Comments - 3 (गज़ल) रात भर - Open Books Online2024-03-29T02:05:28Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1094809&xn_auth=noआदरणीया राखी जी जैसा कि समर स…tag:openbooks.ning.com,2022-12-13:5170231:Comment:10949842022-12-13T12:47:23.213Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीया राखी जी जैसा कि समर साहब ने कहा है कि प्रयास अच्छा है...दूसरे शे'र का ऊला "भाव ही नींद खाती रही रात भर" मुझे लगता है भाव शब्द पुल्लिंग है...इसमें सुधार चाहिए... बाकी शुभ शुभ</p>
<p>आदरणीया राखी जी जैसा कि समर साहब ने कहा है कि प्रयास अच्छा है...दूसरे शे'र का ऊला "भाव ही नींद खाती रही रात भर" मुझे लगता है भाव शब्द पुल्लिंग है...इसमें सुधार चाहिए... बाकी शुभ शुभ</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी हार्दि…tag:openbooks.ning.com,2022-11-29:5170231:Comment:10946022022-11-29T15:25:12.464ZRakhee jainhttp://openbooks.ning.com/profile/Rakheejain
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी हार्दिक आभार आपका</p>
<p>जी आदरणीय की कही हर एक बात को ध्यान में रखकर सुधार का प्रयास करती रहूंगी </p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी हार्दिक आभार आपका</p>
<p>जी आदरणीय की कही हर एक बात को ध्यान में रखकर सुधार का प्रयास करती रहूंगी </p> आदरणीय समर कबीर जी हृदय से आभ…tag:openbooks.ning.com,2022-11-29:5170231:Comment:10948362022-11-29T14:12:23.895ZRakhee jainhttp://openbooks.ning.com/profile/Rakheejain
<p>आदरणीय समर कबीर जी हृदय से आभार मार्गदर्शन के लिए</p>
<p>आपके समस्त निर्देशों को ध्यान में रखूंगी ग़ज़ल में तुरंत सुधार कर लेती हूं</p>
<p>हार्दिक आभार आपका</p>
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<p>आदरणीय समर कबीर जी हृदय से आभार मार्गदर्शन के लिए</p>
<p>आपके समस्त निर्देशों को ध्यान में रखूंगी ग़ज़ल में तुरंत सुधार कर लेती हूं</p>
<p>हार्दिक आभार आपका</p>
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<p></p> आ. राखी जी, अभिवादन। गजल का प…tag:openbooks.ning.com,2022-11-29:5170231:Comment:10948292022-11-29T11:21:17.235Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. राखी जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई। </p>
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<p>आ. भाई समर जी की बातों का संज्ञान लें।</p>
<p>आ. राखी जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई। </p>
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<p>आ. भाई समर जी की बातों का संज्ञान लें।</p> मुहतरमा राखी जैन साहिब: आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2022-11-29:5170231:Comment:10947432022-11-29T09:10:21.356ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा राखी जैन साहिब: आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आपकी पिछली ग़ज़ल पर जो मैंने टिप्पणी दी थी उसका जवाब आपने अभी तक नहीं दिया? ख़ैर !</p>
<p></p>
<p><span>'जिस्म बाज़ार जब कर दिया हार के</span><br></br><span>दाम ख़ुद के लगाती रही रात भर'</span></p>
<p><span>कौन? भाव स्पष्ट नहीं हुआ, ग़ौर करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span><span style="text-decoration: line-through;">'</span>अपना तकिया भिगाती रही रात भर'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'भिगाती' शब्द ठीक नहीं, सहीह शब्द…</span></p>
<p>मुहतरमा राखी जैन साहिब: आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आपकी पिछली ग़ज़ल पर जो मैंने टिप्पणी दी थी उसका जवाब आपने अभी तक नहीं दिया? ख़ैर !</p>
<p></p>
<p><span>'जिस्म बाज़ार जब कर दिया हार के</span><br/><span>दाम ख़ुद के लगाती रही रात भर'</span></p>
<p><span>कौन? भाव स्पष्ट नहीं हुआ, ग़ौर करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span><span style="text-decoration: line-through;">'</span>अपना तकिया भिगाती रही रात भर'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'भिगाती' शब्द ठीक नहीं, सहीह शब्द है "भिगोती", देखें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'हाँफने जब लगा हौंसला जीस्त से'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'हाँफने' शब्द उचित नहीं इसकी जगह "हारने" शब्द उचित होगा, ग़ौर करें और 'हौंसला' को "हौसला" लिखें ।</span></p>
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<p><span>कुछ टंकण त्रुटियाँ :-</span></p>
<p><span>चांद--'चाँद'</span></p>
<p><span>रोटियां--'रोटियाँ'</span></p>
<p>सुकूं--'सुकूँ'</p>
<p>जीस्त--'ज़ीस्त'</p>
<p>सबक--'सबक़'</p>