Comments - गजल -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर" - Open Books Online2024-03-29T01:20:02Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1094877&xn_auth=noआ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2022-12-20:5170231:Comment:10953202022-12-20T13:50:34.874Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल और ओबीओ पर लम्बे अतराल पर आपकी उपस्थिति से हर्षित हूँ। उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।</p>
<p>आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल और ओबीओ पर लम्बे अतराल पर आपकी उपस्थिति से हर्षित हूँ। उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।</p> आदरणीय लक्षमण जी हिन्दी भाषा…tag:openbooks.ning.com,2022-12-20:5170231:Comment:10951552022-12-20T08:02:03.990ZRavi Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/RaviShukla
<p>आदरणीय लक्षमण जी हिन्दी भाषा के शब्दों के साथ सुदर रचना प्रस्तुत की है। कूप के दर्शन वाला शेर आधाुनिकता मे सच हाे गया है । आगन पर मै भी अटका था आदरणीय समर साहब ने टंकण त्रुटि ठीक कर दी है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें </p>
<p>आदरणीय लक्षमण जी हिन्दी भाषा के शब्दों के साथ सुदर रचना प्रस्तुत की है। कूप के दर्शन वाला शेर आधाुनिकता मे सच हाे गया है । आगन पर मै भी अटका था आदरणीय समर साहब ने टंकण त्रुटि ठीक कर दी है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें </p> आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2022-12-14:5170231:Comment:10951252022-12-14T10:34:37.988Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p><span>आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।</span></p>
<p><span>आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।</span></p> अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जी.…tag:openbooks.ning.com,2022-12-13:5170231:Comment:10950492022-12-13T12:56:29.765Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जी...बधाई</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जी...बधाई</p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2022-12-13:5170231:Comment:10949812022-12-13T01:52:58.401Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p><span>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्ग दर्एशन के लिए आभार।</span></p>
<p><span>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्ग दर्एशन के लिए आभार।</span></p> जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, ग़ज़…tag:openbooks.ning.com,2022-12-12:5170231:Comment:10949782022-12-12T09:07:47.613ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p><span>'सुना है नृत्य करते हैं तेरे आगन'----आगन --"आँगन"</span></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p><span>'सुना है नृत्य करते हैं तेरे आगन'----आगन --"आँगन"</span></p>