Comments - तन-मन के दोहे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर" - Open Books Online2024-03-29T06:10:28Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1083177&xn_auth=noआ. भाई गुमनाम जी, सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2022-05-20:5170231:Comment:10839322022-05-20T14:27:22.204Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई गुमनाम जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद। </p>
<p>आ. भाई गुमनाम जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद। </p> वाह मुसाफिर जी वाह । शानदार द…tag:openbooks.ning.com,2022-05-19:5170231:Comment:10839272022-05-19T11:02:11.222Zgumnaam pithoragarhihttp://openbooks.ning.com/profile/gumnaampithoragarhi
<p>वाह मुसाफिर जी वाह । शानदार दोहे हुए हैं । </p>
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<p>वाह मुसाफिर जी वाह । शानदार दोहे हुए हैं । </p>
<p></p> आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2022-05-15:5170231:Comment:10838602022-05-15T17:12:31.728Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2022-05-15:5170231:Comment:10839192022-05-15T17:10:07.748Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार।</p>
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार।</p> वाह आदरणीय जी लक्ष्मण धामी जी…tag:openbooks.ning.com,2022-05-15:5170231:Comment:10840192022-05-15T16:03:34.966ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
वाह आदरणीय जी लक्ष्मण धामी जी बहुत सुंदर और सार्थक दोहावली है सर हार्दिक बधाई सर
वाह आदरणीय जी लक्ष्मण धामी जी बहुत सुंदर और सार्थक दोहावली है सर हार्दिक बधाई सर जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, अच…tag:openbooks.ning.com,2022-05-09:5170231:Comment:10837112022-05-09T14:15:53.041ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, अच्छे दोहे रचे आपने ,बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p><span>'तन को थोड़ा चाहिए, मन की माग अनंत'--इस पंक्ति में टंकण त्रुटि देखें I </span></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, अच्छे दोहे रचे आपने ,बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p><span>'तन को थोड़ा चाहिए, मन की माग अनंत'--इस पंक्ति में टंकण त्रुटि देखें I </span></p> आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2022-05-07:5170231:Comment:10836662022-05-07T00:27:48.648Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, और स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद। आपको दोहे पसंद आये यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। </p>
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, और स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद। आपको दोहे पसंद आये यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। </p> आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ…tag:openbooks.ning.com,2022-05-06:5170231:Comment:10834022022-05-06T16:30:18.390Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, तन और मन पर अच्छे दोहे रचे हैं आपने, 5वां, 8वां,9वां व 10वां दोहा के लिए ख़ास तौर पर बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, तन और मन पर अच्छे दोहे रचे हैं आपने, 5वां, 8वां,9वां व 10वां दोहा के लिए ख़ास तौर पर बधाई स्वीकार करें।</p>