, आपसे सहमत हूँ यदि रचना पर और समय दिया गया होता तो स्वरुप कुछ अलग होता, प्रयास निश्चित ही बढ़िया है इसके लिए रोहित जी का मैं उत्साहवर्धन करता हूँ , सामान्यतः जिन शब्दों को प्रधान संपादक जी द्वारा दुरुस्त किया जाता है उसे बोल्ड कर दिया जाता है जिससे लेखक को पता चलें की उसने क्या क्या और कहाँ कहाँ त्रुटी की है |</p> रोहित जी नमस्कार, बहु…tag:openbooks.ning.com,2012-06-03:5170231:Comment:2326932012-06-03T01:05:35.157ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>रोहित जी <br/> नमस्कार, बहुत अच्छा प्रयास है और भी अच्छा हो सकता था. आपने कुछ शब्दों को बोल्ड कर दिखाया है मै इसका उद्देश्य नहीं समझ सका. लिखते रहें</p>
<p>रोहित जी <br/> नमस्कार, बहुत अच्छा प्रयास है और भी अच्छा हो सकता था. आपने कुछ शब्दों को बोल्ड कर दिखाया है मै इसका उद्देश्य नहीं समझ सका. लिखते रहें</p> भाई जी, मैं विधा का ज्ञाता नह…tag:openbooks.ning.com,2012-06-01:5170231:Comment:2325212012-06-01T11:58:12.857ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://openbooks.ning.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>भाई जी, मैं विधा का ज्ञाता नहीं हूँ. आपने अपने भाव प्रस्तुत किये, बढ़िया लगे. ये एक स्कूल है. सीखा जाये तो अच्छा. प्राची जी की सलाह भी मानने योग्य है.</p>
<p>शुभ कामना.</p>
<p>भाई जी, मैं विधा का ज्ञाता नहीं हूँ. आपने अपने भाव प्रस्तुत किये, बढ़िया लगे. ये एक स्कूल है. सीखा जाये तो अच्छा. प्राची जी की सलाह भी मानने योग्य है.</p>
<p>शुभ कामना.</p>
रोहित जी,
ज़िंदगी हर रूप में…tag:openbooks.ning.com,2012-06-01:5170231:Comment:2323502012-06-01T11:18:24.841ZDr.Prachi Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p> </p>
<div>रोहित जी,</div>
<div>ज़िंदगी हर रूप में बहुत खूबसूरत है....</div>
<div>पर इस अभिव्यक्ति को भी उतना ही खूबसूरत बनाने के लिए, थोड़ा सा और वक़्त दीजिये, और इसे निखारने का प्रयास कीजिये....</div>
<div>कथ्य पक्ष उत्तम है, पर शिल्प के लिहाज से आपको इसे और लय-बद्ध करना चाहिए व जो आप दृश्य प्रस्तुत करना चाहते हैं उनको इस तरह विस्तार से न दे कर, कम शब्दों में अर्थात सारगर्भित रूप में देने का प्रयत्न कीजिये...</div>
<div>आपके सदप्रयास के लिए हार्दिक बधाई..</div>
<p> </p>
<div>रोहित जी,</div>
<div>ज़िंदगी हर रूप में बहुत खूबसूरत है....</div>
<div>पर इस अभिव्यक्ति को भी उतना ही खूबसूरत बनाने के लिए, थोड़ा सा और वक़्त दीजिये, और इसे निखारने का प्रयास कीजिये....</div>
<div>कथ्य पक्ष उत्तम है, पर शिल्प के लिहाज से आपको इसे और लय-बद्ध करना चाहिए व जो आप दृश्य प्रस्तुत करना चाहते हैं उनको इस तरह विस्तार से न दे कर, कम शब्दों में अर्थात सारगर्भित रूप में देने का प्रयत्न कीजिये...</div>
<div>आपके सदप्रयास के लिए हार्दिक बधाई..</div> zindgi ko itne aayaamon se de…tag:openbooks.ning.com,2012-06-01:5170231:Comment:2324232012-06-01T11:09:09.623ZAlbela Khatrihttp://openbooks.ning.com/profile/AlbelaKhatri
<p>zindgi ko itne aayaamon se dekhne ka hunar sirf aur sirf kavi ke paas hota hai aur jab ye hunar kaam me liya jata hai to aisi anupam rachna janm leti hai .</p>
<p></p>
<p>bahut bahut badhaai bhai Rohit Singh Rajpoot ji, bahut umda kaavya racha aapne....jai ho !</p>
<p>zindgi ko itne aayaamon se dekhne ka hunar sirf aur sirf kavi ke paas hota hai aur jab ye hunar kaam me liya jata hai to aisi anupam rachna janm leti hai .</p>
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<p>bahut bahut badhaai bhai Rohit Singh Rajpoot ji, bahut umda kaavya racha aapne....jai ho !</p> acha prayas he bhai, lekin th…tag:openbooks.ning.com,2012-06-01:5170231:Comment:2324172012-06-01T10:28:38.376ZRohit Dubey "योद्धा "http://openbooks.ning.com/profile/RohitDubey
<p>acha prayas he bhai, lekin thoda confined karke ikho ise jyada maja ayega</p>
<p>acha prayas he bhai, lekin thoda confined karke ikho ise jyada maja ayega</p>