Comments - बचपन - Open Books Online2024-03-28T20:59:26Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A222862&xn_auth=noरेखा जी सादर, सही क…tag:openbooks.ning.com,2012-05-18:5170231:Comment:2267592012-05-18T12:49:07.361ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>रेखा जी <br/> सादर, सही कहा आपने बचपन के दिन भी क्या दिन थे.जब भी याद आते हैं गुदगुदाते रहते हैं. धन्यवाद.</p>
<p>रेखा जी <br/> सादर, सही कहा आपने बचपन के दिन भी क्या दिन थे.जब भी याद आते हैं गुदगुदाते रहते हैं. धन्यवाद.</p> अशोक जी ,बचपन के दिन भी क्या…tag:openbooks.ning.com,2012-05-17:5170231:Comment:2262892012-05-17T17:19:09.984ZRekha Joshihttp://openbooks.ning.com/profile/RekhaJoshi
<p><font size="4"><i><span>अशोक जी ,बचपन के दिन भी क्या दिन थे ,अच्छी प्रस्तुति पर बधाई |</span></i></font></p>
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<p><font size="4"><i><span>अशोक जी ,बचपन के दिन भी क्या दिन थे ,अच्छी प्रस्तुति पर बधाई |</span></i></font></p>
<div><font size="4"><i><br/></i></font></div> आदरणीय जवाहर जी भाई एवं राजेश…tag:openbooks.ning.com,2012-05-09:5170231:Comment:2238942012-05-09T16:00:16.270ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय जवाहर जी भाई एवं राजेश कुमारी जी सादर, मेरी रचना को सराहने एवं उसके साथ स्वयं को जोड़ने के लिए धन्यवाद. आपकी प्रतिक्रया मेरे लिए प्रोत्साहन स्वरुप रहेगी.</p>
<p>आदरणीय जवाहर जी भाई एवं राजेश कुमारी जी सादर, मेरी रचना को सराहने एवं उसके साथ स्वयं को जोड़ने के लिए धन्यवाद. आपकी प्रतिक्रया मेरे लिए प्रोत्साहन स्वरुप रहेगी.</p> मेरे मन के इक कोने में सदा तु…tag:openbooks.ning.com,2012-05-09:5170231:Comment:2236732012-05-09T11:39:42.311Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span><em><font size="4">मेरे मन के इक कोने में सदा तुम्हारा वास रहा,</font></em></span></p>
<div><span><em><font size="4">भूल सका ना कभी तुम्हे सदा तुम्हारा भास रहा,</font></em></span></div>
<div><span><em><font size="4">दूर गया मै निकल फिरभी ह्रदय तुम्हारे पास रहा,</font></em></span></div>
<div><span><em><font size="4">फूलों पे तितली का आना अब भी मुझको भाता है.</font></em></span></div>
<div><span><em><font size="4"><span>अशोक कुमार जी बहुत सुन्दर लिखा है बचपन के ऊपर, सच में हम आज भी अपने…</span></font></em></span></div>
<p><span><em><font size="4">मेरे मन के इक कोने में सदा तुम्हारा वास रहा,</font></em></span></p>
<div><span><em><font size="4">भूल सका ना कभी तुम्हे सदा तुम्हारा भास रहा,</font></em></span></div>
<div><span><em><font size="4">दूर गया मै निकल फिरभी ह्रदय तुम्हारे पास रहा,</font></em></span></div>
<div><span><em><font size="4">फूलों पे तितली का आना अब भी मुझको भाता है.</font></em></span></div>
<div><span><em><font size="4"><span>अशोक कुमार जी बहुत सुन्दर लिखा है बचपन के ऊपर, सच में हम आज भी अपने बचपन को कितना याद करते हैं और बचपन का कोई साथी ख़ास हो तो फिर क्या ही कहने यह आपकी कविता बाखूबी बयान कर रही है बधाई आपको </span></font></em></span></div>
<div><span><em> </em></span></div> मेरे मन के इक कोने में सदा तु…tag:openbooks.ning.com,2012-05-08:5170231:Comment:2234062012-05-08T23:56:00.562ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/JAWAHARLALSINGH
मेरे मन के इक कोने में सदा तुम्हारा वास रहा,<br />
भूल सका ना कभी तुम्हे सदा तुम्हारा भास रहा,<br />
दूर गया मै निकल फिरभी ह्रदय तुम्हारे पास रहा,<br />
फूलों पे तितली का आना अब भी मुझको भाता है.<br />
याद तुम्हारी आते ही मन .......................<br />
आदरणीय अशोक भाई जी, ..बचपन की यादे ताजा कर दी आपकी कविता ने .<br />
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बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बधाई स्वीकार करें!
मेरे मन के इक कोने में सदा तुम्हारा वास रहा,<br />
भूल सका ना कभी तुम्हे सदा तुम्हारा भास रहा,<br />
दूर गया मै निकल फिरभी ह्रदय तुम्हारे पास रहा,<br />
फूलों पे तितली का आना अब भी मुझको भाता है.<br />
याद तुम्हारी आते ही मन .......................<br />
आदरणीय अशोक भाई जी, ..बचपन की यादे ताजा कर दी आपकी कविता ने .<br />
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बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बधाई स्वीकार करें! महिमा जी सादर, …tag:openbooks.ning.com,2012-05-08:5170231:Comment:2236142012-05-08T16:39:39.855ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>महिमा जी सादर,<br/> हर मन में बसा बालपन एकसा ही तो है.जीवन का सबसे अच्छा वक्त.मगर अब सिर्फ यादें ही तो बाकी है. रचना पसंद करने के लिए धन्यवाद.</p>
<p>महिमा जी सादर,<br/> हर मन में बसा बालपन एकसा ही तो है.जीवन का सबसे अच्छा वक्त.मगर अब सिर्फ यादें ही तो बाकी है. रचना पसंद करने के लिए धन्यवाद.</p> छोटे छोटे गुड्डे गुडिया, छोटी…tag:openbooks.ning.com,2012-05-08:5170231:Comment:2236072012-05-08T16:31:03.758ZMAHIMA SHREEhttp://openbooks.ning.com/profile/MAHIMASHREE
<div><span style="color: #ff00ff;"><em><font size="4">छोटे छोटे गुड्डे गुडिया, छोटी अपनी दुनिया थी,</font></em></span></div>
<div><span style="color: #ff00ff;"><em><font size="4">छोटे छोटे स्वप्न गढ़े थे, छोटी उनकी कड़ियाँ थी,</font></em></span></div>
<div><span style="color: #ff00ff;"><em><font size="4">छोटे छोटे खेल खिलौने, छोटी अपनी बगिया थी,</font></em></span></div>
<div><span style="color: #ff00ff;"><span style="color: #ff00ff;"><em><font size="4">उड़नपरियों वाला किस्सा अब भी मन को भाता…</font></em></span></span></div>
<div><span style="color: #ff00ff;"><em><font size="4">छोटे छोटे गुड्डे गुडिया, छोटी अपनी दुनिया थी,</font></em></span></div>
<div><span style="color: #ff00ff;"><em><font size="4">छोटे छोटे स्वप्न गढ़े थे, छोटी उनकी कड़ियाँ थी,</font></em></span></div>
<div><span style="color: #ff00ff;"><em><font size="4">छोटे छोटे खेल खिलौने, छोटी अपनी बगिया थी,</font></em></span></div>
<div><span style="color: #ff00ff;"><span style="color: #ff00ff;"><em><font size="4">उड़नपरियों वाला किस्सा अब भी मन को भाता है.---</font></em></span></span><p>आपने तो हमारी मन की बात कह दी</p>
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<p>आदरणीय अशोक सर ..बचपन की यादे ताजा कर दी आपकी कविता ने .</p>
<p>बहुत ही sunder prastuti बधाई स्वीकार करें</p> सरिता जी सादर नमस्कार, …tag:openbooks.ning.com,2012-05-08:5170231:Comment:2233692012-05-08T16:26:10.758ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p> सरिता जी सादर नमस्कार,<br/> आपने रचना के मार्मिक पहलू को समझा आपका शुक्रिया. धन्यवाद. </p>
<p> सरिता जी सादर नमस्कार,<br/> आपने रचना के मार्मिक पहलू को समझा आपका शुक्रिया. धन्यवाद. </p> आदरणीय प्रदीप जी …tag:openbooks.ning.com,2012-05-08:5170231:Comment:2234732012-05-08T16:23:58.157ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय प्रदीप जी <br/> सादर, सब आपका ही आशीर्वाद है. आपने मेरे मन की उलझन को समझा आपका आभार धन्यवाद.</p>
<p>आदरणीय प्रदीप जी <br/> सादर, सब आपका ही आशीर्वाद है. आपने मेरे मन की उलझन को समझा आपका आभार धन्यवाद.</p> कुमार गौरव जी नमस्कार, …tag:openbooks.ning.com,2012-05-08:5170231:Comment:2234722012-05-08T16:20:25.024ZAshok Kumar Raktalehttp://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>कुमार गौरव जी नमस्कार,<br/> आपको रचना पसंद आई. बहुत बहुत धन्यवाद.</p>
<p>कुमार गौरव जी नमस्कार,<br/> आपको रचना पसंद आई. बहुत बहुत धन्यवाद.</p>