Comments - अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद - Open Books Online2024-03-29T02:07:44Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A165250&xn_auth=noवाह... अमर शहीद चन्द्रशेखर आ…tag:openbooks.ning.com,2011-11-30:5170231:Comment:1707822011-11-30T00:20:49.135ZShyam Bihari Shyamalhttp://openbooks.ning.com/profile/ShyamBihariShyamal908
<p>वाह... अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद के बारे में आपने नई पीढ़ी के लिए उपयोगी जानकारी यहां जारी की है। हमें अपने महापुरुषों के बारे में लगातार चर्चा-बातें करती रहनी चाहिए। ऐसे स्मरणों से नई पीढ़ी का संस्कार भी आकार पाता है। बनारस के प्रमुख एक चौराहे लहुरावीर पर अमर शहीद चन्द्र्शेखर आजाद की आदमकद प्रतिमा संस्थापित है और इसे आजाद पार्क का नाम दिया गया है। इसी चौराहे से फूटते नदेसर या कचहरी की ओर जाने मार्ग के सिरे पर कथा-सम्राट प्रेमचन्द की भी आदमकद मूर्ति लगी है। यहीं वह स्थान भी है…</p>
<p>वाह... अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद के बारे में आपने नई पीढ़ी के लिए उपयोगी जानकारी यहां जारी की है। हमें अपने महापुरुषों के बारे में लगातार चर्चा-बातें करती रहनी चाहिए। ऐसे स्मरणों से नई पीढ़ी का संस्कार भी आकार पाता है। बनारस के प्रमुख एक चौराहे लहुरावीर पर अमर शहीद चन्द्र्शेखर आजाद की आदमकद प्रतिमा संस्थापित है और इसे आजाद पार्क का नाम दिया गया है। इसी चौराहे से फूटते नदेसर या कचहरी की ओर जाने मार्ग के सिरे पर कथा-सम्राट प्रेमचन्द की भी आदमकद मूर्ति लगी है। यहीं वह स्थान भी है जहां प्रेमचन्द जी के अंतिम दिन बीते थे। उन्होंने यही अंतिम सांस ली थी। इसी चौराहे के पास वह ऐतिहासिक क्वींस कॉलेज भी है जिसमें आधुनिक हिन्दी भाषा-साहित्य और पत्रकारिता के जनक भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र, खड़ी बोली हिन्दी के प्रथम महाकाव्य ' प्रिय प्रवास ' के रचयिता कवि-सम्राट अयोध्या सिह उपाध्याय ' हरिऔध ', प्रेमचन्द, महाकवि जयशंकर प्रसाद आदि समेत अनेक महापुरुषों ने शिक्षा पाई थी। आपने जिन महान क्रातिकारी शचीन्द्रनाथ सान्याल की चर्चा की है, उन्होंने भी इसी क्वींस कॉलेज में पढ़ाई की थी।... आशा ( और विनम्र आग्रह भी ) है कि ऐसे आप संदर्भ-आलेख यहां आगे भी देते रहें।</p> ek gyaan vardhak lekh aisi pr…tag:openbooks.ning.com,2011-11-23:5170231:Comment:1689882011-11-23T08:29:33.001ZAbhinav Arunhttp://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>ek gyaan vardhak lekh aisi prastution se o b o aur sammridh hoga > amar shaheed azaad ko shat shat naman hai !!</p>
<p>ek gyaan vardhak lekh aisi prastution se o b o aur sammridh hoga > amar shaheed azaad ko shat shat naman hai !!</p> भारतीय स्वतंत्रता हेतु समर्पि…tag:openbooks.ning.com,2011-11-21:5170231:Comment:1689172011-11-21T09:08:49.019ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>भारतीय स्वतंत्रता हेतु समर्पित क्रांतिकारियों की कोई फोटो या तस्वीर अक्सर नहीं हुआ करती थी, क्योंकि वे अपनी तस्वीर बनवाने या फोटो खिंचवाने से परहेज किया करते थे. चंद्रशेखर आज़ाद की भी कोई तस्वीर ब्रिटिश सरकार के पास उपलब्ध नहीं थी. </p>
<p>कहते हैं कि वाराणसी के विश्वप्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर स्नान कर गंगा से सद्यः निकले आज़ाद की किसी ने फोटो निकाल ली. वे घाट पर शरीर सुखाने के क्रम में मात्र धोती लपेटे नंगे बदन खड़े थे. उनके एक हाथ में तब भी माउज़र था और दूसरा हाथ उनकी मूँछों पर था. बस वही…</p>
<p>भारतीय स्वतंत्रता हेतु समर्पित क्रांतिकारियों की कोई फोटो या तस्वीर अक्सर नहीं हुआ करती थी, क्योंकि वे अपनी तस्वीर बनवाने या फोटो खिंचवाने से परहेज किया करते थे. चंद्रशेखर आज़ाद की भी कोई तस्वीर ब्रिटिश सरकार के पास उपलब्ध नहीं थी. </p>
<p>कहते हैं कि वाराणसी के विश्वप्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर स्नान कर गंगा से सद्यः निकले आज़ाद की किसी ने फोटो निकाल ली. वे घाट पर शरीर सुखाने के क्रम में मात्र धोती लपेटे नंगे बदन खड़े थे. उनके एक हाथ में तब भी माउज़र था और दूसरा हाथ उनकी मूँछों पर था. बस वही फोटो आज़ाद की परिचयात्मक तस्वीर बन गयी. वाराणसी के सुप्रसिद्ध लहुराबीर चौराहे पर उसी तस्वीर की अनुकृति पर आज़ाद की आदमकद छत्रधारी प्रतिमा बनी है.</p>
<p>इलाहाबाद (प्रयाग) के <strong>कम्पनी बाग़</strong> के <strong>अल्फ्रेड पार्क</strong> में ब्रिटिश सुपरिण्टेण्डेण्ट ऑफ़ पुलिस और उसके सिपाहियों के साथ हुई मुठभेड़ के आखिरी क्षणों में गोरों के हाथों ज़िन्दा न पड़ने की कसम के तहत आज़ाद ने स्वयं को गोली मार ली थी. वह ऐतिहासिक <strong>जामुन का पेड़</strong> उस बाग़ में आजभी उन विलक्षण क्षणों की मूक गवाही देता खड़ा है. उसी पेड़ के साये में आज वहाँ आज़ाद की उसी ऐतिहासिक मुद्रा में विशाल प्रतिमा बनी है. इलाहाबाद आये हुए कृतज्ञ पर्यटकों और दर्शनार्थियों हेतु श्रद्धा-सुमन अर्पित करने का वह प्रमुख स्थान है. आज पूरे <strong>कम्पनी बाग़</strong> का ही नाम भारतमाता के उस धुरंधर सुपुत्र के नाम पर <strong>चंद्रशेखर आज़ाद पार्क</strong> कर दिया गया है.</p>
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<p>आदरणीय प्रभात कुमार राय जी, आपके इस आलेख पर आपको सादर नमस्कार प्रेषित कर रहा हूँ. इसतरह के आलेख और ऐसी प्रस्तुतियाँ ओबीओ के लिये सम्मान और गौरव सदृश हैं. आपका सहयोग और सानिध्य बना रहे.</p>
<p>सधन्यवाद.</p>
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