Comments - लाल रुमाल(लघुकथा) - Open Books Online2024-03-28T11:06:16Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1091832&xn_auth=noआभार।tag:openbooks.ning.com,2022-11-01:5170231:Comment:10928922022-11-01T10:32:59.583ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>आभार।</p>
<p>आभार।</p> लघु कथा अच्छी बनी है। हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2022-11-01:5170231:Comment:10930242022-11-01T06:37:11.420Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>लघु कथा अच्छी बनी है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>लघु कथा अच्छी बनी है। हार्दिक बधाई।</p> आपका आभार आदरणीय महेंद्र जी। tag:openbooks.ning.com,2022-10-22:5170231:Comment:10922512022-10-22T07:39:37.143ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>आपका आभार आदरणीय महेंद्र जी। </p>
<p>आपका आभार आदरणीय महेंद्र जी। </p> आदरणीय मनन जी, अच्छी लघुकथा क…tag:openbooks.ning.com,2022-10-21:5170231:Comment:10924282022-10-21T05:49:34.063ZMahendra Kumarhttp://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>आदरणीय मनन जी, अच्छी लघुकथा कही आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए।</p>
<p>आदरणीय मनन जी, अच्छी लघुकथा कही आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए।</p> शुक्रिया आ.समर साहिब।tag:openbooks.ning.com,2022-10-19:5170231:Comment:10922162022-10-19T10:42:09.952ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>शुक्रिया आ.समर साहिब।</p>
<p>शुक्रिया आ.समर साहिब।</p> जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2022-10-19:5170231:Comment:10924112022-10-19T06:15:31.230ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब, अच्छी लघुकथा हुई है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब, अच्छी लघुकथा हुई है, बधाई स्वीकार करें ।</p> आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई जी।पु…tag:openbooks.ning.com,2022-10-19:5170231:Comment:10921112022-10-19T01:16:53.638ZManan Kumar singhhttp://openbooks.ning.com/profile/MananKumarsingh
<p>आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई जी।पुरुष की कायराना हरकत का जवाब औरत अपनी हिम्मत से दे सकती है।</p>
<p>आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई जी।पुरुष की कायराना हरकत का जवाब औरत अपनी हिम्मत से दे सकती है।</p> आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2022-10-18:5170231:Comment:10924072022-10-18T22:27:41.888Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। समसामयिक और उत्तम कथा हुई है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>यही सच हैं कि पुरुष की कायराना मानसिकता के चलते आदि से अंत तक औरत की बलि से ही बदला पूरा करने की परम्परा जारी रहेगी। </p>
<p>आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। समसामयिक और उत्तम कथा हुई है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>यही सच हैं कि पुरुष की कायराना मानसिकता के चलते आदि से अंत तक औरत की बलि से ही बदला पूरा करने की परम्परा जारी रहेगी। </p>