Comments - वानिकी के दोहे - Open Books Online2024-03-29T13:44:34Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1080913&xn_auth=noआ० मित्र लक्ष्मण जी, बहुत ही…tag:openbooks.ning.com,2022-03-30:5170231:Comment:10820412022-03-30T10:10:31.077Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>आ० मित्र लक्ष्मण जी, बहुत ही सुन्दर दोहे। आपकी रचना के भाव सुन्दर, ताज़गी-भरे ही होते हैं।</p>
<p>आ० मित्र लक्ष्मण जी, बहुत ही सुन्दर दोहे। आपकी रचना के भाव सुन्दर, ताज़गी-भरे ही होते हैं।</p> वानिकी पर पठनीय दोहों के लिए…tag:openbooks.ning.com,2022-03-27:5170231:Comment:10819122022-03-27T07:48:30.295ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>वानिकी पर पठनीय दोहों के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. </p>
<p></p>
<p><span>सदा कीजिए वानिकी, मिलती इससे छाँव।</span><br/><span>नगर प्रदूषण से रहित, प्यारा लगता गाँव।।... .. बिना प्रदूषण हो नगर, लगता सुखकर गाँव. .. इस पद के अर्थबोध पर अवश्य मनन करें आदरणीय</span></p>
<p></p>
<p><span>शुभातिशुभ</span></p>
<p>वानिकी पर पठनीय दोहों के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. </p>
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<p><span>सदा कीजिए वानिकी, मिलती इससे छाँव।</span><br/><span>नगर प्रदूषण से रहित, प्यारा लगता गाँव।।... .. बिना प्रदूषण हो नगर, लगता सुखकर गाँव. .. इस पद के अर्थबोध पर अवश्य मनन करें आदरणीय</span></p>
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<p><span>शुभातिशुभ</span></p> वाह बहुत सुंदर और सार्थक दोहा…tag:openbooks.ning.com,2022-03-21:5170231:Comment:10807822022-03-21T07:38:13.489ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
वाह बहुत सुंदर और सार्थक दोहावली सर । हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी
वाह बहुत सुंदर और सार्थक दोहावली सर । हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी