Comments - दशहरा पर्व पर कुछ दोहे. . . . - Open Books Online2024-03-29T07:45:39Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1091362&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन…tag:openbooks.ning.com,2022-10-13:5170231:Comment:10917112022-10-13T06:45:40.916ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय जी
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय जी जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छ…tag:openbooks.ning.com,2022-10-07:5170231:Comment:10915092022-10-07T06:02:14.867ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छे दोहे लिखे आपने, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छे दोहे लिखे आपने, बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन क…tag:openbooks.ning.com,2022-10-06:5170231:Comment:10914372022-10-06T16:24:00.428ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने और अपना अमूल्य सुझाव देने का दिल से आभार । बहुत सुंदर सुझाव । हार्दिक आभार सर ।
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने और अपना अमूल्य सुझाव देने का दिल से आभार । बहुत सुंदर सुझाव । हार्दिक आभार सर । आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2022-10-05:5170231:Comment:10914342022-10-05T15:31:01.133Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। समयानुकूल सुन्दर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई। </p>
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<p>इस दोहे को ऐसा करने से प्रासंगिकता और बढ़ जायेगी विचार करें-</p>
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<p><span>माँ सीता का कर हरण , <strong>इठलाया</strong> लंकेश ।</span><br/><span>मिटा दिया फिर राम ने, लंकापति अवधेश </span></p>
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<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। समयानुकूल सुन्दर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई। </p>
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<p>इस दोहे को ऐसा करने से प्रासंगिकता और बढ़ जायेगी विचार करें-</p>
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<p><span>माँ सीता का कर हरण , <strong>इठलाया</strong> लंकेश ।</span><br/><span>मिटा दिया फिर राम ने, लंकापति अवधेश </span></p>
<p></p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर प्…tag:openbooks.ning.com,2022-10-05:5170231:Comment:10912012022-10-05T14:04:56.644ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर प्रणाम सर सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।सर दूर चला लंकेश कैसा रहेगा
आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर प्रणाम सर सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।सर दूर चला लंकेश कैसा रहेगा नमस्कार, भाई सुशील सरना, सभ…tag:openbooks.ning.com,2022-10-05:5170231:Comment:10912882022-10-05T11:08:54.097ZChetan Prakashhttp://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p>नमस्कार, भाई सुशील सरना, सभी दोहे अच्छे लगे, किन्तु पाँचवे दोहे के दूसरे चरण में प्रवाह बाधित हुआ है, इसे" चला चले लंकेश " यदि आप कर लें, दोष दूर हो जाएगा ! इति ।</p>
<p>नमस्कार, भाई सुशील सरना, सभी दोहे अच्छे लगे, किन्तु पाँचवे दोहे के दूसरे चरण में प्रवाह बाधित हुआ है, इसे" चला चले लंकेश " यदि आप कर लें, दोष दूर हो जाएगा ! इति ।</p>