Comments - दोहा - छक्का - Open Books Online2024-03-29T01:25:01Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1078462&xn_auth=noआपके छक्के ने दमदार अभ्यास दि…tag:openbooks.ning.com,2022-02-06:5170231:Comment:10787332022-02-06T03:30:23.184ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p style="text-align: left;">आपके छक्के ने दमदार अभ्यास दिखाया है, आदरणीय. </p>
<p style="text-align: left;">प्रयास जारी रहे. </p>
<p style="text-align: left;">शुभातिशुभ </p>
<p style="text-align: left;">आपके छक्के ने दमदार अभ्यास दिखाया है, आदरणीय. </p>
<p style="text-align: left;">प्रयास जारी रहे. </p>
<p style="text-align: left;">शुभातिशुभ </p> आ . सुशील सरना साहब , कृपया…tag:openbooks.ning.com,2022-02-03:5170231:Comment:10785952022-02-03T17:16:42.227ZChetan Prakashhttp://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आ . सुशील सरना साहब , कृपया पुन: देखें । अपेक्षित संशोधन द्रष्टव्य है !</p>
<p>आ . सुशील सरना साहब , कृपया पुन: देखें । अपेक्षित संशोधन द्रष्टव्य है !</p> भाई, लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साह…tag:openbooks.ning.com,2022-02-03:5170231:Comment:10784062022-02-03T17:13:08.651ZChetan Prakashhttp://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p>भाई, लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब, सही कहा, आप ने, टंकण त्रुटि हुई है, असाध्य के स्थान पर 'अघाय' पढ़कर कृतार्थ करें ।</p>
<p>भाई, लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब, सही कहा, आप ने, टंकण त्रुटि हुई है, असाध्य के स्थान पर 'अघाय' पढ़कर कृतार्थ करें ।</p> आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2022-02-03:5170231:Comment:10785902022-02-03T11:29:41.389Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बवाई ।</p>
<p></p>
<p>दूसरे दोहे की तुकान्तता के सन्दर्भ में पुनः विचार कीजिएगा । सादर..</p>
<p>आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बवाई ।</p>
<p></p>
<p>दूसरे दोहे की तुकान्तता के सन्दर्भ में पुनः विचार कीजिएगा । सादर..</p> वाहहहहहह आदरणीय चेतन प्रकाश ज…tag:openbooks.ning.com,2022-02-01:5170231:Comment:10784632022-02-01T14:57:46.689ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
वाहहहहहह आदरणीय चेतन प्रकाश जी बहुत ही सुंदर और सार्थक दोहावली सर । क्षमा सहित सर अन्तिम दोहे का तुकांत? सादर नमन
वाहहहहहह आदरणीय चेतन प्रकाश जी बहुत ही सुंदर और सार्थक दोहावली सर । क्षमा सहित सर अन्तिम दोहे का तुकांत? सादर नमन