Comments - त्यागपत्र (कहानी) - Open Books Online2024-03-28T22:10:20Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A163891&xn_auth=noकहानी वाचन में हुआ व्यतिक्रम…tag:openbooks.ning.com,2011-12-15:5170231:Comment:1741892011-12-15T07:52:22.900ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>कहानी वाचन में हुआ व्यतिक्रम क्षम्य हो. किन्तु इस प्रवाह में कोई ओट नहीं आ पाया है.</p>
<p>त्यागपत्र कहानी के कैनवास और तदनुरूप कथ्य को कुछ बेहतरीन पंच-लाइनों का मिला सहयोग कहानी की रोचकता में वृद्धि कर रहा है. यथा, <em>जीवन एक चढ़ान का नाम है, जहाँ से इंसान एक बार फिसलता है तो गिरता ही चला जाता है. </em> या,<em> जीवन एक चढ़ान का नाम है, जहाँ से इंसान एक बार फिसलता है तो गिरता ही चला जाता है. ........ ...</em></p>
<p>वाह !! </p>
<p>बहुत अच्छे, सतीश भाई जी.बहुत अच्छे.. .</p>
<p>कहानी वाचन में हुआ व्यतिक्रम क्षम्य हो. किन्तु इस प्रवाह में कोई ओट नहीं आ पाया है.</p>
<p>त्यागपत्र कहानी के कैनवास और तदनुरूप कथ्य को कुछ बेहतरीन पंच-लाइनों का मिला सहयोग कहानी की रोचकता में वृद्धि कर रहा है. यथा, <em>जीवन एक चढ़ान का नाम है, जहाँ से इंसान एक बार फिसलता है तो गिरता ही चला जाता है. </em> या,<em> जीवन एक चढ़ान का नाम है, जहाँ से इंसान एक बार फिसलता है तो गिरता ही चला जाता है. ........ ...</em></p>
<p>वाह !! </p>
<p>बहुत अच्छे, सतीश भाई जी.बहुत अच्छे.. .</p>