Comments - ग़ज़ल (इबादतों में अक़ीदत की सर-कशी न मिला) - Open Books Online2024-03-29T09:17:17Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1083508&xn_auth=noमुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, ग…tag:openbooks.ning.com,2022-05-10:5170231:Comment:10835862022-05-10T08:18:09.893Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया। 'वो वक़्त याद किया... पर आपसे पूर्णतया सहमत हूँ, फ़ोन पर हुई चर्चा में आपके अनुमोदन से "सिहर उठा हूँ किया याद वक़्त वो जब जब" कर रहा हूँ। दुआओं का तालिब। </p>
<p>मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया। 'वो वक़्त याद किया... पर आपसे पूर्णतया सहमत हूँ, फ़ोन पर हुई चर्चा में आपके अनुमोदन से "सिहर उठा हूँ किया याद वक़्त वो जब जब" कर रहा हूँ। दुआओं का तालिब। </p> जनाब अमीरूद्दीन 'अमीर' जी आदा…tag:openbooks.ning.com,2022-05-09:5170231:Comment:10835022022-05-09T14:38:00.415ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब अमीरूद्दीन 'अमीर' जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p>'वो वक़्त याद किया ख़ुद सिहर उठा मैं जब'-- मुझे इस मिसरे का वाक्य विन्यास ठीक नहीं लगा, उचित लगे तो यों कर सकते हैं :-</p>
<p>'वो वक़्त याद किया जब सिहर उठा था मैं "</p>
<p>जनाब अमीरूद्दीन 'अमीर' जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p>'वो वक़्त याद किया ख़ुद सिहर उठा मैं जब'-- मुझे इस मिसरे का वाक्य विन्यास ठीक नहीं लगा, उचित लगे तो यों कर सकते हैं :-</p>
<p>'वो वक़्त याद किया जब सिहर उठा था मैं "</p> आदरणीय दयाराम मेठाणी जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2022-05-09:5170231:Comment:10836732022-05-09T07:32:43.776Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय दयाराम मेठाणी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।</p>
<p>आदरणीय दयाराम मेठाणी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।</p> आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी,…tag:openbooks.ning.com,2022-05-09:5170231:Comment:10834962022-05-09T07:19:07.481ZDayaram Methanihttp://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, बहुत अच्छी एवं संदेश परक गज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें। गज़ल का मुखड़ा ही बहुत सुंदर संदेश दे रहा है —<br/>इबादतों में अक़ीदत की सर-कशी न मिला <br/>महब्बतों में मेरे यार दुश्मनी न मिला</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, बहुत अच्छी एवं संदेश परक गज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें। गज़ल का मुखड़ा ही बहुत सुंदर संदेश दे रहा है —<br/>इबादतों में अक़ीदत की सर-कशी न मिला <br/>महब्बतों में मेरे यार दुश्मनी न मिला</p> आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, ग़…tag:openbooks.ning.com,2022-05-06:5170231:Comment:10836652022-05-06T15:31:46.937Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन हेतु आभार। सादर।</p>
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन हेतु आभार। सादर।</p> वाहहहहहह आदरणीय अमीरुद्दीन सा…tag:openbooks.ning.com,2022-05-06:5170231:Comment:10834882022-05-06T15:00:15.753ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
वाहहहहहह आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, बहुत ही खूबसूरत गजल बनी है । दिल से मुबारक कबूल फरमाएं ।
वाहहहहहह आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, बहुत ही खूबसूरत गजल बनी है । दिल से मुबारक कबूल फरमाएं । मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2022-05-06:5170231:Comment:10836592022-05-06T08:40:26.986Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p style="text-align: left;">मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया। जी, ज़ह्र को भूलवश 12 पर लिया गया है ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया, मिसरे को कृपया यूँ पढ़ा जाए -</p>
<p style="text-align: left;">"हवाओं में न कहीं अब ये ज़ह्र घुल जाए" सादर। </p>
<p style="text-align: left;">मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया। जी, ज़ह्र को भूलवश 12 पर लिया गया है ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया, मिसरे को कृपया यूँ पढ़ा जाए -</p>
<p style="text-align: left;">"हवाओं में न कहीं अब ये ज़ह्र घुल जाए" सादर। </p> आदरणीय अमीरुद्दीन "अमीर" जी अ…tag:openbooks.ning.com,2022-05-06:5170231:Comment:10834782022-05-06T06:16:40.936ZRachna Bhatiahttp://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन "अमीर" जी अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें। आदरणीय ज़ह्र का वज़्न क्या लिया है।</p>
<p>सादर।</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन "अमीर" जी अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें। आदरणीय ज़ह्र का वज़्न क्या लिया है।</p>
<p>सादर।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ…tag:openbooks.ning.com,2022-05-06:5170231:Comment:10836572022-05-06T02:55:49.795Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया। सादर।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया। सादर।</p> आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2022-05-05:5170231:Comment:10833932022-05-05T08:08:41.266Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।</p>