Comments - आँधियों से क्या गिला. . . . . - Open Books Online2024-03-29T05:26:51Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1084111&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन…tag:openbooks.ning.com,2022-06-14:5170231:Comment:10854902022-06-14T08:49:44.252ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार । सर आवश्यक संशोधन मैनें पूर्व में कर दिए थे । सादर नमन सर
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार । सर आवश्यक संशोधन मैनें पूर्व में कर दिए थे । सादर नमन सर जनाब सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2022-06-08:5170231:Comment:10852982022-06-08T09:41:56.519ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p>तलफ़्फ़ुज़ के बारे में जनाब अमीर जी की बात पर ध्यान दें I </p>
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p>तलफ़्फ़ुज़ के बारे में जनाब अमीर जी की बात पर ध्यान दें I </p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन क…tag:openbooks.ning.com,2022-06-05:5170231:Comment:10853582022-06-05T14:48:00.476ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2022-06-05:5170231:Comment:10851902022-06-05T07:33:10.209Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।</p> आदरणीय दयाराम जी सृजन के भावो…tag:openbooks.ning.com,2022-06-04:5170231:Comment:10854352022-06-04T14:51:06.405ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय दयाराम जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सादर नमन
आदरणीय दयाराम जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सादर नमन आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब…tag:openbooks.ning.com,2022-06-04:5170231:Comment:10854342022-06-04T14:49:56.992ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । आपकी सलाह का दिल से आभार । सुझाव के अनुसार मैं अभी संशोधित कर प्रेषित करता हूँ । सादर नमन
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । आपकी सलाह का दिल से आभार । सुझाव के अनुसार मैं अभी संशोधित कर प्रेषित करता हूँ । सादर नमन आदरणीय सुशील सरना जी, अति सुं…tag:openbooks.ning.com,2022-06-02:5170231:Comment:10853462022-06-02T09:35:24.224ZDayaram Methanihttp://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय सुशील सरना जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय सुशील सरना जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।</p> आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, क्…tag:openbooks.ning.com,2022-05-28:5170231:Comment:10845302022-05-28T18:21:13.662Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p style="text-align: left;">आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, क्या बहतरीन अंदाज़ के साथ ख़ूबसूरत अहसासात से लबरेज़ ग़ज़ल कही है, वाह! मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं।</p>
<p style="text-align: left;">'टूट जाए घर किसी का ग़र हवाओं से कहीं</p>
<p style="text-align: left;">वक्त ही ग़र हो बुरा तो आँधियों से क्या गिला ... इस शे'र को यूँ कहना उचित होगा - </p>
<p style="text-align: left;"><span>टूट जाए घर किसी का इन हवाओं से अगर </span><br></br><span>वक़्त अपना ही न हो तो आँधियों से क्या गिला…</span></p>
<p style="text-align: left;">आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, क्या बहतरीन अंदाज़ के साथ ख़ूबसूरत अहसासात से लबरेज़ ग़ज़ल कही है, वाह! मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं।</p>
<p style="text-align: left;">'टूट जाए घर किसी का ग़र हवाओं से कहीं</p>
<p style="text-align: left;">वक्त ही ग़र हो बुरा तो आँधियों से क्या गिला ... इस शे'र को यूँ कहना उचित होगा - </p>
<p style="text-align: left;"><span>टूट जाए घर किसी का इन हवाओं से अगर </span><br/><span>वक़्त अपना ही न हो तो आँधियों से क्या गिला</span></p>
<p style="text-align: left;"><span>सहीह तलफ़्फ़ुज़ - मंज़िलें, गर, शजर, ज़ख़्म, ज़लज़ले, दग़ा ।</span></p>
<p style="text-align: left;"></p> आदरणीया जी सृजन के भावों को म…tag:openbooks.ning.com,2022-05-26:5170231:Comment:10839552022-05-26T06:29:30.516ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीया जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार
आदरणीया जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय सुशील जी, सादर प्रणाम…tag:openbooks.ning.com,2022-05-25:5170231:Comment:10838042022-05-25T14:06:45.844Zरक्षिता सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/RakshitaSingh
<p>आदरणीय सुशील जी, सादर प्रणाम । बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ हार्दिक बधाई स्वीकार करें। </p>
<p>आदरणीय सुशील जी, सादर प्रणाम । बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ हार्दिक बधाई स्वीकार करें। </p>