Comments - ताकत (लघुकथा ) - Open Books Online2024-03-29T13:37:43Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1083233&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर जी, आदाब, सृज…tag:openbooks.ning.com,2022-05-10:5170231:Comment:10836782022-05-10T14:48:44.530ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय समर कबीर जी, आदाब, सृजन पर आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया एवं सुझाव का दिल से आभार ।
आदरणीय समर कबीर जी, आदाब, सृजन पर आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया एवं सुझाव का दिल से आभार । जनाब सुशील सरना जी आदाब, लघुक…tag:openbooks.ning.com,2022-05-09:5170231:Comment:10834982022-05-09T13:02:25.597ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, लघुकथा का प्रयास अच्छा हे , लिखने से पहले पटल पर मौजूद आलेखों का अध्यन ज़रूर करना था , शेष जनाब उस्मानी जी कह चुके हैं I </p>
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, लघुकथा का प्रयास अच्छा हे , लिखने से पहले पटल पर मौजूद आलेखों का अध्यन ज़रूर करना था , शेष जनाब उस्मानी जी कह चुके हैं I </p> आदरणीय सुशील सरना जी , मैं सम…tag:openbooks.ning.com,2022-05-06:5170231:Comment:10834822022-05-06T06:21:20.877ZRachna Bhatiahttp://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय सुशील सरना जी , मैं समीक्षा करने के लायक़ तो नहीं हूँ।</p>
<p>पर समय मिलते ही अपनी सोच के अनुसार इस लघुकथा को लिखने की कोशिश ज़रूर करूँगी। सादर।</p>
<p>आदरणीय सुशील सरना जी , मैं समीक्षा करने के लायक़ तो नहीं हूँ।</p>
<p>पर समय मिलते ही अपनी सोच के अनुसार इस लघुकथा को लिखने की कोशिश ज़रूर करूँगी। सादर।</p> आदरणीया रचना जी, सृजन के भावो…tag:openbooks.ning.com,2022-05-03:5170231:Comment:10831822022-05-03T06:34:31.515ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीया रचना जी, सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । आदरणीया जी मैं लघु कथा बहुत कम लिखता हूँ । आपसे निवेदन है कि<br />
अगर आप एक बार इसकी विस्तृत समीक्षा कर देंगी तो मैं त्रुटियों से रूबरू हो पाऊंगा ।आपका उपकार होगा ।सादर नमन
आदरणीया रचना जी, सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । आदरणीया जी मैं लघु कथा बहुत कम लिखता हूँ । आपसे निवेदन है कि<br />
अगर आप एक बार इसकी विस्तृत समीक्षा कर देंगी तो मैं त्रुटियों से रूबरू हो पाऊंगा ।आपका उपकार होगा ।सादर नमन आदरणीय सुशील सरना जी अच्छी लघ…tag:openbooks.ning.com,2022-05-02:5170231:Comment:10831782022-05-02T09:20:54.837ZRachna Bhatiahttp://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय सुशील सरना जी अच्छी लघुकथा हुई है बधाई। मैं शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी से सहमत हूँ कि कुछ शब्दों के हेरफेर से लघुकथा की कसावट बेहतर हो सकती है। सादर।</p>
<p>आदरणीय सुशील सरना जी अच्छी लघुकथा हुई है बधाई। मैं शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी से सहमत हूँ कि कुछ शब्दों के हेरफेर से लघुकथा की कसावट बेहतर हो सकती है। सादर।</p> आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2022-05-02:5170231:Comment:10831752022-05-02T07:39:49.015Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।</p> आदरणीय शेख उस्मानी जी सृजन के…tag:openbooks.ning.com,2022-05-01:5170231:Comment:10832412022-05-01T10:01:53.412ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय शेख उस्मानी जी सृजन के प्रयास को मान एवं सुझाव देने के लिए दिल से आभार आदरणीय जी ।
आदरणीय शेख उस्मानी जी सृजन के प्रयास को मान एवं सुझाव देने के लिए दिल से आभार आदरणीय जी । आदाब। एक ज्वलंत समस्या और कड़व…tag:openbooks.ning.com,2022-05-01:5170231:Comment:10831692022-05-01T05:00:54.149ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। एक ज्वलंत समस्या और कड़वे सच को उभारती बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई जनाब सुशील सरना जी। इस विधा में भी आपकी सक्रियता हमें प्रभावित व आकर्षित करती है। इस रचना में आपने सब कुछ स्वयं या पात्रों के माध्यम से कह दिया है। बहुत कुछ पाठक स्वयं समझ लेते हैं। आशय यह कि कुछ शब्द कम किये जा सकते हैं। कुछ बातें इशारे में कही जा सकती हैं। संवादों में पात्र नामों को दोहराने के बजाय संवाद के बाद के वाक्यांश में किसी तरह बताने की शैली अपनाई जा सकती है मेरे विचार से। कुछ समस्याएं हमें जनभागीदारी से हल कर…</p>
<p>आदाब। एक ज्वलंत समस्या और कड़वे सच को उभारती बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई जनाब सुशील सरना जी। इस विधा में भी आपकी सक्रियता हमें प्रभावित व आकर्षित करती है। इस रचना में आपने सब कुछ स्वयं या पात्रों के माध्यम से कह दिया है। बहुत कुछ पाठक स्वयं समझ लेते हैं। आशय यह कि कुछ शब्द कम किये जा सकते हैं। कुछ बातें इशारे में कही जा सकती हैं। संवादों में पात्र नामों को दोहराने के बजाय संवाद के बाद के वाक्यांश में किसी तरह बताने की शैली अपनाई जा सकती है मेरे विचार से। कुछ समस्याएं हमें जनभागीदारी से हल कर लेनी चाहिए चंदा इकट्ठा करके। पार्षद और सांसद विधायक वगैरह आलकमान के निर्देश अनुसार वोटबैंक अनुसार काम करवाते देखे गये हैं या फिर अपने या.केवल नेताओं के लाभार्थ कार्य करवाते हैं ऐसे मौकों पर।</p>